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    जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला, कांट्रैक्चुअल अनुभव के आधार पर उम्मीदवार नियमित नौकरी का हकदार नहीं

    By Dinesh Mahajan Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Thu, 04 Dec 2025 03:13 PM (IST)

    JammuNews: जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि केवल अनुबंध पर काम करने का अनुभव किसी भी उम्मीदवार को नियमित नौकरी का अधिकार नहीं देता है। ...और पढ़ें

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    हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने कहा कि वह विज्ञापन की शर्तों को बदल नहीं सकता।

    जेएनएफ, जम्मू। JammuKashmirNews: जम्मू-कश्मीर एवं लद्दाख हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी नियमित पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन में मांगी गई अनिवार्य योग्यता होना जरूरी है।

    केवल कांट्रैक्चुअल अनुभव या सेवा के आधार पर उम्मीदवार नियमित नौकरी का हक नहीं जता सकता। कोर्ट ने यह फैसला देते हुए स्कास्ट-कश्मीर द्वारा एक महिला नर्स को अयोग्य ठहराने के फैसले को सही ठहराया है।

    मामला हमीदा जान का है, जिन्होंने सिंगल जज के वर्ष 2020 के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की। वर्ष 2015 में स्कास्ट ने विज्ञापन जारी किया था, जिसमें फीमेल नर्स के लिए 10 2 (विज्ञान) के साथ नर्सिंग डिप्लोमा और तीन साल का अनुभव अनिवार्य बताया गया था। कोर्ट में यह तथ्य स्वीकार किया गया कि हमीदा जान के पास नर्सिंग डिप्लोमा नहीं था।

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    हमीदा इससे पहले स्कास्ट में एक साल के लिए कांट्रैक्ट पर फीमेल नर्स के रूप में नियुक्त थीं। उन्होंने कई याचिकाएं दायर कर कांट्रैक्ट बढ़ाने और बाद में नियमित नियुक्ति का दावा किया। योग्यता की कमी को पूरा दिखाने के लिए उन्होंने एक प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उनके एफएमपीएचडब्ल्यू डिप्लोमा को नर्सिंग डिप्लोमा के समकक्ष बताया गया था।

    लेकिन सत्यापन में जीएमसी श्रीनगर के प्रिंसिपल ने साफ किया कि ऐसा कोई प्रमाणपत्र उनके कार्यालय ने जारी नहीं किया। डिवीजन बेंच ने सभी दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि विज्ञापन में नर्सिंग डिप्लोमा ही मांगा गया था, किसी समकक्ष डिग्री का उल्लेख नहीं था। कोर्ट विज्ञापन की शर्तों को बदल नहीं सकता।