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    Jammu Kashmir : विश्वविद्यालयों व कालेजों के माध्यम से जगद्गुरू के विचार युवाओं तक पहुंचाएंगे

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 08 Jul 2022 07:08 AM (IST)

    Swamy Ramanujacharya Statue In Kashmir श्रीनगर में सूर्यार मंदिर के प्रांगण में स्वामी रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्टैच्यू आफ पीस का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिल्ली से वर्जुअल मोड पर अनावरण करने के बाद उपराज्यपाल श्रद्धालुओं को सबोधित कर रहे थे।

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    यह स्टैच्यू स्वामी रामानुजाचार्य के कश्मीर के साथ विशिष्ट संबंधों को भी सिद्ध करता है।

    श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने वीरवार को कहा कि स्वामी रामानुजाचार्य जी ने भारतीय सनातन संस्कृति की सर्वोच्चता को सिद्ध किया है। उन्होंने राष्ट्रीय एकता, अखंडता और सभी प्राणियों को शांति व सौहार्द का संदेश दिया है।

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    उन्होंने सामाजिक न्याय और समानता के सिद्धांत को आगे बढ़ाते हुए समाज के वंचित और कमजोर वर्गों के उत्थान के लिए कई क्रांतिकारी उपाय किए। वह एक संत और समाज सुधारक थे। उनकी प्रतिमा का यहां स्थापित होना, जम्मू कश्मीर से पूरी दुनिया के लिए शांति, सौहार्द और भाईचारे का संदेश जाता है।

    मुझे पूरा विश्वास है कि स्वामी रामानुजाचार्य जी के जीवन, व्यक्तित्व व उनके आदर्श सदैव जम्मू कश्मीर के लोगों को प्रेरित करते हुए उनका मार्गदर्शन करेंगे। आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम के तहत प्रदेश सरकार स्वामी रामानुजाचार्य जैसी महान आत्माओं के विचारों को युवाओं तक पहुंचाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। हम जम्मू कश्मीर के विश्वविद्यालयों, कालेजों और स्थानीय युवा क्लबों के माध्यम से जद्गुरू के विचारों को युवाओं तक पहुंचाएंगे।

    श्रीनगर में सूर्यार मंदिर के प्रांगण में स्वामी रामानुजाचार्य की प्रतिमा स्टैच्यू आफ पीस का केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा दिल्ली से वर्जुअल मोड पर अनावरण करने के बाद उपराज्यपाल श्रद्धालुओं को सबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह स्टैच्यू स्वामी रामानुजाचार्य के कश्मीर के साथ विशिष्ट संबंधों को भी सिद्ध करता है।

    कश्मीर सनातन संस्कृति का प्रतीक: भारत रैना - कश्मीर टेंपल केयर कमेटी के चेयरमैन भरत रैना ने कहा कि कश्मीर तो सनातन संस्कृति का प्रतीक है। महाभारत हो, रामायण हो, नीलमत पुरान हो या वेद, सभी का कश्मीर से संबंध हैं। शंकराचार्य भी यहां आए थे, उस समय पूरे भारत में सनातन संस्कृति का पतन हो रहा था, लेकिन उन्होंने सनातन को फिर प्रतिष्ठित किया। स्वांमी रामानुजाचार्य कश्मीर आए थे और उन्होंने वेदांत सूत्रों पर लिखा श्री भाष्य सबसे पहले कश्मीरी पंडितों को सुनाया था। सूर्यार मंदिर में भगवान रामानुजाचार्य की प्रतिमा की स्थापना जहां कश्मीर से कन्याकुमारी तक एक राष्ट्र एक विधान और एक ही सनातन संस्कृति की पुष्टि है, वहीं यह कश्मीर में सुधरते हालात की घोषणा भी है। आतंक के कारण कश्मीर में सभी मंदिर वीरान हो गए थे, अब फिर से जीवंत हो रहे हैं।