कश्मीर के बडगाम में पत्रकार पर हमला, वाहन को लगी दो गोलियां; हमलावरों की तलाश में जुटी पुलिस
कश्मीर के बडगाम जिले में अज्ञात बंदूकधारियों ने एक पत्रकार के वाहन पर गोलीबारी की जिसमें वह बाल-बाल बच गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पत्रकार दानिश मंजूर भट ने बताया कि उन पर ज्वालापोरा गांव में हमला हुआ था। हमले के समय दानिश के साथ एक और व्यक्ति भी था दोनों सुरक्षित हैं। पुलिस हमलावरों की तलाश में जुटी है।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। कश्मीर के बडगाम जिले में रविवार शाम को अज्ञात बंदूकधारियों ने एक पत्रकार के वाहन पर कथित तौर पर गोलीबारी की लेकिन वह बाल-बाल बच गए। हमला करने वाले आतंकी हो सकते हैं। पुलिस इस मामले की जांच में जुट गई है और क्षेत्र की घेराबंदी कर हमलावरों की तलाश में जुट गई है। अधिकारियों के अनुसार पत्रकार दानिश मंजूर भट ने पुलिस को बताया कि उन पर बडगाम के ज्वालापोरा गांव में बंदूकधारियों ने हमला किया लेकिन वे सुरक्षित बच निकले।
अधिकारियों ने बताया कि मंज़ूर के वाहन पर दो गोलियां लगीं। उन्होंने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। जिस समय यह हमला हुआ, उस समय दानिश के साथ एक और व्यक्ति भी गाड़ी में था लेकिन दोनो ही हमले में बच गए। पत्रकार का वाहन बुलेटप्रूफ था। वहीं बंदूकधारियों का पता लगाने के लिए इलाके की घेराबंदी कर दी गई है।
गौरतलब है कि पत्रकारों को पहले भी आतंकवादियों ने निशाना बनाया है। सबसे हालिया मामला एक स्थानीय दैनिक के संपादक शुजात बुखारी का था जिनकी 14 जून 2018 को श्रीनगर शहर के रेजीडेंसी रोड इलाके में आतंकियों ने उनके दो सुरक्षा गार्डों के साथ हत्या कर दी थी।
19 फरवरी 1990 को श्रीनगर दूरदर्शन स्टेशन के निदेशक लस्सा कौल की बेमिना इलाके में आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। इस हत्या के कारण स्टेशन को तीन साल के लिए बंद कर दिया गया। 1 मार्च 1990 को सहायक सूचना निदेशक पीएन हांडू की श्रीनगर के बालगार्डन स्थित उनके कार्यालय में गोली मारकर हत्या कर दी गई।
23 अप्रैल 1991 को अलसफा के प्रधान संपादक मोहम्मद शबान वकील की हत्या भी आतंकियों ने की थी। रिपोर्टों के अनुसार कुछ आतंकी वकील के कार्यालय में घुस आए और उन पर अंधाधुंध गोलियां चला दीं। 16 अक्टूबर 1992 को सूचना के संयुक्त निदेशक सैयद गुलाम नबी का अपहरण कर लिया गया और चार दिनों तक बंदी बनाकर रखा गया।
3 अक्टूबर 1993 को रेडियो कश्मीर के समाचार वाचक मोहम्मद शफी भट की हत्या हुई थी। 29 अगस्त 1994 को स्वतंत्र पत्रकार गुलाम मोहम्मद लोन की हत्या ने कश्मीर घाटी के बाहरी इलाकों में काम करने वाले स्ट्रिंगरों पर खौफनाक प्रभाव डाला। उन्हें नकाबपोश आतंकियों के एक समूह ने मार डाला।
कश्मीर में साढ़े तीन दशक के आतंकवाद में कई पत्रकारों की आतंकियों ने हत्या की है। पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और दानिश पर हमला करने वालों की तलाश में जुट गई है।
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