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    जम्मू शहर की स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत के नाम पर पैसे डकार रही निजी कंपनी, काम कर रहे निगम कर्मी

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 11:56 AM (IST)

    जम्मू नगर निगम में स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत का कार्य निजी कंपनी द्वारा ठीक से नहीं किया जा रहा है जिससे निगम के कर्मचारियों पर दबाव बढ़ रहा है। कंपनी को हर तिमाही करीब तीन करोड़ रुपये दिए जा रहे हैं फिर भी मरम्मत का काम नगर निगम के कर्मचारी कर रहे हैं।

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    जेएमसी कर्मचारियों का कहना है कि कंपनी की लापरवाही के कारण उनका काम बढ़ गया है।

    अंचल सिंह, जागरण, जम्मू। जम्मू नगर निगम में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा। एक निजी कंपनी स्ट्रीट लाइटों के लिए हर तीमाही करीब तीन करोड़ रुपये डकार रही है लेकिन पर्याप्त काम नहीं कर रही। मरम्मत कार्य नगर निगम के कर्मचारियों से करवाया जा रहा है। जिससे उनमें रोष व्याप्त है।

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    हालत यह है कि कंपनी के दावे के विपरीत 30 से 35 टीमों के बजाय जमीनी स्तर पर करीब 10 टीमें ही मरम्मत व देखरेख के कार्य कर रही हैं। नतीजतन नगर निगम की इलेक्ट्रिक विंग के कर्मचारियों पर दबाव हैं। नगर निगम की करीब 20 टीमें वार्डों में स्ट्रीट लाइटों को ठीक कर रही हैं।

    साफ है कि जो काम ठेका लेने वाली कंपनी को करना चाहिए, वह निगम के कर्मचारियों से लिया जा रहा है जिससे कंपनी के साथ सांठ-गांठ की शंका पैदा हो रही है।

    नाम न छापने की शर्त पर नगर निगम के संबंधित कर्मचारी बताते हैं कि कंपनी की लापरवाही के कारण उनका काम बढ़ गया है। पैसे तो कंपनी ले रही है और काम उनसे लिया जा रहा है।

    इतना ही नहीं उन पर अधिकारियों का दबाब भी बढ़ा है। उनका कहना है कि जब काम निगम के कर्मचारियों ने ही करना है तो फिर कंपनी को ठेका देने का कोई लाभ नहीं। विगत दिवस निगम आयुक्त ने ऐसे ही तीन कर्मचारियों को निलंबित भी कर दिया था। यह कर्मचारी एनजीओ के माध्यम से लगे हुए हैं।

    जारी है स्ट्रीट लाइटों की मरम्मत का कार्य

    नगर निगम ने शहर भर में खराब स्ट्रीट लाइटों को ठीक करने का कार्य जारी रखा हुआ है। इसी कड़ी में रोजाना किसी ने किसी वार्ड में टीमें खराब स्ट्रीट लाइटों को ठीक करने में जुटी हुई है। एक रोस्टर के आधार पर टीमें वार्डों में पहुंच कर मरम्मत कार्य कर रही हैं। जानीपुर, रूपनगर, गांधीनगर, नानक नगर आदि में मरम्मत कार्य किए जा चुके हैं और कई क्षेत्रों में रविवार को भी काम जारी रहा।

    एक स्काई लिफ्ट का सहारा

    कर्मचारियों का कहना है कि शहर की स्ट्रीट लाइटों को ठीक करने के लिए निगम के पास सिर्फ एक स्काई लिफ्ट है। इतना ही नहीं कोई भी सुरक्षा उपकरण (टेप, प्लास, सीढ़ी आदि) इन कर्मियों को नहीं दिया गया है। न ही मरम्मत से संबंधी सामान भी उपलब्ध हो रहा है। जहां हरेक वार्ड के लिए एक टीम यानि 75 टीमें होनी चाहिए थे, वहां सिर्फ 20 टीमें जमीनी स्तर पर काम करने को मजबूर हैं।

    तैनात हैं 40 एनजीओ कर्मी

    नगर निगम ने कुछ वर्ष पहले एनजीओ के माध्यम से इलेक्ट्रिक विंग में कर्मचारियों को तैनात किया था। मौजूदा समय में 20 के करीब कर्मचारियों की टीमें बनी हुई हैं। हरेक टीम एक लाइनमैन और एक हेल्पर रहता है। चूंकि इलेक्ट्रिक विंग में निगम के अपने स्थायी कर्मचारी 6-7 ही रह गए हैं।

    लिहाजा एनजीओ के माध्यम से तैनात कर्मचारी काम कर रहे हैं। इन कर्मचारियों ने निगम ने अपनी अधीन आने वाले वॉटर कूलर, हाई मास्ट लाइट, पार्काें में लगी लाइटें, हेरिटेज लाइटों का काम लेना था लेकिन ऐसा न करके ईईएसएल का काम इन्हें सौंपा गया है।

    अगस्त 2019 में हुआ था एमओयू

    नगर निगम ने अगस्त 2019 में केंद्र की कंपनी एनर्जी एफिसिएंसी सर्विस लिमिटेड (ईईएसएल) के साथ समझौता किया था। उसके बाद कंपनी ने शहर में स्ट्रीट लाइटें लगाना शुरू की। वर्ष 2024 मार्च तक एक लाख से ज्यादा स्ट्रीट लाइट शहर की 75 वार्डों में लगाई गईं। इतना ही नहीं कंपनी ने कंट्रोल रूम भी स्थापित करना था जहां से हर स्ट्रीट लाइट को आन-आफ किया जा सकता लेकिन ऐसा नहीं हो सका।

    कंपनी पर की जा रही सख्ती

    निगम आयुक्त डा. देवांश यादव का कहना है कि स्ट्रीट लाइटों के मुद्दे पर ईईएसएल पर सख्ती शुरू की है। स्ट्रीट लाइटों के नियमित रखरखाव शेड्यूल का पालन करने और समय पर मरम्मत सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। उनका कहना है कि नगर निगम खराब लाइटों से संबंधित शिकायतों का त्वरित करवा रहा है।