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India China Border : जहां सांसें साथ छोड़ने लगती हैं, वहां चुनौतियों को आंख दिखाते हैं हमारे जवान

लद्दाख के सियाचिन व पूर्वी लद्दाख के उच्चतम इलाकों में भारतीय सैनिक शून्य से 30 डिग्री नीचे तक के तापमान में बर्फीले तूफानों में दुश्मन के सामने मोर्चा संभालते हैं। हालात जैसे भी हों सीमा पर बर्फ के बीच पेट्रोलिंग होती है।

By vivek singhEdited By: Rahul SharmaPublished: Mon, 26 Sep 2022 07:40 AM (IST)Updated: Mon, 26 Sep 2022 07:40 AM (IST)
India China Border : जहां सांसें साथ छोड़ने लगती हैं, वहां चुनौतियों को आंख दिखाते हैं हमारे जवान
कश्मीर के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल एमरान मुसावी का कहना है कि फिटनेस भारतीय सैनिकों का मूलमंत्र है।

जम्मू, विवेक सिंह : लद्दाख के बर्फीले पहाड़ में सांसें भी साथ छोड़ने लगती हैं। कभी बर्फीले तूफान चुनौती बढ़ाते हैं तो कभी खून जमा देने वाली हवाएं। इन विपरीत परिस्थितियों में हमारे जवान और अफसर निरंतर चुनौतियों से आंखें मिलाने से नहीं चूकते। ऐसे हालात में अपनी फिटनेस बनाए रखने के लिए खेलों को आधार बनाते हैं।

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17 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित खरदूंगला पास से गुजरने वाली लद्दाख मैराथन हो या फिर राक कलाइंबिंग प्रतिस्पर्धा, हमारे जवानों और अफसरों ने हर दम अपनी फिटनेस का न केवल नमूना पेश किया पर भविष्य की चुनौतियों के प्रति सेना की तैयारी भी साबित कर दी। ब्रिगेड कमांडर स्तर के अधिकारी भी इसमें पीछे नहीं दिखे।

यहां बता दें कि लद्दाख के सियाचिन व पूर्वी लद्दाख के उच्चतम इलाकों में भारतीय सैनिक शून्य से 30 डिग्री नीचे तक के तापमान में बर्फीले तूफानों में दुश्मन के सामने मोर्चा संभालते हैं। हालात जैसे भी हों, सीमा पर बर्फ के बीच पेट्रोलिंग होती है। कम आक्सीजन वाले माहौल में जवानों की मेहनत उन्हें दुर्गम हालात में लक्ष्य में हासिल करने में सक्षम विश्व के सर्वश्रेष्ठ सैनिक बनाती है। यह मेहनत खेल मैदान में भी दिखती है। सितंबर में अब तक लद्दाख में 20 से अधिक साहसिक गतिविधियां हुई हैं। लद्दाख मैराथन व उसके बाद कारगिल मैराथन में 200 लद्दाख स्काउट्स ने हिस्सा लिया। जवानों ने साबित किया कि वे सीमा या खेल मैदान में हर चुनौती को जीत सकते हैं।

इन चुनौतियों में दिखाया दम

  • पिछले सप्ताह लद्दाख में 22211 फीट ऊंची माउंट अरांगलेस फतह की।
  • स्नो लेपर्ड ब्रिगेड के 22 साइकिल सवारों ने 17580 फीट की ऊंचाई पर खारदूंगला को पार कर चुशुल वैली तक 400 किलोमीटर का सफर तय किया।
  • सेना के पराशु वारियर्स ने 22063 फीट ऊंची माउंट कांगडी व 21588 फीट ऊंची कास्टेट कांगडी पर जीत हासिल की।

कई देशों के धावक आए, मैराथन में भारतीय सेना के जवानों का रहा दबदबा : लद्दाख में इस माह हुई 122 किलोमीटर की सिल्क रूट अल्ट्रा मैराथन व 72 किलोमीटर की खारदूंगला चैलेंज सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है। इसमें लद्दाख की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले सेना की 14 कोर के चीफ आफ स्टाफ, सेना की पटियाला ब्रिगेड के कमांडर समेत लद्दाख स्काउट्स के 100 से अधिक जवानों ने सभी मुकाबले जीतकर देश-विदेश में फिटनेस का संदेश दिया। लद्दाख मैराथन में कई देशों के धावक आए थे। उनकी मौजूदगी में सेना की पटियाला ब्रिगेड के कमांडर ने 50 साल की आयु से ऊपर के वर्ग में 72 किलोमीटर खारदूंगला चैलेंज दौड़ जीत ली। इस वर्ग में सेना के छह धावक दौड़ रहे थे। कारगिल मैराथन में भी सेना के जवानों का दबदबा रहा।

फिटनेस है भारतीय सैनिकों का मूलमंत्र : कश्मीर के पीआरओ डिफेंस लेफ्टिनेंट कर्नल एमरान मुसावी का कहना है कि फिटनेस भारतीय सैनिकों का मूलमंत्र है। लद्दाख के दुर्गम हालात में बेहतरीन फिटनेस के कारण ही सेना के जवान मुश्किल से मुश्किल लक्ष्य हासिल कर सकते हैं। जवानों के लिए लगातार साहसिक गतिविधियों का आयोजन कर उनमें छिपी प्रतिभा को सामने लाने की दिशा में लगातार काम करती है। उन्होंने शारीरिक व मानसिक रूप से फिट रखने के लिए बटालियन स्तर पर कार्यक्रमों का आयोजन होता है।


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