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    Jammu News: जम्मू में इस जगह है उत्तर भारत का दूसरा भगवान बलराम मंदिर, 350 वर्ष से भी अधिक है प्राचीन

    By Jagran NewsEdited By: Himani Sharma
    Updated: Mon, 15 May 2023 12:57 PM (IST)

    Jammu News भगवान बलराम मंदिर का दूसरा मंदिर जम्‍मू सूर्य पुत्री तविषी नदी के तट पर स्थित धौंथली में है। करीब 350 वर्ष से भी अधिक पुराना यह ऐतिहासिक मंदिर जम्मू के महाराजा रणवीर सिंह ने बनाया था।

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    जम्मू में इस जगह है उत्तर भारत का दूसरा भगवान बलराम मंदिर

    जम्मू, राहुल शर्मा: उत्तर भारत में भगवान कृष्ण के बड़े भाई बलराम (बलभद्र) के दो ही मंदिर हैं। एक मथुरा के वृंदावन है जबकि दूसरा मंदिरों के शहर जम्मू में सूर्य पुत्री तविषी नदी के तट पर स्थित धौंथली में है। करीब 350 वर्ष से भी अधिक पुराना यह ऐतिहासिक मंदिर जम्मू के महाराजा रणवीर सिंह ने बनाया था। ऐसी मान्यता है कि यहां श्रद्धा के साथ मांगी गई हर कामना एक साल के भीतर पूरी होती है।

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    मंदिर में भगवान बलराम अपनी पत्नी रेवती के साथ विराजमान हैं। बताया जाता है कि महाराजा रणवीर सिंह ने यह मूर्तियां मथुरा के वृंदावन से ही जम्मू में लाई थी। भगवान बलराम और मां रेवती के आलोकिक दर्शन करने मात्र से श्रद्धालुओं के कष्ट दूर हो जाते हैं। मंदिर की देखरेख धर्मार्थ ट्रस्ट द्वारा की जाती है जबकि रक्षाबंधन के दिन यहां भगवान के दर्शनों के लिए श्रद्धालुओं खासकर युवाओं का तांता लगा रहता है।

    शादी की कामना के साथ देश भर से आते हैं युवक-युवतियां

    मंदिर के पुजारी अश्विनी शर्मा ने बताया कि रक्षाबंधन और जन्माष्टमी के दिन यहां श्रद्धालुओं का सेलाब उमड़ा होता है। जिन लड़कियों की काफी सालों से शादी नहीं हो रही होती है या फिर किसी तरह की रुकावट आ रही होती हैं, वे रक्षाबंधन के दिन यहां आकर भगवान बलराम को राखी बांधती हैं और शादी के लिए कामना करती है।

    भगवान भी अपने भक्तों की सुनते हैं और एक साल के भीतर ही उस युवती का विवाह हो जाता है। भगवान बलराम को राखी बांधने के लिए जम्मू से ही नहीं दूसरे राज्यों से भी हर साल सैंकड़ों श्रद्धालु आते हैं। केवल युवतियां ही नहीं जिन युवकों के विवाह में भी किसी तरह की अड़चन आ रही होती है, वे भी अपना कामनापूर्ति के लिए भगवान बलराम के चरणों में लड्डू चढ़ाते हैं।

    धूमधाम से मनाया जाता है भगवान बलराम का जन्मोत्सव

    मंदिर में जन्माष्टमी और बलराम के जन्मोत्सव की धूम देखने वाली होती है। रक्षाबंधन के बाद आने वाले रविवार को मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा विशाल भंडारा भी लगाया जाता है। आपको बता दें कि भगवान बलराम का जन्म भगवान श्रीकृष्ण से आठ दिन पहले यानी रक्षाबंधन पर हुआ था। जन्माष्टमी पर भी भगवान बलराम की विधि पूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है और भगवान कृष्ण जी का झूला झुलाया जाता है।

    कालसर्प दोष भी होता है दूर

    भगवाल बलराम को शेषनाग का रूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि तवी नदी के तट पर स्थित ऐतिहासिक मंदिर में विराजमान भगवान बलराम कालसर्प दोष को भी दूर करते हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष है, वे 21 दिनों तक हर दिन मंदिर की 21 बार परिक्रमा करने से इस दोष का निवारण कर सकते हैं।

    इस दोष से ग्रस्त कई श्रद्धालु हर साल मंदिर की परिक्रमा व माथा टेकने के लिए आते हैं। बताको बता दें कि कालसर्प दोष होने से अधिकतर कार्यों में अड़चन रहती है। परिक्रमा की प्रक्रिया पूरी होने के बाद प्रभु के चरणों में चांदी का नाग-नागिन का जोड़ा चढ़ाया जाता है।