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    एक महीने का वादा, 15 दिनों में किया पूरा... LG मनोज सिन्हा ने आतंकवाद प्रभावित परिवारों को दिए नियुक्ति पत्र

    Updated: Sun, 13 Jul 2025 10:12 PM (IST)

    उपराज्यपाल ने बारामुला में आतंकवाद पीड़ित परिवारों को नियुक्ति पत्र सौंपे। उन्होंने 29 जून 2025 को अनंतनाग में पीड़ितों से मुलाकात की थी और 15 दिनों में अपना वादा पूरा किया। उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक प्रत्येक परिवार का पुनर्वास नहीं हो जाता। पीड़ितों ने अपनी आपबीती सुनाई और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों का पर्दाफाश किया।

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    पीड़ित परिवारों को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने दिया नियुक्ति पत्र (फोटो- एजेंसी)

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। उपराज्यपाल ने आतंकवाद पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए रविवार को बारामुला में पीड़ितों के निकटतम संबंधियों को नियुक्ति पत्र सौंपे।

    उन्होंने 29 जून 2025 को अनंतनाग में आतंकवाद पीड़ित परिवारों से मुलाकात की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि पात्र व्यक्तियों को मात्र 30 दिनों के भीतर नौकरी मिल जाएगी। मगर उन्होंने 15 दिनों के भीतर अपना वादा पूरा करते हुए 40 आतंकवाद पीड़ित परिवारों के सदस्यों को नियुक्ति पत्र सौंपे।

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    उन्होंने कहा कि यह प्रक्रिया तब तक जारी रहेगी जब तक प्रत्येक आतंकवाद पीड़ित परिवार का पुनर्वास नहीं हो जाता। जिन परिवारों के प्रियजनों को आतंकियों ने बेरहमी से मार डाला, उन्होंने भयावह घटनाएं भी सुनाई और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकियों और उनके समर्थकों का पर्दाफाश किया।

    परिवारों से साझा किया दुख-दर्द

    उपराज्यपाल ने आतंकवाद के शिकार परिवारों से बातचीत की और उनके दुख-दर्द को साझा किया। उन्होंने 9 जून 1992 की भयावह घटना का ज़िक्र किया जब वली मोहम्मद लोन के बेटे बशीर लोन की बारामtला के फतेहगढ़ गांव में पास की एक मस्जिद से घर लौटते समय आतंकियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

    एक साल बाद आतंकियों ने वली मोहम्मद लोन के दो अन्य बेटों गुलाम मोहिउद्दीन लोन और अब्दुल राशिद लोन का अपहरण कर लिया। उनके शव कभी नहीं मिले।

    राजा बेगम ने न्याय के लिए 26 साल इंतजार

    कुपवाड़ा के लीलम गांव की राजा बेगम ने न्याय के लिए 26 साल इंतजार किया। 1999 में आतंकियों ने उनके पति गुलाम हसन लोन, बेटों जाविद अहमद और इरशाद अहमद और बेटी दिलशादा की बेरहमी से हत्या कर दी क्योंकि उन्होंने उन्हें शरण देने से इनकार कर दिया था।

    उपराज्यपाल ने कहा कि हम राजा बेगम और आतंकवाद के शिकार सभी परिवारों के साथ मजबूती से खड़े हैं। प्रशासन उन सभी परिवारों की पहचान करने के प्रयास कर रहा है जिन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के कारण नुकसान उठाया है।

    उपराज्यपाल ने कई आतंकवाद प्रभावित परिवारों से मिलने के बाद अपना भावुक अनुभव साझा किया। उन्होंने कहा कि परिवार बहुत भावुक थे। उनमें से कई को पात्र होने के बावजूद सरकारी नौकरी नहीं दी गई। यह उनका अधिकार था।

    उपराज्यपाल ने की ये अपील

    उपराज्यपाल ने जम्मू-कश्मीर के लोगों, मीडिया जगत और देश के प्रत्येक नागरिक से आतंकवाद के वास्तविक पीड़ित परिवारों का सम्मान बहाल करने और उन्हें न्याय दिलाने में प्रशासन का सहयोग करने का आग्रह किया। उन्होंने उनकी पीड़ा और अन्याय की कहानियों को दुनिया के साथ साझा करने की भी अपील की।

    मुख्य सचिव अटल डुल्लू, पुलिस महानिदेशक नलिन प्रभात, प्रमुख गृह सचिव चंद्राकर भारती, कश्मीर के संभागीय आयुक्त विजय कुमार बिधूड़ी, बारामुला के उपायुक्त मिंगा शेरपा, सेव यूथ सेव फ्यूचर फाउंडेशन के अध्यक्ष वजाहत फारूक भट और फाउंडेशन के अन्य सदस्य, वरिष्ठ अधिकारी और आतंकवाद पीड़ितों के परिवार के सदस्य उपस्थित थे।