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    Jammu News: डिप्टी कमिश्नर जावेद अहमद खान की मुश्किलें बड़ी! फर्जी गन लाइसेंस केस में CBI ने कसा शिकंजा

    By Jagran NewsEdited By: Paras Pandey
    Updated: Thu, 21 Dec 2023 03:00 AM (IST)

    फर्जी गन लाइसेंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने राजौरी के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर फकीर चंद शोपियां के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जावेद अहमद खान तथा प्र ...और पढ़ें

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    लाइसेंस की फीस 60 रुपये थी लेकिन प्रमोद कुमार ने प्रत्येक लाइसेंस के लिए लाभार्थियों से 12 हजार रुपये लिए।

    जेएनएफ, जम्मू। फर्जी गन लाइसेंस केस में सीबीआई की विशेष अदालत ने राजौरी के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर फकीर चंद, शोपियां के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जावेद अहमद खान तथा प्रमोद कुमार पर आरोप तय किए है। सीबीआई केस के मुताबिक बीएसएफ के तत्कालीन एडिशनल डीजी केके शर्मा की शिकायत पर सितंबर 2017 में एफआइआर दर्ज की।

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    आरोप था कि मैसर्स नव दुर्गा गन हाउस मन्हास मार्केट पलोंड़ा जम्मू के मालिक प्रमोद कुमार शर्मा, कमांडेंट सुखविंद्र सिंह, राजौरी के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर फकीर चंद व शोपियां के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर जावेद अहमद खान ने एक साजिश के तहत फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गन लाइसेंस जारी किए।

    केस के मुताबिक प्रमोद कुमार पहले बीएसएफ में कांस्टेबल था और कमांडेंट सुखविंद्र सिंह ने 2013 में प्रमोद कुमार की नव दुर्गा गन हाउस जम्मू के मालिक से मुलाकात कराई और उन्होंने लाभार्थियों से 12 हजार रुपये में एक गन लाइसेंस जारी करवाने के लिए फर्जी दस्तावेजों का सहारा लिया। प्रमोद कुमार ने राजौरी के डिप्टी कमिश्नर के साथ मिलकर साजिश रची और गन लाइसेंस जारी कराए।

    डीसी ने बिना दस्तावेजों की जांच करवाए और नियमों को अनदेखा करके अप्रैल 2013 से नवंबर 2013 के बीच यह लाइसेंस जारी किए। इसी प्रकार प्रमोद कुमार ने शोपियां के डीसी से भी संपर्क किया और वहां भी साजिश के तहत फर्जी दस्तावेजों के आधार पर गन लाइसेंस जारी कराए।

    राजौरी के डीसी ने ऐसे दस लाइसेंस जारी किए जबकि शोपियां के डीसी ने ऐसे दो लाइसेंस जारी किए। गन लाइसेंस की फीस 60 रुपये थी लेकिन प्रमोद कुमार ने प्रत्येक लाइसेंस के लिए लाभार्थियों से 12 हजार रुपये लिए। इसके लिए उसने गुजरात के गांधी नगर स्थित बीएसएफ कैंप में तैनात बीएसएफ जवानों को ठगा।

    कोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद पाया कि आरोपित डीसी ने अपने पदों का दुरुपयोग करते हुए फर्जी गन लाइसेंस जारी किए और प्रमोद कुमार की साजिश में हिस्सेदार बने। कोर्ट ने तीनों आरोपितों पर भ्रष्टाचार के विशेष अधिनियम आइआरपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप तय किए है।