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कश्मीरी युवाओं में अब फौजी बनने का जुनून, केंद्र सरकार विशेष भर्ती अभियान चलाने पर कर रही विचार

एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कश्मीर के विभिन्न हिस्सों की सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने सेना प्रदेश प्रशासन व उपराज्यपाल से विशेष सैन्य भर्ती अभियान का आग्रह किया है। उनके मुताबिक इससे आम लोगों और सेना के बीच संवाद-समन्वय-सहयोग बढ़ेगा तो वहीं अलगाववादियों के मंसूबे भी नाकाम होंगे।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 13 May 2022 11:28 AM (IST)Updated: Fri, 13 May 2022 11:28 AM (IST)
सेना ग्रामीण इलाकों में विशेष शिविर लगाकर युवाओं को फौजी बनाने की ट्रेनिंग दे रही है।

श्रीनगर, नवीन नवाज : कश्मीर के युवाओं की सोच वाकई में तेजी से बदली है। अब वह अपना चेहरा नहीं छिपाते, बल्कि फौजी बनने के लिए सेना के भर्ती कार्यालय तक पहुंच रहे हैं। उनमें राष्ट्रवादी सोच गहराई के साथ पनप रही है। युवाओं के इस जज्बे को देखते हुए केंद्र सरकार कश्मीर में सेना और केंद्रीय अर्धसैनिकबलों द्वारा विशेष भर्ती अभियान चलाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसी क्रम में सेना ने खासतौर पर ग्रामीण इलाकों में विशेष शिविर लगाकर युवाओं को फौजी बनाने की ट्रेनिंग दे रही है। सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मनोबल बढ़ाने पहुंचते हैं।

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प्रदेश प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कश्मीर के विभिन्न हिस्सों की सिविल सोसाइटी के सदस्यों ने सेना, प्रदेश प्रशासन व उपराज्यपाल से विशेष सैन्य भर्ती अभियान का आग्रह किया है। उनके मुताबिक, इससे आम लोगों और सेना के बीच संवाद-समन्वय-सहयोग बढ़ेगा तो वहीं अलगाववादियों के मंसूबे भी नाकाम होंगे। मौजूदा समय में भी बड़ी संख्या में कश्मीरी युवक सेना में हैं। इसके बावजूद कई गांव और इलाके ऐसे हैं, जहां से कोई भी व्यक्ति सेना में नहीं है। इनमें से अधिकांश आतंकियों के प्रभाव वाले हैं। इसलिए भर्ती अभियान में इन इलाकों के युवाओं को प्राथमिकता दी जाए।

सैन्य प्रशासन व रक्षा मंत्रालय की हां : स्थानीय लोगों के इस आग्रह को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस विषय में केंद्रीय गृह मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और सैन्य प्रशासन के साथ भी संवाद बनाया है। सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि सैन्य प्रशासन और रक्षा मंत्रालय ने अपनी सहमति व्यक्त की है। सैन्य भर्ती कार्यालय श्रीनगर में निदेशक (भर्ती) कर्नल जी सुरेश ने भी गत दिनों कश्मीर के मंडलायुक्त पांडुरंग के पोले से मुलाकात की है। दोनों के बीच कश्मीर में सैन्य भर्ती की प्रक्रिया पर विस्तृत चर्चा हुई है। कर्नल सुरेश ने बताया केंद्र सरकार के निर्देशानुसार कश्मीर में भर्ती के लिए रिक्तियों को घोषित किया जाएगा।

अब सेना के प्रति कुछ यूं है दीवानगी : एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि कश्मीर में सचमुच बदलाव अब जमीन पर नजर आने लगा है। सैन्य शिविरों के आसपास रहने वाले लोग अक्सर भर्ती के बारे में पूछते हैं। कई युवक तो दस्तावेज लेकर पहुंच जाते हैं, जैसे कि उन्हें उस समय भर्ती कर लिया जाएगा। इस उत्साह के चलते ही सेना उनके लिए प्रशिक्षिण शिविर लगा रही है। इनमें युवाओं को दौड़ लगवाई जाती है। उन्हें लंबी कूद, ऊंची कूद का भी प्रशिक्षण दिया जाता है। सेना व जनता के आपसी संबंधों पर उनसे बातचीत की जाती है। उन्हें सेना की भूमिका के बारे में समझाया जाता है। उनके शारीरिक-मानसिक विकास पर जोर दिया जाता है।

सैन्य भर्ती कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं युवा : कश्मीर के मंडलायुक्त, पांडुरंग के पोले ने कहा कि सेना में भर्ती होने के इच्छुक युवाओं को विशेषकर छात्रों को राष्ट्रीय कैडेट कोर में शामिल होना चाहिए। इस तरह के संगठन सेना में शामिल होने का रास्ता तैयार करते हैं। भर्ती के इच्छुक युवक शैक्षिक योग्यता और अन्य मानदंडों के बारे में निदेशक सैन्य भर्ती कार्यालय श्रीनगर से भी संपर्क कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। उनका पूरा सहयोग किया जाएगा।

आतंकियों का खौफ अब समाप्त : कश्मीर मामलों के जानकार फैयाज वानी ने कहा कि पहले लोग आतंकियों और अलगाववादियों के डर से सुरक्षाबलों में शामिल होने से बचते थे। सिर्फ कुपवाड़ा, उड़ी और दक्षिण कश्मीर में कुलगाम के कुछ हिस्सों से ही लोग सेना में नजर आते थे। अब लोगों में आतंकियों का खौफ समाप्त हो गया है और इसलिए वादी में लगभग हर शहर और गांव में स्थानीय युवा सेना में भर्ती होने के लिए आगे आ रहे हैं।


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