Kashmir: कश्मीरी हिंदुओं को घाटी में मिलेगी सस्ती दरों पर जमीन; उपराज्यपाल बोले, 'हालात पहले से सुधर चुके हैं'
Kashmir News कश्मीरी मुसलमान भी चाहते हैं कि कश्मीरी हिंदू वापस कश्मीर आएं। उपराज्यपाल का यह बयान विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की घाटी वापसी की दिशा में प्रशासन का एक ओर कदम माना जा रहा है। एक न्यूज चैनल के साथ साक्षात्कार में उपराज्यपाल के इस एलान का विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं ने स्वागत करने के साथ कुछ सुझाव भी दिए हैं। आतंकी हिंसा और पथराव की घटनाएं बंद हो चुकी हैं।

राज्य ब्यूरो, जम्मू। उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि प्रदेश सरकार कश्मीर घाटी में कश्मीरी हिंदुओं की वापसी को सुनिश्चित बनाने के लिए उन्हें सस्ती दरों पर जमीन उपलब्ध कराने की योजना लागू करेगी। कश्मीर में हालात अब पहले से कहीं ज्यादा सुधर चुके हैं, आतंकी हिंसा और पथराव की घटनाएं बंद हो चुकी हैं।
कश्मीरी मुसलमान भी चाहते हैं कि कश्मीरी हिंदू वापस कश्मीर आएं। उपराज्यपाल का यह बयान विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं की घाटी वापसी की दिशा में प्रशासन का एक ओर कदम माना जा रहा है। एक न्यूज चैनल के साथ साक्षात्कार में उपराज्यपाल के इस एलान का विस्थापित कश्मीरी हिंदुओं ने स्वागत करने के साथ कुछ सुझाव भी दिए हैं।
जम्मू कश्मीर पीस फोरम के अध्यक्ष सतीश महलदार ने कहा कि सस्ती दरों के बजाए निशुल्क जमीन दी जानी चाहिए। कई कश्मीरी हिंदुओं ने घाटी से उजड़ने के बाद जम्मू या अन्य जगहों पर मकान बनाए हैं, वे तो जमीन खरीद सकते हैं, लेकिन कई ऐसे हैं जो आज भी किराए के मकान में रह रहे हैं या फिर जम्मू, ऊधमपुर में बनी विस्थापित कालोनियों में हैं।
इनके पास कश्मीर में भी अपनी जमीन नहीं बची है। इनमें से कई कश्मीर लौटना चाहते हैं, सरकार को चाहिए कि जो भी विस्थापित कश्मीरी हिंदू भूमिहीन हैं, उन्हें पांच-पांच मरला (152 वर्ग गज) जमीन निश्शुल्क दी जाए। इसके साथ प्रशासन को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि यह जमीन किसी जगह मिलेगी, दूरदराज के इलाकों में या विस्थापित कश्मीरी हिंदू घाटी में जिस जगह चाहेंगे। वहीं, आल इंडिया कश्मीरी यूथ समाज के उपाध्यक्ष संजय कौल ने कहा कि सस्ती दरों पर जमीन तो ठीक है, लेकिन पहले घाटी में पूरी तरह शांति, सुरक्षा और विश्वास का वातावरण जरूरी है।
पनुन कश्मीर के नेता विरेंद्र रैना ने कहा कि यह स्वागतयोग्य है। इससे कई विस्थापित कश्मीरी हिंदू घाटी में जमीन खरीदने और बसने के लिए प्रेरित होंगे। यह भी बताना चाहए कि यह जमीन सरकार द्वारा विकसित की जाने वाली किसी आवासीय कालोनी में होगी या फिर कोई भी जहां भी जमीन खरीदेगा, उसे वहां सस्ती मिलेगी। इस तरह की कई योजनाएं पहले भी बनी हैं, लेकिन सफल नहीं हुई। कश्मीर में पहले विस्थापित कश्मीरी पंडितों की वापसी
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