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    जम्मू शहर में मलबे में हिचकोले खाती जिंदगी को मरहम की दरकार, चौदह दिन बाद भी घरों से नहीं हटा मलबा

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 06:08 PM (IST)

    जम्मू की राजीव कॉलोनी में तवी नदी में आई बाढ़ से भारी तबाही हुई है। चौदह दिनों बाद भी स्थिति सामान्य नहीं हो पाई है। गलियों में मलबा भरा है जिससे लोग अपने घरों तक नहीं पहुंच पा रहे हैं। प्रभावित परिवार खाने-पीने की समस्या से जूझ रहे हैं और प्रशासन से मलबा हटाने में मदद की गुहार लगा रहे हैं ताकि वे फिर से सामान्य जीवन जी सकें।

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    जम्मू बाढ़ के 14 दिन बाद भी राजीव कॉलोनी में तबाही।

    अंचल सिंह, जागरण, जम्मू। एक तो गरीबी। उस पर कुदरत का कहर। मानो जिंदगी थम सी गई हो। लाख दावों, फोटो शूट और सरकारी बाबूओं की चहल-पहल भी जिंदगी को पटरी पर नहीं ला पाई। पिछले चौदह दिनों से वे आशियाने डूबने से बर्बादी के भंवर में फंसे हुए हैं।

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    यह मंजर तवी नदी किनारे बसी राजीव कालोनी में उस समय भी ज्यादा नहीं बदला है जब उपराज्यपाल मनोज सिन्हा मंगलवार को यहां दौरे पर पहुंचे। राजीव कालोनी में बाढ़ से हुई बर्बादी का मंगलवार को चौदहवां दिन था।

    लगभग सभी गलियां दो से तीन फीट मलबे से भरी पड़ी हैं। करीब 40 से 50 घर ऐसे हैं जिनमें आज भी परिवार लौट नहीं पाए क्योंकि इनमें पहुंचना ही संभव नहीं। गलियां कीचड में तबदील है और घरों के अंदर से मलबा निकालना संभव नहीं।

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    मलबा निकलने में जुटे परिवार

    घरों का मलबा निकलने में जुटे परिवार समझ नहीं पा रहे कि कैसे सब कुछ पहले की तरह सामान्य हो ताकि वे परिवार को पालने के लिए काम पर जा पाए क्योंकि बाढ़ से घर में बचा ही कुछ नहीं। खाने-पीने के लाले तो पड़े ही हैं, घर का सब सामान बर्बाद हो चुका है।

    प्रशासन, कुछ संस्थाएं खाने-पीने का सामान लाकर मदद जरुर कर रही हैं लेकिन इससे तो जिंदगी नहीं गुजर सकती। उनका कहना कि खाने-पीने समेत अन्य सामान की मदद बहुत हो चुकी है। हमें घरों में जाने में मदद की दरकार है।

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    खाद्य सामग्री की जगह श्रमिकों की मांग रहे मदद

    प्रशासन और संस्थाएं खाने-पीने व अन्य सामान की मदद के बजाय श्रमिकों को लाएं ताकि घरों का मलबा निकल सके। हम घर के अंदर जा पाएंगे तो फिर जिंदगी सामान्य होती चली जाएगी। लोगों का कहना है कि सरकार की तरफ से 14 दिनों में करीब 5 प्रतिशत कम ही हो पाया है।शेष काम लोगों ने स्वयं किया है।

    राजीव कालोनी में 50 के करीब घर आज भी मलबे में हुए हैं। इनमें रहने वाले गलियों में कीचड़ के कारण घरों तक पहुंच नहीं पा रहे। दूसरों के घरों में शरण लेना मजबूरी है। अफसोस इस बात है कि घरों से मलबा निकालने में कोई सहयोग नहीं मिल रहा। मंत्रियों, संतरियों व नौकरशाहों को दिखाने के लिए सिर्फ मुख्य सड़कें व सामने दिखने वाली जगहों पर काम हो रहा है।

    मजबूर हैं जनाब

    ‘मुश्किल के समय में लोगों को खाने-पीने समेत अन्य सामान देने में कोई कसर नहीं रही। मुश्किल यह है कि 50 के करीब घरों में आज भी मलबा है। गलियां साफ नहीं हुईं। घरों तक पहुंच नहीं सकते। बहुत ज्यादा परेशानी है। मलबा हटाने की जरूरत है।’ -राकेश भल्ला, स्थानीय निवासी

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    ‘हमें अपने घर में गए 14 दिन हो चुके हैं। लोगों की छतों से जाकर देख पा रहे हैं। अंदर तो बचा कुछ नहीं। गलियां मलबे से भरी पड़ी हैं। ट्यूबवेल और मंदिर के पीछे इतने दिनों में 15 प्रतिशत मलबा भी नहीं हटा। मलबा हटवाने में मदद की जरूरत है।’ -दीपक सिंह, स्थानीय निवासी

    ‘मलबा हटाने के लिए श्रमिकों को लगाने में संस्थाएं सहयोग करें। गरीब लोग हैं। हजारों टन मलबा फंसा हुआ है। नगर निगम के सिर्फ 14 लोग इस मुहल्ले में काम कर रहे हैं। ऐसे तो महीनों मलबा नहीं निकलेगा। मलबे में दबा सबकुछ खाक हो चुका है।’ -इरफान मुगल, स्थानीय निवासी

    ‘यहां शिव मंदिर था। उसके साथ सात कमरे थे। मंदिर का कुछ हिस्सा छोड़ कुछ नहीं बचा। अभी तक कोई सुध नहीं लेने पहुंचा। लाखों रुपये का नुकसान हो चुका है। मदद तो मिली है लेकिन इस त्रासदी ने सब उजाड़ दिया है।’ -शशि कुमार, स्थानीय निवासी

    ‘बाढ़ वाले दिन मंगलवार से ही प्रशासन की टीमें यहां तैनात हैं। हर संभव सहायता कर रहे हैं। यहां 205 घर प्रभावित हुए हैं। मलबा बहुत है। लोगों को हर तरह की मदद में जुटे हुए हैं। मुआवजा बनाने की प्रक्रिया जारी है।’ -राजू समयाल, तहसीलदार, बाहु 

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