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    Lata Mangeshkar Death: डोगरी गीतों को अमर कर गईं लता मंगेशकर, भला सपाहिया डोगरेया..आज भी डोगरा जवानों का हौसला बढ़ाता है यह गीत

    By Vikas AbrolEdited By:
    Updated: Sun, 06 Feb 2022 12:15 PM (IST)

    Lata Mangeshkar Latest News लता मंगेशकर लता का गाया डोगरी गीत भला सपाहिया डोगरेया... ऐसा गीत है जो डोगरों के शौर्य के साथ-साथ सैनिकों की विवाहिताओं की पीड़ा को भी उकेरता है जो घर में बैठे देश की सेवा कर रहे अपनी पति का इंतजार कर रही होती हैं।

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    Lata Mangeshkar Death Latest News: लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं।

    जम्मू, अशोक शर्मा : डोगरी गीतों को अमर कर हम से हमेशा के लिए विदा हुई सुर सम्राज्ञी स्वर कोकिला का जाना भारत के हर व्यक्ति के लिए ऐसी क्षति है। जिसका भर पाना कभी संभव नहीं दिखता। ऐसा लग रहा है कि मां सरस्वती की बेटी आज देश की कई भाषाओं को अपने संगीत से अमर कर वापिस मां सरस्वती के पास चली गई हों। उन्हें मां सरस्वती की बेटी कहना इस लिए भी गलत न होगा क्याेंकि संगीत की जो ऊचाईयां उन्होंने बनाई हैं। उन्हें छू पाना भी मां सरस्वती के आशीर्वाद के बिना संभव नहीं है।

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    शायद ही कोई भारतीय भाषा होगी। जिसमें उन्होंने कोई गीत न गाया हो और उसे प्रसिद्धि न मिली हो। खासकर उनके जाने से डोगरा समाज में आज दुख की लहर है। संगीत के जानकारों को तो ऐसा लग रहा मानों परिवार का कोई सदस्य उनसे चला गया हो। बेशक उनके गाए डोगरी गीत अमर हैं लेकिन उम्मीद थी कि शायद लता जी कभी डोगरी का कोई और गीत अमर कर जाए। हालांकि पदमश्री पदमा सचदेव उनसे जब-जब भी मिलती तो वह अपने गाए डोगरी गीतों की बात करती थी। उस पर पदमा सचदेव हमेशा कुछ और डोगरी गीत गाने के लिए कहती थी लेकिन वह हमेशा सेहत का हवाला लेते हुए टाल देती। पदमा जी तो कहती थी कि वह कहती हैं कि डोगरी गाने के लिए जो जोश चाहिए। अब वह नहीं रहा।

    लता का गाया डोगरी गीत भला सपाहिया डोगरेया... ऐसा गीत है, जो डोगरों के शौर्य के साथ-साथ सैनिकों की विवाहिताओं की पीड़ा को भी उकेरता है, जो घर में बैठे देश की सेवा कर रहे अपनी पति का इंतजार कर रही होती हैं।परमानंद अलमस्त का गीत ओडनू रंगी दे ललारिया...। पदमा सचदेवा की लोरी तू मला तू... लता के गाए ऐसे गीत हैं जो आज भी हर डोगरा परिवार के हर समारोह में गूंजते हैं।लता मंगेशकर के गाए डोगरी गीतों ने उन्हें डोगरा परिवारों में अमर कर दिया है।

    वरिष्ठ कलाकार राज कुमार बहरुपिया ने कहा कि कोई भी कलाकार छोटा या बड़ा अपने कद से होता है। उसके कद का अंदाजा उसकी लोकप्रियता से होता है। लेकिन जो कमाल की बात है वो यह है कि एक सफल कलाकार और उसके बाद के कलाकार में कोई जमीन आसमान का अंतर नहीं होता। कला की तकनीक की जानकारी लगभग हर कलाकार में एक जैसी ही होती है। तो पिर वो कौन सा तत्व है, जो एक जैसी सिखलाई वाले कलाकार को छोटा या बड़ा बनाता है। उत्तर जितना स्पष्ट और साधरण है, उसकी प्रक्रिया उतनी ही जटिल और सच्ची।

