Jammu-Kashmir IAF Officers Killing Case: अभियुक्तों की अनुपस्थिति के कारण चश्मदीदों द्वारा टाली गई पहचान
आईएएफ के चार जवानों के मारे जाने के मामले में जेकेएलएफ प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक सहित छह आरोपियों की चश्मदीद गवाह की पहचान शनिवार को एक स्थानीय अदालत ने टाल दी। जबकि दो चश्मदीदों में से एक ने उनकी पहचान करने की इच्छा जताई थी।
जम्मू, पीटीआई: ग्रीष्मकालीन राजधानी में आतंकवादी हमले में भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के चार जवानों के मारे जाने के मामले में जेकेएलएफ प्रमुख मोहम्मद यासीन मलिक सहित छह आरोपियों की चश्मदीद गवाह की पहचान शनिवार को एक स्थानीय अदालत ने टाल दी। सीबीआई की मुख्य अभियोजक मोनिका कोहली ने कहा कि कुछ आरोपितों के यहां अदालत में उपलब्ध नहीं होने के कारण पहचान टाल दी गई थी। जबकि दो चश्मदीदों में से एक ने उनकी पहचान करने की इच्छा जताई थी।
वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए थे मौजूद
दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मलिक बहुचर्चित मामले की सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मौजूद थे। दो चश्मदीद गवाह जिरह के लिए आए और उनमें से एक ने अभियुक्तों की पहचान करने की इच्छा व्यक्त की। चूंकि कुछ आरोपित अदालत में मौजूद नहीं थे, इसलिए पहचान को अगली सुनवाई तक के लिए टाल दिया गया। उसने कहा कि दूसरे चश्मदीद गवाह से जिरह पूरी हो गई थी लेकिन उसने आरोपित की पहचान करने में असमर्थता जताई।
कई अन्य लोगों के खिलाफ अलग-अलग आरोप तय कर चुकी अदालत
विशेष टाडा अदालत पहले ही इस मामले में जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख और कई अन्य लोगों के खिलाफ अलग-अलग आरोप तय कर चुकी है। साथ ही एक अन्य मामला जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से संबंधित है।
1989 के अपहरण मामले में आरोप किए गए तय
जबकि मलिक और छह अन्य के खिलाफ 16 मार्च, 2020 को चार आईएएफ कर्मियों की हत्या में आरोप तय किए गए थे।अदालत ने मलिक और नौ अन्य के खिलाफ पिछले साल 11 जनवरी को रुबैया के 1989 के अपहरण मामले में आरोप तय किए हैं। केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के एक महीने बाद मलिक को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने अप्रैल 2019 में एक टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया था।