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    जम्मू-कश्मीर में 48 अफसरों के तबादले से जुड़े LG के फैसले पर विवाद, उमर अब्दुल्ला ने बुलाई विधायकों की बैठक

    Updated: Thu, 03 Apr 2025 03:01 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर में प्रशासनिक अधिकारियों के तबादलों को लेकर राज्य सरकार और उपराज्यपाल के बीच टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शुक्रवार को विधायकों और गठबंधन सहयोगियों की बैठक बुलाई है। बैठक में निर्वाचित सरकार के कामकाज वक्फ संशोधन विधेयक और विधानसभा सत्र के दूसरे चरण पर चर्चा होगी। साथ ही उपराज्यपाल के तबादला फैसले पर भी चर्चा हो सकती है।

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    जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और उपराज्यपाल मनोज सिन्हा (जागरण फोटो)

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में दो दिन पहले हुए जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के 48 अधिकारियों के तबादलों को लेकर एक बार फिर निर्वाचित सरकार और राजभवन के बीच टकराव की स्थिति पैदा होती नजर आ रही है। जेकेएएस अधिकारियों के तबादलों का अधिकार मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को है।

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    उल्लेखनीय है कि गत पहली अप्रैल को जब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और अधिकांश वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ईद के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में व्यस्त थे, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के 48 अधिकारियों के स्थानांतरण और नियुक्ति से जुड़ा आदेश जारी कर दिया। सूची में 12 से अधिक मजिस्ट्रेट शामिल थे।

    हालांकि, प्रदेश सरकार ने इन तबादलों पर सार्वजनिक तौर पर कोई आपत्ति नहीं जताई है, लेकिन मुख्यमंत्री को यह पूरी तरह नागवार गुजरा है और उन्होंने सभी विधायकों और गठबंधन के सहयोगी दलों के सभी विधायकों की शुक्रवार को एक बैठक बुलाई है।

    विधायकों की 4 अप्रैल को बैठक

    नेशनल कॉन्फ्रेंस के मुख्य सचेतक मुबारक गुल ने शुक्रवार को नेशनल कॉन्फ्रेंस के सभी विधायको और गठबंधन के सभी सहयोगियों केा चार अप्रैल, 2025 की सुबह 11 बजे श्रीनगर स्थित मुख्यमंत्री के अधिकारिक निवास में बैठक में शामिल होने के लिए कहा है।

    यह बैठक मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व में होगी। मुबारक गुल ने दैनिक जागरण के साथ बातचीत में कहा कि बैठक में निर्वाचित सरकार के कामकाज, वक्फ संशोधन विधेयक और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के सत्र के दूसरे चरण के लिए जो कि सात अप्रैल को शुरू होगा से संबधित मुद्दों पर विचारविमर्श किया जाएगा।

    कश्मीर तक वंदे भारत को लेकर भी चर्चा

    इसके अलावा बैठक में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के प्रस्तावित दो दिवसीय दौरे और 19 अप्रैल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कटड़ा में वंदे भारत रेलगाड़ी को श्रीनगर के लिए झंडी दिखाए जाने जैसे विषयों पर चर्चा हो सकती है। अलबत्ता, उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा जम्मू कश्मीर प्रशासनिक अधिकारियों के फैसले को लेकर किसी भी तरह की टिप्पणी से इनकार किया।

    इस बीच, नेशनल कॉन्फ्रेंस से संबधित सूत्रों ने बताया कि बैठक मे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा 48 अधिकारियों के तबादले पर- एक ऐसा कदम जो पहले मुख्यमंत्री के अधिकार क्षेत्र में था, से उपजे हालात पर चर्चा होगी। उपराज्यपाल का यह कदम निर्वाचित सरकार और मुख्यमंत्री को नीचा दिखाने जैसा है।

    उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने पहली अप्रैल को जो तबादले किए हैं, वह उन्होंने एक तरह से प्रदेश में नौकरशाही पर अपना पूर्ण नियंत्रण स्थापित करने के लिए किए हैं। इससे निर्वाचित सरकार और विधायकों की नौकरशाही में अहमियत समाप्त होगी।

    मुख्यमंत्री के पास हैं तबादले से जुड़े अधिकार

    उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत 31 अक्टूबर, 2019 को अस्तित्व में आए केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर प्रदेश में बेशक उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के पास सभी प्रमुख प्रशासनिक अधिकार हैं, वह निर्वाचित सरकार के सत्तासीन होने तक जेकेएएस अधिकारियो के तबादले भी करते रहे हैं, लेकिन जेकेएएस अधिकारियों के तबादलों का अधिकार अब मुख्यमंत्री और निर्वाचित सरकार के पास है।

    सिर्फ अखिल भारतीय सेवा कैडर के अधिकारियों के तबादलों का अधिकार निर्वाचित सरकार के पास नहीं है या फिर सुरक्षा संबंधी मामले प्रदेश सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं।

    उन्होंने बताया गत मार्च में ही जम्मू कश्मीर सरकार ने राजभवन और निर्वाचित सरकार के बीच अधिकारों व शक्तियां के उपयोग को लेकर किसी भी तरह भ्रम से बचने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार के कामकाज,अधिकारों व शक्तियों के उपयोग से संबधित नियमों का मसौदा तैयार कर उपराज्यपाल कार्यालय के माध्यम से गृह मंत्रालय (एमएचए) को मंजूरी के लिए भेजा है।

    उमर सरकार ने की थी ये मांग

    निर्वाचित सरकार ने मसौदा नियमों के माध्यम से जम्मू-कश्मीर में डिप्टी कमिश्नरों के पदों को भरने में अधिक भूमिका और निर्वाचित सरकार के एजेंडे को लागू करने के लिए जेकेएएस अधिकारियों पर पूर्ण नियंत्रण की मांग की थी। उन्होंने बताया कि कानून और व्यवस्था एजेंसियों का एक घटक होने के कारण सिविल मजिस्ट्रेटों को भी स्थानांतरित करने पर भी उपराज्यपाल अपना पूर्ण नियंत्रण चाहते हैं।

    नवीनतम तबादलो के जरिए उपराज्यपाल ने अन्य विभागों विशेष रूप से महत्वपूर्ण राजस्व विभाग पर भी अपना प्रभाव बढ़ाने का प्रयास किया है। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को होने जा रही बैठक में मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा किए गए तबादलों और इससे उत्पन्न् हालात पर चर्चा करने के बाद औपचारिक रूप से गृह मंत्रालय के समक्ष अपना विरोध दर्ज कराएगी।

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