    लता मंगेश्कर एक ऐसी कलाकार, एक ऐसी गायिका जो सुर और ताल में तो अपनी समकालीन कलाकारों से तो बेहतर थी ही परन्तु अपने गाए गए गीत की भाषा शैली और आंचलिक जुड़ाव में भी पूरी उतरती थीं। मदन मोहन के संगीत निर्देशन में गाई गई फिल्मी गजलों में क्या कोई कह सकता है कि यह एक मराठी भाषा की गायिका हैं।लता मंगेश्कर ने जब पद्मश्री पदमा सचदेव के आग्रह पर डोगरी गीत गाने का निर्णय लिया तब कौन यह कह सकता था कि महराष्ट्र परिवेश की गायिका डोगरी भाषा की आत्मा को भी छूएगी। नाम न लेते हुए यह जिक्र करना यहां जरूरी है कि डोगरी की सबसे करीबी भाषा पजाबी के सुप्रसिद्ध गायक कलाकार भी अपने गाए डोगरी गीतों में पंजाबी भाषा के पुट को गौण नहीं कर पाए। जबकि डोगरी से मीलों दूर बैठी भारत रतन लता मंगेशकर के गीत डोगरी भाषा की पहचान बन गए। आज लता जी के न रहने से संगीत जगत को जो नुकसान हुआ वो तो सर्वविधित है।किन्तु डोगरी गीतों को अपनी आवाज देकर जो ऊंचाई लता मंगेश्कर ने बक्शी, उसे कौन डोगरा बुला सकता है।

    डोगरा सदर सभा के अध्यक्ष गुलचैन सिंह चाढ़क ने श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि आज अगर डोगरी संविधान की आठवीं अनुसूची में स्थान पा सकी है, तो इसमें लता के गाए डोगरी गीतों का स्थान सबसे ऊपर आता है। क्योंकि डाेगरी के सबसे ज्यादा गीत अगर आज भी दुनिया के किसी कोने में गूंजते हैं, उसमें पहली पसंद लता मंगेश्कर के गाए गीत ही हैं।

    92 वर्षीय मेजर जनरल गोवर्धन सिंह ने कहा कि जब लता मंगेशकर राष्ट्रपित भवन में आती थी तो उनसे कई बार मुलाकात हुई। उन्हें मालूम था कि मैं डोगरा हूं। जब उन्होंने डोगरी गीत भला सिपाइया डोगरया... गाया था तो मैंने उनसे कहा था कि आपकी आवाज ने डोगरा सैनिक को हमेशा के लिए जीवंत कर दिया है। यह गीत सदियों तक डोगरों की पहचान का हिस्सा बन जाएगा।

    कंपोजर हरीश कैला ने कहा कि वह लता जी से कभी मिल तो नहीं पाए लेकिन डोगरी गीत गा कर उन्होंने डोगरा का जो मन जीता है। शाायद ही ऐसा प्यार जीवन में किसी दूसरे कलाकार को मिल सके। वह अपने गीतों के साथ अमर हो गई हैं।

    जम्मू के गायक सुरेंद्र मन्हास ने कहा कि मां सरस्वती की कोई औलाद ही ऐसा काम कर सकती है, जो लता मंगेशकर ने किया है। लता मंगेशकर भारत की सबसे लोकप्रिय और आदरणीय गायिका थीं। जिनका पूरा कार्यकाल उपलब्धियों से भरा पड़ा है। हालांकि लता मंगेशकर ने लगभग तीस से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर-फ़िल्मी गाने गाये हैं लेकिन उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्वगायक के रूप में रही है।उनके गाय डोगरी गीत हमेशा हमारे परिवारों में गूंजते रहें यहीं उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि होगी।