अब 13 जुलाई और पांच दिसंबर पर सियासत शुरू, महबूबा मुफ्ती ने CM उमर को घेरा; आखिर क्यों मचा बवाल?
पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला सरकार के 13 जुलाई और 5 दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के वादे पर संदेह जताया। उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला केंद्र सरकार के आगे झुक गए हैं। महबूबा ने विधानसभा स्पीकर द्वारा पीडीपी के प्रस्ताव को खारिज करने की भी बात कही।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर में 13 जुलाई और पांच दिसंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित करने के वादे की गंभीरता पर सवाल उठाया है। कश्मीर के लोगों की भावनाओं से जुड़े इस अहम मुद्दे पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला की चुप्पी कई सवाल पैदा करती है।
महबूबा ने कहा कि उमर पूरी तरह से केंद्र सरकार और भाजपा के आगे घुटने टेक चुके हैं,अन्यथा वह 13 जुलाई और पांच दिसंबर के अवकाश के मुद्दे पर सिर्फ दिखावा करने के बजाय पूरी गंभीरता से कोई कदम उठाते।
13 जुलाई का दिन हमें उस दिन की याद दिलाता है जब कश्मीरियों ने महाराजा के खिलाफ बगावत कर कश्मर में लोकतंत्र की बहाली के आंदोलन को नई दिशा दी।
अगर विधानसभा के मौजूदा स्पीकर ने में इसी मुद्दे पर पीडीपी के प्रस्ताव को खारिज नहीं किया होता, तो स्थिति कुछऔर होती। अगर अब मुख्यमंत्री या उनकी पार्टी के नेता 13 जुलाई या पांच दिसंबर के अवकाश की बहाली के लिए प्रस्ताव लाने की बात करते हैं तो यह सिर्फ लोगों केा मूर्ख बनाने जैसा ही होगा।
नेकां मनाएगी 13 जुलाई का समारोह, मांगी अनुमति
13 जुलाई के अवकाश और श्रद्धांजलि समारोह को लेकर कश्मीर में तेज हुई सियासत के बीच सत्ताधारी दल नेशनल कान्फ्रेंस ने जिला मजिस्ट्रेट श्रीनगर से लिखित में आग्रह किया है कि उसे 13 जुलाई 1931 में महाराजा हरि सिंह के खिलाफ विद्रोह में मारे गए लोगों की मजार पर श्रद्धांजली अर्पित करने की अनुमति दी जाए।
इससे पहले अपनी पार्टी और पीडीपी ने सरकार से पांच अगस्त 2019 से पहले की तरह राजकीय अवकाश की मांग की है।
नेकां के महासचिव अली मोहम्मद सागर ने जिला मजिस्ट्रेट श्रीनगर को पत्र लिखरक सूचित किया है कि पार्टी प्रमुख डॉ. फारूक अब्दुलला और अन्य वरिष्ठ नेता नक्शबंद साहिब नौहट्टा में 13 जुलाई की सुबह आठ बजे 1931 को मारे गए लोगों के मजार पर जाकर श्रद्धांजलि अर्पित करना चाहते हैं।
आपसे आग्रह है कि हमें प्रस्तावित समय के मुताबिक वहां जमा होने और श्रद्धांजली अर्पित करने की अनुमति दी जाए ताकि बाद में किसी भी तरह का भ्रम पैदा न हो।
हमने श्रीनगर के जिला मजिस्ट्रेट को औपचारिक रूप से पत्र लिखकर मज़ार-ए-शुहादा पर शांतिपूर्वक एकत्रित होने और पुष्पांजलि अर्पित करने की अनुमति मांगी है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।