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जानें, कौन हैं एक साथ स्कूल में पढ़ने और अब एक साथ पदोन्न्त होने वाले दो एयर वाइस मार्शल, क्या है इनका जम्मू कश्मीर से नाता

अनंतनाग के रहने वाले हिलाल अहमद राथर बुधवार को भारतीय वायुसेना में एयर वाइस मार्शल बन गए। उनके साथ एयर वाइस मार्शल बनने वाले वायुसेना के दूसरे अधिकारी कीर्ति खजूरिया उनके बचपन के सहपाठी हैं। कीर्ति खजूरिया जम्मू प्रांत में एक पिछड़े गांव टिकरी के रहने वाले हैं।

By Vikas AbrolEdited By: Published: Wed, 12 May 2021 08:40 PM (IST)Updated: Wed, 12 May 2021 09:59 PM (IST)
जानें, कौन हैं एक साथ स्कूल में पढ़ने और अब एक साथ पदोन्न्त होने वाले दो एयर वाइस मार्शल, क्या है इनका जम्मू कश्मीर से नाता
भारतीय वायुसेना के इतिहास में यह पहला अवसर है प्रदेश के एयर वाइस मार्शल के रुप में पदोन्नत हुए।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में जारी आतंकी हिंसा को जायज ठहराने वाले अक्सर दावा करते हैं कि आम कश्मीरी हिंदुस्तान से कोई वास्ता नहीं रखना चाहते। वह हिंदुस्तान से अलग होना चाहते हैं। इसी दुष्प्रचार के शाेर को नकराते हुए एक कश्मीरी, अनंतनाग के रहने वाले हिलाल अहमद राथर बुधवार को भारतीय वायुसेना में एयर वाइस मार्शल बन गए। इसे संयोग ही कहा जाएगा कि उनके साथ एयर वाइस मार्शल बनने वाले वायुसेना के दूसरे अधिकारी कीर्ति खजूरिया उनके बचपन के सहपाठी हैं। कीर्ति खजूरिया जम्मू प्रांत में एक पिछड़े गांव टिकरी के रहने वाले हैं।

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हिलाल अहमद राथर ने राफेल की भारत काेे जल्द आपूर्ति में एक अहम भूमिका निभाई थी

भारतीय वायुसेना के इतिहास में यह पहला अवसर है जब एक ही प्रदेश के हैं और वह भी सहपाठी, एक साथ एयर वाइस मार्शल के रुप में पदोन्नत हुए हों। हिलाल अहमद राथर और कीर्ति खजूरिया दोनों ही नगरोटा सैनिक स्कूल के छात्र हैं। दोनों स्कूल में एक ही बैच में थे और 10वीं से 12वीं तक साथ साथ पढ़े। इन दोनों ने जहां वायुसेना में अपनी एक अलग पहचान बनाई है, वहीं इनके कई साथियों ने जम्मू कश्मीर प्रदेश प्रशासन और पुलिस में अपनी प्रतिभा औेर कार्यकुशलता की एक नजीर साबित की है। हिलाल अहमद राथर का नाम बीते वर्ष उस समय सुर्खियों में आया था जब वह भारत सरकार ने फ्रांस से राफेल विमान मंगवाए थे। फ्रांस में बतौर अटैची नियुक्त हिलाल अहमद राथर ने राफेल की भारत काेे जल्द आपूर्ति व उसे भारतीय परिवेश के मुताबिक बनाने में एक अहम भूमिका निभाई थी।

एयर कमाडोर कीर्ति खजूरिया ने 11 जून 1988, हिलाल अहमद राथर ने 17 दिसंबर 1988 को कमीशन प्राप्त किया

एयर कमाडोर कीर्ति खजूरिया ने 11 जून 1988 को और हिलाल अहमद राथर ने 17 दिसंबर 1988 को वायुसेना में बतौर पायलट कमीशन प्राप्त किया था। कीर्ति खजूरिया एक योग्य उड़ान प्रशिक्षिक, युद्धक विमान प्रशिक्षिक होने के अलावा दुश्मन के ठिकानों पर बमवारी के लिए हमेशा तैयार रहने वाले दस्ते की भी कमान संभाल चुके हैं। मिग-23 एफ विमान के स्कवार्डन लीडर रहे कीर्ति खजूरिया ने भारतीय वायुसेना की पहली एकीकृत एयर कमांडर एंड कंट्रोल सिस्टम की भी कमान संभाली है।

टिकरी गांव के रहने वाले कीर्ति खजूरिया ने 2700 घंटे दुर्घटनामुक्त विमान उड़ाया है

श्री माता वैष्णो देवी की पहाड़ियों की तलहट्टी में स्थित टिकरी गांव के रहने वाले कीर्ति खजूरिया को वर्ष 2012-15 के दौरान वह भारतीय सेना द्वारा विभिन्न हथियारों की खरीद प्रक्रिया में भी अहम भूमिका निभा चुके हैं। वायु सेना मुख्यालय में निदेशक शस्त्र के पद पर भी अपनी योग्यता का परिचय दे चुके कीर्ति खजूरिया ने 2700 घंटे दुर्घटनामुक्त विमान उड़ाया है। वह भारतीय वायुसेना के सूर्य किरण दस्ते को तैयार करने में अहम भूमिका निभा चुके हैं और खुद भी इसका हिस्सा रहे हैं। उन्हें वायुसेना और विशिष्ट सेवा मैडल से भी सम्मानित किया गया है।

भारतीय वायुसेना में 17 दिसंबर 1988 में कमीशन प्राप्त करने वाले हिलाल अहमद राथर 17 दिसंबर 1993 को फ्लाइट लेफ्टिनेंट और 16 दिसंबर 2004 को विंग कमांडर व पहली मई 2010 को ग्रुप कैप्टन बने। 26 दिसंबर 2016 को वह एयर कमाडोर बने। एनडीए के दीक्षांत समारोह में उन्हें स्वोर्ड ऑफ ऑनर भी मिला। वायुसेना में अपने दोस्तों के बीच हली के नाम से लोकप्रिय हिलाल अहमद राथर का मिराज-2000, मिग-21 और किरण विमान जैसे जेट फाइटर एयरक्राफ्ट पर 3,000 घंटे से अधिक की दुर्घटना-मुक्त उड़ान का रिकॉर्ड हैं।

वायुसेना के योग्य प्रशिक्षिकों में एक माना जाता है

उन्हें वायुसेना के योग्य प्रशिक्षिकों में एक माना जाता है। वह 2013 और 2016 से भारतीय वायु सेना के सक्रिय पश्चिमी कमान में लड़ाकू अभियानों के निदेशक होने के साथ ही सभी लड़ाकू विमानों के तैयार होने और प्रशिक्षण में भी सीधे तौर पर शामिल रहे हैं। ग्वालियर स्थित मिराज एयरबेस की भी वह कमान संभाल चुके हैं। यह एयरबेस वायुसेना की सभी प्रमुख सर्जिकल स्ट्राइक और हमलों का प्रमुख केंद्र मानी जाती है। वह अमरीका स्थित एयर वारॅ कालेज में भी सैन्य रणनीति का अध्ययन कर चुके हैं। वेलिंगटन के प्रतिष्ठित डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज (डीएसएससी) में भी प्रशिक्षित किया राठौर इसी संस्थान में बतौर प्रशिक्षक भी अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके हैं।


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