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JeM Militant Killed In Kashmir : पांच लाख का इनामी था जैश का दुर्दांत कमांडर सोफी, कई वारदात में था शामिल

वह पहली बार 2004 में पकड़ा गया था और दो साल तक जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल में रहा। जेल से छूटने के बाद वह आतंकी बन गया और कुछ समय बाद फिर पकड़ा गया। वह दोबारा जेल में गया और अदालत के जरिए छूट गया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 14 Oct 2021 07:30 AM (IST)Updated: Thu, 14 Oct 2021 01:13 PM (IST)
JeM Militant Killed In Kashmir : पांच लाख का इनामी था जैश का दुर्दांत कमांडर सोफी, कई वारदात में था शामिल
सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ के दौरान आतंकियों को कई बार आत्मसमर्पण करने का मौका दिया, लेकिन उन्होंने फायरिंग जारी रखी।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : दक्षिण कश्मीर के अवंतीपोरा मुठभेड़ में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के दुर्दांत कमांडर शमसुद्दीन सोफी उर्फ शम सोफी का मारा जाना सुरक्षाबलों के लिए बड़ी कामयाबी है। सोफी पर पांच लाख का इनाम था। बीते दो साल के दौरान शमसुद्दीन पंचायत प्रतिनिधियों पर हमले, नागरिक हत्याओं, सुरक्षाबलों पर फायङ्क्षरग की लगभग दो दर्जन के करीब वारदातों में शामिल था। वह स्थानीय युवकों को भी आतंकी संगठन में भर्ती के लिए चिन्हित करता था। कश्मीर में पिछले तीन दिन में पांच मुठभेड़ में आठ आतंकी मारे जा चुके हैं।वह पहली बार 2004 में पकड़ा गया था और दो साल तक जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल में रहा। जेल से छूटने के बाद वह आतंकी बन गया और कुछ समय बाद फिर पकड़ा गया। वह दोबारा जेल में गया और अदालत के जरिए छूट गया।

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कश्मीर के आइजीपी विजय कुमार ने शमसुद्दीन सोफी की मौत को एक बड़ी कामयाब करार देते हुए बताया कि वह त्राल और उसके साथ सटे इलाकों में जैश के नेटवर्क में एक रीड की हड्डी जैसा था। वह पहली बार 2004 में पकड़ा गया था और दो साल तक जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल में रहा। जेल से छूटने के बाद वह आतंकी बन गया और कुछ समय बाद फिर पकड़ा गया। वह दोबारा जेल में गया और अदालत के जरिए छूट गया। इसके बाद वह बतौर ओवरग्राउंड वर्कर काम करने लगा और जून 2019 में वह जैश में पूरी तरह सक्रिय हो गया। वह जैश के विदेशी आतंकियों के साथ ही अकसर रहता था और उनके लिए सुरक्षित ठिकानों व अन्य साजो सामान का भी बंदोबस्त करता था।

जानकारी के अनुसार, पुलिस को सुबह खबर मिली कि दो से तीन आतंकी अवंतीपोरा के वागड इलाके में देखे गए हैं। उसी समय पुलिस ने सीआरपीएफ और सेना की 42 आरआर के जवानों के साथ मिलकर तलाशी अभियान चलाया। तलाशी लेते हुए जवान जब तिलवनी मोहल्ले में दाखिल होने लगे तो वहां एक जगह छिपे आतंकियों ने भागने का प्रयास करते हुए घेराबंदी तोडऩे के लिए जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी। जवानों ने खुद को बचाते हुए आतंकियों को मुठभेड़ में उलझा लिया। इसके बाद दोनों तरफ से भीषण गोलीबारी शुरू हो गई।

आत्मसमर्पण का कई बार दिया गया मौका : सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ के दौरान आतंकियों को कई बार आत्मसमर्पण करने का मौका दिया, लेकिन उन्होंने फायरिंग जारी रखी। यह मुठभेड़ दोपहर करीब एक बजे शुरू हुई और लगभग डेढ़ घंटे बाद आतंकियों की तरफ से फायङ्क्षरग पूरी तरह बंद हो गई। इसके बाद जवानों ने आगे बढ़ते हुए मुठभेड़स्थल की तलाशी ली तो उन्हें वहां गोलियों से छलनी एक आतंकी का शव मिला। मारे गए आतंकी की पहचान जैश कमांडर शमसुद्दीन सोफी के रूप में हुई है।

आतंकी बनने से पहले जंगल से लकड़ी चुराता था : सूत्रों ने बताया कि आतंकी बनने से पहले शमसुदीन जंगल में पेड़ों के अवैध कटान और जंगल से इमारती लकड़ी की चोरी के लिए कुख्यात हुआ करता था। वह जंगल से लकड़ी चोरी के मामले में पहली बार जन सुरक्षा अधिनियम के तहत जेल गया था। उसका एक भाई नजीर अहमद कभी हिजबुल मुजाहिदीन का सक्रिय आतंकी था। हिजबुल के स्थानीय कमांडर के साथ मतभेदों के चलते वह जैश में शामिल हो गया था। उसने ही पाकिस्तानी आतंकी राशिद भाई को त्राल में नेटवर्क तैयार करने में मदद की थी। राशिद संसद हमले के मुख्य साजिशकर्ता गाजी बाबा का करीबी था। नजीर को हिजबुल मुजाहिदीन के कमांडर सलीम खान ने 2003 की शुरुआत में ही कत्ल कर दिया था। उसके बाद उसकी पत्नी को जैश आतंकी मुश्ताक उर्फ वलीद ने सुरक्षाबलों का मुखबिर होने के संदेह में मार डाला था। शमसुदीन भी शुरु में हिजबुल मुजाहिदीन का आतंकी था। पकड़े जाने और जेल से छूटने के बाद वह कुछ समय तक हिजबुल के लिए ही बतौर ओवरग्रांउंड वर्कर सक्रिय रहा, लेकिन बाद में उसने भी जैश के लिए काम करना शुरू कर दिया था। बताया जाता है कि वह छह बच्चों का बाप था।

गुलाम कश्मीर से भेजे हथियार बरामद : इस बीच, सुरक्षाबलों ने उत्तरी कश्मीर में एलओसी पर कुपवाड़ा के रेशीपोरा में गुलाम कश्मीर से भेजे गए हथियारों के एक जखीरे को बरामद किया। इसके अलावा तीन अत्याधुनिक वायरलेस सेट भी बरामद किए गए हैं। 


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