Jammu Weather: जम्मू में आज बादल और बारिश से मौसम रहेगा सुहावना, खानाबदोशों के लिए बनी मुसीबत
Jammu Kashmir Weather News जम्मू-कश्मीर में डोडा के पहाड़ी क्षेत्रों में बेमौसम बर्फबारी ने खानाबदोश आबादी को संकट में डाल दिया है। उन्हें मवेशियों के साथ अत्यधिक बर्फीली चरागाहों की ओर अपनी आगे के सफर को रोकना पड़ा है।

जम्मू, जागरण संवाददाता। कभी बारिश, कभी धूप, कभी बादल छाए रहने के बाद जम्मू में दो दिनों तक धूप खिली रहने के बाद रविवार को फिर से हल्के बादल छाए। मौसम विज्ञान केंद्र श्रीनगर से मिली जानकारी अनुसार सोमवार को अधिकतर क्षेत्रों में हल्के से घने बादल छाने की संभावना है। कुछ स्थानों पर हल्की बारिश के आसार बन रहे हैं। रविवार को बादल छाए रहने के बाद तापमान में करीब दो डिग्री सेल्सियस तक गिरावट दर्ज की गई। दिन का अधिकतम तापमान 32.4 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
जम्मू-कश्मीर में डोडा के पहाड़ी क्षेत्रों में बेमौसम बर्फबारी ने खानाबदोश आबादी को संकट में डाल दिया है। उन्हें मवेशियों के साथ अत्यधिक बर्फीली चरागाहों की ओर अपनी आगे के सफर को रोकना पड़ा है। खराब मौसम की स्थिति के कारण अधिकारियों ने खानाबदोशों को चार मई तक ऊपरी इलाकों में आगे नहीं बढ़ने के लिए एक सलाह जारी की।गुज्ज्र-बक्करवाल समुदाय का कहना है कि ऊपरी पहाड़ी इलाकों में ताजा बर्फबारी के कारण हम गंभीर संकट में हैं। हम इसमें फंस गए हैं।
बक्करवाल निज़ामदीन का कहना है कि यह हमारे और हमारे मवेशियों के लिए एक कठिन स्थिति है। बर्फबारी के कारण डोडा, किश्तवाड़ और रामबन जिलों के ऊपरी इलाकों में शीतलहर की स्थिति पैदा हो गई है जिससे खानाबदोशों में दहशत फैल गई है। जम्मू-कश्मीर और पंजाब के मैदानी इलाकों से गुज्जर-बक्करवाल इन दिनों पहाड़ी क्षेत्रों की ओर जानवर लेकर जा रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि कैलाश पर्वत श्रृंखला कैंथी, पाड़री गली, भाल पाड़री, सियोज, शंख पादरश् ऋषि डल, गौ-पीड़ा, गण-ठक, खन्नी.टाप, गुलदंडा, छत्तर गल्ला और भद्रवाह के आसपास आशा पति ग्लेशियर में ताजा हिमपात की सूचना मिली है।
उन्होंने बताया कि ब्रैड बाल, नेहयद चिली, शारोंथ धार, कटारधार, कैंथी, लालू पानी, कलजुगसर, दुग्गन टाप, गोहा और सिंथन टॉप के अलावा गंदोह के ऊंचाई वाले घास के मैदानों से भी बर्फबारी की सूचना मिली है।ये उच्च ऊंचाई वाले और विशाल चरागाह गर्मियों के दौरान गुज्जर और बकरवाल जनजातियों से बस जातेे हैं। लेकिन मौसम की स्थिति और बेमौसम बर्फबारी के कारण हरे घास के मैदान बर्फ की मोटी चादर से ढके हैं। सैकड़ों आदिवासी परिवार जो इन क्षेत्रों की ओर जा रहे बढ़ रहे हैं, चिनाब घाटी के विभिन्न हिस्सों में सड़क के किनारे या बर्फ से भरे पहाड़ों में फंस गए हैं और बिना चारे के अपने मवेशियों और बच्चों के साथ खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं।
चरवाहे सतीश कुमार ने बताया कि सरथल से गुलदंडा क्षेत्र में एक सप्ताह से लगातार बर्फीले तूफान में फंसने से उनकी दर्जनों बकरियां मर चुकी हैं। डोडा के उपायुक्त विशेषपाल महाजन ने जिला प्रशासन से सभी आवश्यक मदद का आश्वासन देते हुए सलाह दी कि खानाबदोशों को मौसम की स्थिति को देखते हुए कुछ दिनों के लिए आगे की यात्रा स्थगित कर देनी चाहिए।मौसम विज्ञान विभाग ने पूरी चिनाब घाटी में मई के लिए बारिश और हिमपात की भविष्यवाणी की है। हालांकि 5 मई से मौसम में कुछ सुधार होने की संभावना है। 2011 की जनगणना के अनुसार, चिनाब घाटी के उच्च ऊंचाई वाले घास के मैदान जो भद्रवाह से जवाहर सुरंग, बनिहाल और मरमत डोडा से पाडर और मारवाह किश्तवाड़ तक फैले हुए हैं, 30000 खानाबदोश अपने लाखों भेड़-बकरियों, भैंस, घोड़े, खच्चर के साथ रहते हैं।
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