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    जम्मू-कश्मीर में पहली बार चूना-पत्थर खनन ब्लॉक की नीलामी, माइनिंग क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में बड़ा कदम

    By Satnam Singh Edited By: Rahul Sharma
    Updated: Mon, 24 Nov 2025 12:26 PM (IST)

    केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी ने जम्मू-कश्मीर में पहली चूना-पत्थर खनन ब्लॉक नीलामी की शुरुआत की। यह कदम खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देगा। इस अवसर पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी भी उपस्थित थे। नीलामी में अनंतनाग, राजौरी और पुंछ जिलों के सात चूना-पत्थर ब्लॉक शामिल हैं, जिससे रोजगार और राजस्व वृद्धि की उम्मीद है।

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    उमर अब्दुल्ला और सुरिंदर चौधरी होंगे शामिल, केंद्र-राज्य साझेदारी का प्रतीक

    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी आज एक विशेष रोड शो के साथ देश की पहली चूना-पत्थर खनन (लाइम स्टोन मिनरल) ब्लॉक नीलामी की औपचारिक शुरुआत करने जा रहे हैं। एक अधिकारी के अनुसार यह आयोजन खनन क्षेत्र में पारदर्शिता और प्रतिस्पर्धा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

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    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी भी कार्यक्रम में शामिल होंगे। अधिकारी के अनुसार उनकी मौजूदगी केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के बीच मजबूत साझेदारी और इस पहल के रणनीतिक महत्व को दर्शाती है। यह नीलामी खनिज क्षेत्र में 2015 में लागू किए गए खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम के तहत लाई गई प्रमुख सुधारों को आगे बढ़ाने वाला कदम है। यह पहली बार है जब इस कानून के लागू होने के बाद केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में किसी खनन ब्लॉक की नीलामी हो रही है।

    नीलामी के लिए कुल सात चूना-पत्थर ब्लॉकों की पहचान की गई है, जो अनंतनाग, राजौरी और पुंछ जिलों में लगभग 314 हेक्टेयर क्षेत्र में फैले हुए हैं। ये ब्लॉक संयुक्त राष्ट्र खनिज ढांचा वर्गीकरण के तहत जी-3 और जी-4 श्रेणियों में आते हैं। इन क्षेत्रों में उच्च गुणवत्ता वाले चूना-पत्थर की पर्याप्त संभावनाएं हैं, जो सीमेंट निर्माण, निर्माण कार्यों और अन्य औद्योगिक उपयोगों के लिए महत्वपूर्ण हैं

    यह पहल आर्थिक अवसरों का मार्ग प्रशस्त करेगी

    नीलामी खान और खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम की धारा 11(4) और 11(5) के तहत की जाएगी, जिसके तहत केंद्र सरकार उन स्थितियों में प्रक्रिया को सुगम बनाती है जब राज्य या केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन किसी कारणवश नीलामी पूरी नहीं कर पाता। यह दृष्टिकोण सहकारी संघवाद की भावना को मजबूत करता है।

    अधिकारी के अनुसार, खनन मंत्रालय पारदर्शी, तकनीक-सक्षम और प्रतिस्पर्धी नीलामी प्रक्रिया सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसमें पर्यावरणीय मानकों के अनुरूप सतत खनन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

    उन्होंने कहा कि यह पहल स्थानीय समुदायों के लिए रोजगार, राजस्व वृद्धि, औद्योगिक विस्तार और नए आर्थिक अवसरों का मार्ग प्रशस्त करेगी। साथ ही यह जम्मू-कश्मीर की विकास यात्रा को गति देगी और विकसित भारत 2047 की राष्ट्रीय दृष्टि में महत्वपूर्ण योगदान देगी।