Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ranji Bala Killing : घंटी बजी, स्कूल खुला ...लेकिन रजनी मैम नहीं आईं, बच्चों के चेहरे पर आज भी दिखती है दहशत

    सेबों के बाग के बीच में स्थित गोपालपोरा हाईस्कूल मुख्य सड़क से करीब 25-30 मीटर अंदर है। स्कूल को मुख्य सड़क से एक कच्चा रास्ता जोड़ता है। आज बलिदानी रजनी बाला को पूरे प्रदेश के स्कूलों में दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

    By Rahul SharmaEdited By: Updated: Fri, 10 Jun 2022 08:31 AM (IST)
    Hero Image
    रजनी मैम सिर्फ हमारी अध्यापिका नहीं थी, वह हमारी मां थीं।

    गोपालपोरा, (कुलगाम), नवीन नवाज : हाईस्कूल में वीरवार सुबह फिर घंटी बजी। स्कूल खुला, प्रार्थना सभा हुई... लेकिन रजनी बाला मैम नहीं आईं। स्कूल के बच्चों व स्टाफ के सदस्यों ने नम आंखें के साथ दो मिनट का मौन रखकर रजनी बाला को श्रद्धांजलि अर्पित की। यह वही शिक्षा का मंदिर है, जिसके प्रवेशद्वार से चंद मीटर की दूरी पर आतंकियों ने इसी स्कूल की अध्यापिका रजनी बाला की हिंदू होने के कारण गोली मारकर हत्या कर दी थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    रजनी को बलिदान हुए 10 दिन बीते रहे हैं, लेकिन इस स्कूल के छात्रों और अध्यापकों के चेहरे पर आज भी उस गोली की गूंज और फिर रजनी बाला के सिर से फूटे खून के फव्वारे की दहशत बरकरार है। वे आज भी इस सवाल का जवाब तलाश रहे हैं कि एक उस्ताद (अध्यापक) जो तालीम देता है, जो इंसान को इंसान बनाता है, कैसे मजहब के नाम पर कत्ल किया जा सकता है। रजनी बाला को थामने वाले आज भी अपने हाथों को बार-बार देखते हैं और कहते हैं कि हमें लगता है कि उनका लाल लहू आज भी हमारे हाथों पर है।

    सेबों के बाग के बीच में स्थित गोपालपोरा हाईस्कूल मुख्य सड़क से करीब 25-30 मीटर अंदर है। स्कूल को मुख्य सड़क से एक कच्चा रास्ता जोड़ता है। आज बलिदानी रजनी बाला को पूरे प्रदेश के स्कूलों में दो मिनट का मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित की गई। गोपालपोरा हाई स्कूल में भी उनकी याद में दो मिनट का मौन रखा गया। यहां की एक छात्र ने कहा कि स्कूल में अब मन नहीं लगता। रजनी मैम सिर्फ हमारी अध्यापिका नहीं थी, वह हमारी मां थीं। मुझे समझ में नहीं आया कि आखिर उनका कत्ल क्यों हुआ।

    स्कूल के कार्यवाहक प्रभारी फैयाज अहमद ने कहा कि रजनी बाला की मौत को याद कर हम आज भी सिहर उठते हैं। उनके नाम पर स्कूल का नामकरण हो रहा है, सरकार का यह कदम बहुत अ'छा है। मुझे आज भी याद है कि गोली लगने के बाद रजनी के सिर से खून निकल रहा था। उन्हें अस्पताल पहुंचाने के लिए कोई साधन नहीं मिल रहा था, हमने बड़ी मुश्किल से एक कार रोकी। हम उसे बचा नहीं पाए।

    मैंने बाधा था रजनी के बहते खून पर दुपट्टा : स्कूल में कार्यरत एक अन्य अध्यापिका सायमा अख्तर ने कहा कि वह मुझसे उम्र में छोटी थीं, लेकिन काबलियत में मुझसे ज्यादा थी। रजनी ने मेरे सामने दम तोड़ा। एक धमाका हुआ और मैंने सोचा कि किसी लड़के ने पटाखा चलाया। मैंने उस तरफ देखा तो रजनी जमीन पर गिरी हुई थीं। मैंने उनके जख्मों से बहते खून को रोकने के लिए दुपट्टा बांधा। वह खून से पूरी तरह लाल हो गया था। वह उस दिन लाल बैग लेकर आई थी, उसके जूते भी लाल थे।

    शायद रजनी ने आतंकियों से जान बचाने की भरपूर कोशिश की थी : जावेद अहमद नामक एक अन्य अध्यापक ने कहा कि जिस कमरे में हमने हाजिरी का रजिस्टर रखा है, वहां हम जूते पहनकर नहीं जाते। रजनी बाला को जूता न उतारना पड़े, इसलिए मैं अक्सर रजिस्टर उनके पास लेकर जाता था। उस दिन जब हमने उन्हें उठाया तो उनके जूते वहीं सड़क पर पड़े थे। शायद रजनी ने आतंकियों से जान बचाने के लिए दौड़ लगाई होगी और इसलिए उन्होंने जूते उतारे होंगे। काश, वह आज ङ्क्षजदा होती।

    हत्यारों ने हम कश्मीरी मुस्लिमों को गुनाहगार बना दिया : स्कूल से करीब 200 मीटर की दूरी पर रहने वाले फैयाज अहमद ने कहा कि रजनी बाला को अगर हिंदू होने के कारण या जम्मू की होने के कारण मारा गया है तो ऐसा करने वालों ने हमेशा के लिए हम कश्मीरी मुस्लिमों को गुनाहगार बनाया है। कल जब कोई पूछेगा कि रजनी बाला का कत्ल क्यों हुआ, हमारे पास जवाब नहीं होगा।

    एक-दो दिन में हो जाएगा रजनी बाला मेमोरियल हाईस्कूल : कुलगाम के मुख्य शिक्षा अधिकारी मोहम्मद अशरफ ने कहा कि आज रजनी बाला का दसवां था। आज यहां सभी स्कूलों में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की गई। एक दो दिन में एक समारोह आयोजित करेंगे और औपचारिक रूप से गोपालपोरा हाईस्कूल का नाम रजनी बाला मेमोरियल हाईस्कूल रखा जाएगा। हमने कुलगाम में अल्पसंख्यक समुदाय के सभी अध्यापकों को सुरक्षित जगहों पर स्थानांतरित किया है। अल्पसंख्यक समुदाय के छात्रों के लिए हालात के सामान्य होने तक आनलाइन शिक्षा का भी प्रबंध कर रहे हैं।