जम्मू की सबसे बड़ी अनाज मंडी में चीनी राजमा की बिक्री बंद, व्यापारियों ने कहा- अब तुर्की से आएगा राजमा
जम्मू के राजमाश-चावल का स्वाद दूर-दूर तक अपनी महक फैलाते हैं और यही कारण है कि जम्मू से भद्रवाही राजमाश का भारी मात्र में निर्यात भी होता है।
जम्मू, जागरण संवाददाता: पहले दुनिया को कोरोना महामारी देने और उसके बाद पूर्वी लद्दाख में भारतीय सीमा में चीनी सैनिकों की घुसपैठ से गुस्साए जम्मू के व्यापारी अब चीन को आर्थिक चोट पहुंचाने के लिए एकजुट हो गए हैं। जम्मू की सबसे बड़ी अनाज मंडी वेयर हाउस ने चीन से आने वाले राजमाश (राजमा) की बिक्री बंद कर दी है। लद्दाख में शहीद हुए भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि के रूप में व्यापारियों ने यह संकल्प लिया है कि वो अब चीन का सामान नहीं बेचेंगे। खाद्य सामग्री में चीन से केवल राजमाश व सुंड (सोंठ) ही जम्मू आती थी। इन दोनों चीजों की बिक्री वेयर हाउस के व्यापारियों ने बंद कर दी है।
जम्मू में रोजाना करीब चार से पांच टन चीनी राजमाश और करीब एक से दो टन सुंड की आमद होती थी। इस खपत को पूरा करने के लिए व्यापारियों ने अब तुर्की से राजमाश मंगवाने का फैसला किया है जबकि सुंड की पूर्ति करने के लिए कोचीन की ओर रुख किया है। चीन की तुलना में यहां से खरीद हालांकि, कुछ महंगी पड़ेगी लेकिन अब चीन को सबक सिखाने के लिए व्यापारी अधिक दाम चुकाने और अपना मुनाफा कम करने को भी तैयार हैं। व्यापारियों की मानें तो उपभोक्ताओं की जेब पर अधिक बोझ नहीं पड़ने दिया जाएगा और खुदरा बाजार में उपभोक्ताओं को जिस दाम में पहले राजमाश मिलते थे, आगे भी उसी दाम में मिलते रहेंगे।
दुनिया भर में मशहूर है भद्रवाह का राजमा
यूं तो जम्मू-कश्मीर के अलावा सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, तमिलनाडु व महाराष्ट्र के अलावा देश के कई अन्य हिस्सों में भी राजमाश की पैदावार होती है लेकिन जम्मू के भद्रवाह में पैदा होने वाला राजमाश पूरी दुनिया में मशहूर है। जम्मू के राजमाश-चावल का स्वाद दूर-दूर तक अपनी महक फैलाते हैं और यही कारण है कि जम्मू से भद्रवाही राजमाश का भारी मात्र में निर्यात भी होता है। भारी निर्यात के चलते भी जम्मू में इसकी मांग पूरी नहीं हो पाती। इस कारण मांग को पूरा करने के लिए चीन से राजमाश मंगवाए जाते हैं।
- भारत में चीनी राजमाश की खपत को खत्म करने की पूरी क्षमता है। सरकार को चाहिए कि अब जम्मू-कश्मीर समेत देश के विभिन्न हिस्सों में राजमाश की पैदावार को बढ़ावा दे। जिस तरह सरकार मेक इन इंडिया को प्रोत्साहित कर रही है, उसी तर्ज पर राजमाश की पैदावार को बढ़ावा दिया जाना चाहिए ताकि बाहर से मंगवाने के बजाय भारत निर्यात करने में सक्षम हो पाए। - कीर्ति कुमार, प्रधान, दाल मर्चेंट एसोसिएशन
- चीन को आर्थिक चोट पहुंचाने के लिए जरूरी है कि हम चीनी सामान का बहिष्कार करें। हमने चीन के राजमाश व सुंड मंगवाना बंद कर दिया है। दिल्ली, महाराष्ट्र व देश की अन्य बड़ी मंडियों के व्यापारियों से बोल दिया है कि हमें चीनी सामान नहीं चाहिए। अब तुर्की से राजमाश व कोचीन से सुंड मंगवाई जा रही है। चीन की तुलना में यह खरीद कुछ महंगी अवश्य पड़ेगी लेकिन देश की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। - दीपक गुप्ता, महासचिव, ट्रेडर्स फेडरेशन वेयर हाउस-नेहरू मार्केट