Jammu-Kashmir: अनुच्छेद 370 हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई, हसनैन मसूदी बोले- हमारा पक्ष मजबूत
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए के सभी प्रविधानों को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ लगभग 20 याचिकाएं दायर हैं। याचिका दायर करने वालों में आइएएस अधिकारी डा. शाह फैसल भी शामिल थे लेकिन उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली है।नेशनल कान्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता हसनैन मसूदी ने कहा कि हम बेसब्री से सुनवाई शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। अनुच्छेद 370 को हटाए जाने और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के खिलाफ दायर याचिकाओं पर मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं पर सुनवाई होगी। इस बीच, केंद्र सरकार ने इन याचिकाओं के संदर्भ में न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर पांच अगस्त, 2019 के बाद जम्मू कश्मीर के आए बदलाव का जिक्र कतरे हुए अपने फैसले को सही ठहराया है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि केंद्र की दलीलों को बेतुकी और तर्कहीन बताया। वहीं, केंद्रीय मंत्री डा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को संवैधानिक तरीके से ही हटाया गया है।
जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 और 35ए के सभी प्रविधानों को समाप्त करने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ लगभग 20 याचिकाएं दायर हैं। याचिका दायर करने वालों में आइएएस अधिकारी डा. शाह फैसल भी शामिल थे, लेकिन उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली है।
नेशनल कान्फ्रेंस के वरिष्ठ नेता हसनैन मसूदी ने कहा कि हम बेसब्री से सुनवाई शुरू होने का इंतजार कर रहे हैं। हमारा पक्ष मजबूत है। जम्मू कश्मीर का विशेष दर्जा असंवैधानिक तरीके से हटाया गया है। अवामी नेशनल कान्फ्रेंस के कार्यवाहक अध्यक्ष मुजफ्फर शाह ने कहा कि हमारे साथ जो बेइंसाफी हुई है उसे अब अदालत में ही दूर किया जा सकता है।
जितेंद्र सिंह ने कहा कि अनुच्छेद 370 को विधि सम्मत और संवैधानिक तरीके से ही हटाया गया है। यह अनुच्छेद अस्थायी था और इसे कांग्रेस को हटाना चाहिए था, लेकिन उसने सत्ता में रहते हुए ऐसा नहीं किया। जम्मू कश्मीर का आम नागरिक केंद्र सरकार के इस फैसले से खुश है।
इस बीच, केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में दावा किया है कि अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद जम्मू कश्मीर में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार आया है। आतंकी हिंसा व आतंकियों की भर्ती लगभग समाप्त हो चुकी है। पथराव की घटनाएं बंद हो चुकी हैं। हड़ताल व सिलसिलेवार बंद समाप्त हो चुका है। स्कूल-कालेज और व्यापारिक प्रतिष्ठान नियमित पर खुल रहे हैं। पंचायती राज व्यवस्था पूरी तरह बहाल हुई है। आज जम्मू कश्मीर में पंचायत व स्थानीय नगर निकायों में 34 हजार के करीब निर्वाचित प्रतिनिधि हैं।
महबूबा ने केंद्र के हलफनामे में कहा कि सरकार ने अपने गैरकानूनी व असंवैधानिक फैसले को सही ठहराने के लिए तर्कहीन दावे किए हैं। सरकार ने बहुमत का लाभ जम्मू कश्मीर के लोगों को विशेषाधिकार की गारंटी देने वाले संविधान की धज्जियां उड़ाने के लिए किया है। जम्मू कश्मीर के लोगों को डरा-धमकाकर चुप कराया गया है।

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