Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वैष्णो देवी बोर्ड के खिलाफ याचिका कोर्ट ने की खारिज, दी ये दलील; भूस्खलन में 35 तीर्थयात्रियों की हुई थी मौत

    Updated: Sun, 21 Dec 2025 12:27 PM (IST)

    जम्मू और कश्मीर के कटरा की एक कोर्ट ने वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। याचिका 26 अगस्त ...और पढ़ें

    Hero Image

    वैष्णो देवी बोर्ड के खिलाफ केस दर्ज करने की याचिका खारिज (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर के कटरा स्थित एक कोर्ट ने वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग वाली याचिका खारिज कर दी है। याचिका 26 अगस्त को मंदिर के रास्ते में भूस्खलन में 35 तीर्थयात्रियों की मौत के मामले में दायर की गई थी। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि यह एक प्राकृतिक आपदा के कारण हुआ था। हालांकि, कोर्ट ने कहा कि इस फैसले का घटना के तीन दिन बाद लेफ्टिनेंट गवर्नर मनोज सिन्हा द्वारा त्रासदी की जांच के आदेश पर कोई असर नहीं पड़ेगा।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अधिकारियों पर लगाए गंभीर आरोप

    याचिका में आरोप लगाया गया था कि श्रीनगर के मौसम विज्ञान केंद्र और जम्मू-कश्मीर आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (JKSDMA) द्वारा मौसम संबंधी चेतावनी जारी किए जाने के बावजूद, तीर्थयात्रा को निलंबित नहीं किया गया, जो श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के CEO और अन्य अधिकारियों की आपराधिक लापरवाही थी।

    कोर्ट ने खारिज की याचिका

    मामले की सुनवाई के बाद सब-जज (न्यायिक मजिस्ट्रेट, प्रथम श्रेणी) कटरा सिद्धांत वैद्य ने याचिका खारिज कर दी, जिसमें पुलिस को BNS की धारा 105 (गैर इरादतन हत्या) और 106 (लापरवाही या लापरवाही भरे कृत्यों से मौत का कारण बनना) के तहत FIR दर्ज करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

    पुलिस रिपोर्ट और गवाहों के बयानों का हवाला देते हुए, कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा के हित में जब भी जरूरत पड़ी, तीर्थयात्रा को समय-समय पर रोका गया और स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) का पालन किया गया।

    'प्रशासनिक चूक आपराधि के लिए काफी नहीं'

    गवाहों ने बताया कि 26 अगस्त की घटना से दो-तीन दिन पहले बारिश हुई थी। भारी बारिश के कारण 24 और 25 अगस्त को यात्रा को रुक-रुक कर रोका गया था।

    कोर्ट ने कहा कि BNS की धारा 106 के तहत आपराधिक दायित्व के लिए, घोर लापरवाही या जल्दबाजी वाले काम का सबूत, नुकसान की आशंका और काम या चूक और मौत के बीच सीधा कारण संबंध होना चाहिए। सिर्फ फैसले में गलती या प्रशासनिक चूक आपराधिक दायित्व के लिए काफी नहीं है।

    हादसे की वजह प्राकृतिक आपदा थी- कोर्ट

    अदालत ने कहा शिकायत में लगाए गए आरोपों, पुलिस द्वारा दर्ज किए गए बयानों और पुलिस रिपोर्ट को देखने से यह बिल्कुल साफ है कि इस दुर्भाग्यपूर्ण घटना का सबसे करीबी और सीधा कारण एक प्राकृतिक आपदा थी। अगर शिकायत में कही गई बातों को सच भी मान लिया जाए, तो भी मौसम विभाग द्वारा जारी एडवाइजरी का पालन न करना प्रशासनिक चूक हो सकती है और इसमें आपराधिक लापरवाही का कोई तत्व मौजूद नहीं है।

    'आपराधिक लापरवाही का मामला नहीं बनता'

    कोर्ट ने गैर इरादतन हत्या के अपराध को खारिज कर दिया, यह देखते हुए कि इरादा और लापरवाही मन की अलग-अलग स्थितियां हैं और शिकायत में खुद इरादे के बजाय लापरवाही का आरोप लगाया गया था।

    मेरी राय में यह आपराधिक लापरवाही का मामला नहीं बनता है और पहली नजर में कोई संज्ञेय अपराध नहीं बनता है: कोर्ट ने कहा