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    J&K Encounter: किश्तवाड़ में पिछले 6 महीने में छह मुठभेड़, पहाड़ी रास्ते के जरिए बच निकलते हैं आतंकी

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 02:21 PM (IST)

    किश्तवाड़ में सुरक्षा बलों और आतंकियों के बीच पिछले छह महीनों में छह मुठभेड़ें हुईं। हर बार आतंकी पहाड़ों का फायदा उठाकर भागने में सफल रहे। दुर्गम इलाका आतंकियों के छिपने में मददगार साबित हो रहा है, जिससे सुरक्षा बलों के लिए चुनौती बढ़ गई है।

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    जागरण फोटो

    बलबीर जाम्वाल, किश्तवाड़। जम्मू संभाग के किश्तवाड़ जिले में बुधवार सुबह सुरक्षाबल की आतंकियों से मुठभेड़ हो गई। आतंकियों ने छात्रू क्षेत्र में सुरक्षाबल के एक दल पर हमला किया। सुरक्षाबल की जवाबी कार्रवाई के बाद आतंकी दुम दबाकर भाग निकले। इस दौरान पहाड़ी से फिसलने के कारण एक जवान जख्मी हो गया।

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    पिछले छह माह में आतंकियों का डोडा-किश्तवाड़ और उससे सटे पहाड़ी क्षेत्रों में आधा दर्जन बार सुरक्षाबल और आतंकी आमने-सामने हुए पर ज्यादातर बार आतंकी बच निकले। उसके बाद क्षेत्र में सर्च ऑपरेशन चलाए गए पर कोई सुराग नहीं मिला।

    बुधवार को भी मुठभेड़ के बाद आतंकियों को दबोचने के लिए सुरक्षाबल ने पूरे क्षेत्र को घेरकर सर्च ऑपरेशन चलाया। सुरक्षाबलों को भागे आतंकियों का एक बैग मिला है। उसमें बरामद सामान के बारे में अभी जानकारी नहीं मिली है।

    सुरक्षा विशेषज्ञों ने सवाल उठाए हैं कि ऐसी क्या कारण है कि आतंकी बार-बार बच निकलते हैं। उन्होंने आशंका जताई कि पहाड़ी क्षेत्रों में जंगल व गुफाओं में आतंकियों ने ठिकाने बना लिए हैं। संभव है कि आतंकियों के सहयोगियों का वहां बड़ा नेटवर्क बना लिया है।

    एक समय आतंक का गढ़ रहे हैं डोडा-किश्तवाड़

    किश्तवाड़ और डोडा जिलों का ज्यादातर क्षेत्र दुर्गम व पहाड़ी है। 1990 के बाद कश्मीर घाटी में आतंक ने पैर पसारे तो यहां भी आतंक का काला दौर देखा गया। डोडा व किश्तवाड़ से सटे रियासी, ऊधमपुर के पहाड़ी क्षेत्रों में भी आतंकियों ने अड्डे बना लिए। यह आतंकी इन पहाड़ों में पुराने नेटवर्क को फिर से सक्रिय करने में जुटे हैं।

    कठुआ से कश्मीर तक फैली हैं पगडंडियां

    कठुआ के पहाड़ों से डोडा और किश्तवाड़ होते हुए कश्मीर (अनंतनाग) आतंकियों का पुराना ट्रैकिंग रूट रहा है। आतंक के काले दौर में इस क्षेत्र में आतंकियों के सहयोगियों का भी बड़ा नेटवर्क रहा।

    यहां सक्रिय गाइड के साथ पगडंडियों के सहारे आतंकी एक क्षेत्र से दूसरे में आसानी से पहुंच जाते हैं और सुरक्षाबल को चकमा दे जाते हैं। इनके अलावा ऊंचे पहाड़ों पर प्राकृतिक ठिकानों में भी उनके अड्डे बने हैं। सूत्र बताते हैं कि इन पहाड़ों में आतंकियों के तीन से चार ग्रुप फिलहाल सक्रिय हैं।ण

    बार-बार फन उठाते हैं आतंकी

    • 12 अप्रैल : किश्तवाड़ जिले में हुई मुठभेड़ में तीन आतंकी मारे गए थे। उस समय भी आशंका जताई गई थी कि उनके नेटवर्क के और आतंकी भी वहीं छिपे हो सकते हैं।
    • 22 मई :छत्रू क्षेत्र में 22 मई को मुठभेड़ में दो आतंकी मारे गए और एक जवान बलिदान हो गया।
    • 11 अगस्त व दो जुलाई को दुल और छत्रू क्षेत्र में मुठभेड़ हुईं, लेकिन आतंकी भाग निकलने में कामयाब रहे।
    • 19 व 21 सितंबर : किश्तवाड़ के केशवन क्षेत्र में सेना की आतंकियों के एक समूह के साथ मुठभेड़ हुई और आतंकी बच निकले।

    जम्मू-कश्मीर पुलिस के सहयोग से एक खुफिया सूचना के आधार पर बुधवार सुबह किश्तवाड़ के छात्रू क्षेत्र में सेना और आतंकियों में मुठभेड़ हो गई। दोनों तरफ से गोलाबारी हुई है। - व्हाइट नाइट कोर, एक्स पर