Jammu News: तमाम दावों के बावजूद उपेक्षा से घिरा डेंटल कॉलेज, पढ़ाई छोड़ रहे विद्यार्थी
तमाम दावों के बावजूद आज भी जम्मू में इंदिर गांधी डेंटल कॉलेज उपेक्षा का शिकार है। डेंटल की पढ़ाई करने वालों को रोजगार मिल रहा। यही कारण है कि कई विद्य ...और पढ़ें

रोहित जंडियाल, जम्मू: तमाम दावों के बावजूद आज भी जम्मू में इंदिर गांधी डेंटल कॉलेज उपेक्षा का शिकार है। कॉलेज को स्थापित हुए दो दशक से अधिक हो चुके हैं, लेकिन न तो सुविधाएं बढ़ी हैं और न ही डेंटल की पढ़ाई करने वालों को रोजगार मिल रहा है। यही कारण है कि आधे से अधिक विद्यार्थी बीच में ही पढ़ाई छोड़कर अन्य क्षेत्रों का रुख कर रहे हैं। इस समय भी अंतिम वर्ष में मात्र नौ विद्यार्थी परीक्षा दे रहे हैं।
2008 के बाद नहीं हुआ कोई भी पद सृजित
डेंटल कालेज में शुरू में सिर्फ 25 विद्यार्थियों को बीडीएस (बैचुलर इन डेंटल सर्जरी) में प्रवेश दिया जाता था, बाद में इसकी सीटें बढ़ाकर 50 कर दी गईं और अब ईडब्ल्यूएस में भी 13 सीटें हैं। अभी एक बैच में 63 विद्यार्थी हैं, लेकिन वर्ष 2008 के बाद डेंटल में कोई भी पद सृजित नहीं हुआ।
इस कारण नीट परीक्षा के बाद विद्यार्थी बीडीएस में एडमिशन तो ले लेते हैं, लेकिन लगातार नीट परीक्षा देकर एमबीबीएस में एडमिशन लेने का प्रयास करते रहते हैं।
अंतिम वर्ष तक बचते हैं केवल 10-15 विद्यार्थी
यही कारण है कि 60 विद्यार्थियों का बैच जब अंतिम वर्ष की परीक्षा तक पहुंचता है तो उनकी संख्या 10 से 15 तक ही सीमित होकर रह जाती है। इस बार भी अभी अंतिम वर्ष की परीक्षा देने के लिए मात्र नौ ही विद्यार्थी बचे हैं,
जबकि उसके बाद के बैच में भी मात्र 11 विद्यार्थी हैं। यह बात डेंटल कालेज प्रशासन भी मानता है। यही कारण है कि प्रिंसिपल डा. राकेश गुप्ता ने भी इस बारे में प्रशासनिक विभाग को लिखा है।
बीडीएस में नहीं है रोजगार उपलब्ध
डा. राकेश गुप्ता ने कहा कि इस बारे में प्रशासनिक विभाग से बात हुई है। कोई हल निकाला जाएगा, ताकि सभी विद्यार्थी एक बार एडमिशन लेने के बाद छोड़ें नहीं। वहीं, बीडीएस पूरी कर आए डा. राहुल, डा. नेहा का कहना है कि जब उन्हें रोजगार ही नहीं दिया जा रहा है तो कोई बीडीएस करके क्या करेगा? डेंटल कालेज जम्मू की तरह श्रीगर और सियोढ़ा डेंटल कॉलेज में भी विद्यार्थी पढ़ाई कर रहे हैं।

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