J&K: उड़ने वाले पक्षियों में सारस क्रेन विश्व का कद में सबसे ऊंचे, सांबा-कठुआ सीमांत बेल्ट में दिखते है
पक्षियों में विश्व में सबसे ऊंचे कद वाला पक्षी ‘सारस क्रेन’ है। ये जम्मू-कश्मीर के सांबा और कठुआ में पाए जाते हैं। जब यह गर्दन उठाता है तो उसकी ऊंचाई तकरीबन इंसान के बराबर चली जाती है। यानी यह 156 सेंटीमीटर तक का कद ले जाता है। इन्ही पक्षियों का परिवार जम्मू संभाग की सांबा- कठुआ सीमांत बेल्ट में पल रहा है।

जम्मू, जागरण संवाददाता: उड़ान भरने वाले पक्षियों में ‘सारस क्रेन’ विश्व में सबसे ऊंचे कद वाला पक्षी है। जब यह गर्दन उठाता है तो उसकी ऊंचाई तकरीबन इंसान के बराबर चली जाती है। यानी यह 156 सेंटीमीटर तक का कद ले जाता है। इन्ही पक्षियों का परिवार जम्मू संभाग की सांबा- कठुआ सीमांत बेल्ट में पल रहा है, जिस पर कुछ पर्यावरणविद् अब अध्ययन करने की तैयारी कर रहे हैं।
सांबा-कठुआ की सीमांत बेल्ट में रहते हैं ये
जम्मू-कश्मीर में यह पक्षी इसी सीमांत बेल्ट में मिलते हैं। बरसों से यहीं रहकर यह पक्षी अपना जीवन यापन कर रहे हैं। हालांकि समय समय पर यह पक्षी दाना पानी के लिए अपने ठिकाने बदलते रहते हैं। यहां तक कि सीमा पार पाकिस्तान भी चले जाते हैं। लेकिन अधिकांश समय इसी सांबा-कठुआ की सीमांत बेल्ट में बीतता है। हालांकि इन पक्षियों की संख्या 10-15 ही होगी, मगर कद काठी में बड़ा होने के कारण यह पक्षी दूर से ही सबकी नजर में आ जाते हैं।
स्थानीय भाषा में सारों कहते हैं लोग
कठुआ की खोखेयाल बेल्ट में इन पक्षियों को आसानी से देखा जा सकता है। चूंकि स्थानीय लोगों का इन पक्षियों के प्रति लगाव है। वे इन पक्षियों को न ही तंग करते हैं और न ही किसी को मारने देते हैं। यहीं कारण है कि यहां के खेत खलिहानों में सारस आसानी से दानी पानी चुगते नजर आ जाएंगे। स्थानीय भाषा में लोग इन पक्षियों को सारों कहते हैं। इन पक्षियों के बारे में और अधिक जानने का प्रयास होगा।
इन पक्षियों पर नजर रख रही व अध्ययन कर रही वंशिका ने बताया कि हमें यहां सारस क्रेन देखकर बहुत प्रसन्नता होती है। यह पक्षी यही बने रहे, इसके लिए कुछ अध्ययन जरूरी है। हम इसके रहन सहन के बारे में जानने का प्रयास कर रहे हैं।
जम्मू-कश्मीर की शान है सारस क्रेन
वहीं पर्यावरणविद् एवं समाजसेवी चंद्र मोहन शर्मा का कहना है कि सारस क्रेन पक्षी जम्मू-कश्मीर की शान है। अच्छी बात तो यह है कि इन पक्षियों को लोगों का संरक्षण मिल ही रहा है। नहीं तो ऊंचे कद वाले यह पक्षी यहां रह नहीं रहे होते। इसलिए अब समय आ गया है कि हमें इन पक्षियों के बारे में और अधिक जानना होगा।
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