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    जम्मू-कश्मीर में EWS और दुर्गम पिछड़ा क्षेत्र वर्ग के आरक्षण में कटौती की तैयारी, जनरल को इतना रिजर्वेशन दे सकती है अब्दुल्ला सरकार

    Updated: Thu, 04 Dec 2025 05:30 AM (IST)

    उमर अब्दुल्ला कैबिनेट जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति में बदलाव करने की तैयारी में है। सामान्य वर्ग के लिए न्यूनतम 10% आरक्षण बढ़ाने की योजना है, जिसके ल ...और पढ़ें

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    राज्य ब्यूरो, जागरण, जम्मू। उमर कैबिनेट ने जम्मू-कश्मीर में आरक्षण नीति में बदलाव करते हुए सामान्य वर्ग के हिस्से में न्यूनतम 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी करने की तैयारी की है। इसके लिए आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) और दुर्गम पिछड़ा इलाका (रिमोट बैकवर्ड एरिया-आरबीए) वर्ग के कोटे पर कथित तौर पर कैंची चलाई गई है।

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    हालांकि सरकार की तरफ से बुधवार देर रात तक इसकी पुष्टि नहीं की गई, लेकिन सूत्रों ने बताया कि ईडब्ल्यूएस के आरक्षण कोटे में सात और आरबीए के कोटे में तीन प्रतिशत की कमी का प्रस्ताव उमर कैबिनेट ने मंजूर किया है और इसे अनुमोदन के लिए उपराज्यपाल के कार्यालय में भेजा जाएगा।सूत्रों ने बताया कि बुधवार सुबह मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में आरक्षण नीति को युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित कैबिनेट उप समिति की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू करने का फैसला किया गया।

    कैबिनेट उप समिति ने अपनी सिफारिशों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति के दोनों वर्गों, अन्य पिछड़ा वर्ग और वास्तविक नियंत्रण रेखा व अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सटे निवासियों के लिए तय आरक्षण कोटे में किसी भी तरह का बदलाव न करने की सिफारिश की है। मौजूदा समय में अनुसूचित जाति के लिए आठ, अनुसूचित जनजाति के वर्ग-एक और वर्ग-दो के लिए 10-10 (कुल 20 प्रतिशत), अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आठ, वास्तविक नियंत्रण रेखा व अंतरराष्ट्रीय सीमा के साथ सटे निवासियों के लिए चार, आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए 10 और आरबीए के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण है।

    किसे कितना आरक्षण देने का प्रवधान?

    इसके साथ ही पूर्व सैनिकों के लिए छह और दिव्यांग जनों के लिए चार प्रतिशत हारिजांटल आरक्षण का प्रविधान है। जम्मू-कश्मीर में बीते आठ वर्ष के दौरान आरक्षण कोटे में व्यापक बदलाव हुआ है। पहले यह 50 प्रतिशत के आसपास था, जिसे बाद में बढ़ाया गया। आरबीए जो मौजूदा समय में 10 प्रतिशत है, कभी 20 प्रतिशत था। आरक्षित वर्गों के कोटे में बढ़ोतरी के बाद जम्मू-कश्मीर में ओपन मेरिट अथवा सामान्य वर्ग के लिए सरकारी नौकरियों और सरकारी शिक्षण संस्थानों में अवसर घटने के आरोप लगे। ओपन मेरिट वर्ग से संबंधित युवाओं में रोष का मुद्दा गत वर्ष हुए विधानसभा चुनाव में भी छाया रहा।

    मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास के बाहर पिछले वर्ष दिसंबर में कश्मीर के युवाओं ने आरक्षण कोटे को युक्तिसंगत बनाने के लिए धरना दिया था। इस धरने को भाजपा के अलावा अन्य सभी दलों ने समर्थन किया। नेशनल कान्फ्रेंस के सांसद आगा सैयद रुहुल्ला इस धरने की अगुवाई करते नजर आए थे, हालांकि बाद में उन्होंने कहा था कि वह वहां प्रदर्शनकारी छात्रों का समर्थन करने के लिए पहुंचे थे।

    22 दिसंबर तक आरक्षण का मामला हल करने की चेतावनी

    उन्होंने गत दिनों एक बार फिर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के निवास के बाहर प्रदर्शन की चेतावनी देते हुए सरकार को 22 दिसंबर तक आरक्षण का मामला हल करने की चेतावनी तक दी है। उपराज्यपाल अंतिम निर्णय से पहले लेंगे केंद्र की सलाहसूत्रों ने बताया कि कैबिनेट के प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी के लिए उपराज्यपाल के पास भेजा जाएगा। अगर इसे मंजूरी मिल जाती है तो इस फैसले से ओपन मेरिट के लिए 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी।

    इससे वर्टिकल रिजर्वेशन में ओपन मेरिट की हिस्सेदारी बढ़कर 50 प्रतिशत हो जाएगी। उपराज्यपाल को भी अंतिम निर्णय देने से पहले केंद्र सरकार को सूचित करना पड़ेगा, क्योंकि जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश सरकार के कामकाज के नियम, 2019 के मुताबिक ऐसा करना आवश्यक है।

    हमें नहीं पता कि प्रदेश कैबिनेट ने आज आरक्षण को लेकर क्या निर्णय लिया है। जब इसे सार्वजनिक किया जाएगा, तभी हम कुछ कह सकते हैं। अभी कोई प्रतिक्रिया व्यक्त करना जल्दबाजी होगी। लेकिन एक बात स्पष्ट है कि भाजपा किसी भी वर्ग के साथ अन्याय सहन नहीं करेगी। -हरि दत्त शिशु, भाजपा प्रवक्ता