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Jammu-Kashmir News: अब इस्लामिक त्योहार मनाने में पाकिस्तान की नहीं कश्मीर की चलेगी

कश्मीरियों ने पाकिस्तान को करारा झटका दिया है। इस्लामिक त्योहार मनाने में पाकिस्तान की नहीं कश्मीर की चलेगी। कश्मीरियों ने अब अपनी अलग रुयत-ए-हिलाल समिति बनाने का फैसला किया है। दरअसल पहले कश्मीर में ईद रमजान और त्योहार पाकिस्तान की रूयत-ए-हिलाल समिति के ऐलान के मुताबिक मनाए जाते रहे हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaPublished: Thu, 23 Mar 2023 11:23 PM (IST)Updated: Thu, 23 Mar 2023 11:23 PM (IST)
Jammu-Kashmir News: अब इस्लामिक त्योहार मनाने में पाकिस्तान की नहीं कश्मीर की चलेगी
अब इस्लामिक त्योहार मनाने में पाकिस्तान की नहीं कश्मीर की चलेगी

श्रीनगर, जागरण संवाददाता : कश्मीरियों ने फिर पाकिस्तान को करारा झटका दिया है। अब इस्लामिक त्योहार मनाने में पाकिस्तान की नहीं कश्मीर की चलेगी। कश्मीरियों ने अब अपनी अलग रुयत-ए-हिलाल समिति बनाने का फैसला किया है। दरअसल पहले कश्मीर में ईद, रमजान और अन्य इस्लामिक त्योहार पाकिस्तान की रूयत-ए-हिलाल समिति के ऐलान के मुताबिक ही मनाए जाते रहे हैं।

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इस्लामिक त्योहार की आड़ में पाकिस्तान का दुष्प्रचार पर प्रहार करना

इस बार अपनी समिति बनाने के अलावा रमजान माह में हजरतबल दरगाह में होने वाली तरावीह का केबल नेटवर्क और वक्फ बोर्ड के फेसबुक पेज पर प्रसारण भी होगा। अन्य जियारतगाहों से भी क्रमानुसार तरावीह के प्रसारण की व्यवस्था की जा रही है। कश्मीरियों के इस फैसले का मकसद पाकिस्तान के अनावश्यक हस्ताक्षेप को रोकना और इस्लामिक त्योहार की आड़ में पाकिस्तान का दुष्प्रचार पर प्रहार करना है।

कई बार ईद व रमजान को लेकर असमंजस की स्थिति बनती रही

बता दें कि देश में भी रूयत-ए-हिलाल समिति है, लेकिन कश्मीर में अलगाववादियों और जिहादी संगठनों के दबाव के कारण ईद व अन्य इस्लामिक पर्वों को मनाने का फैसला रूयत-ए-हिलाल समिति पाकिस्तान के मुताबिक ही होता आया है। अगर कभी किसी ने विरोध किया तो उसे इस्लाम का दुश्मन करार देकर चुप करा दिया जाता रहा है। इस कारण कई बार ईद व रमजान को लेकर असमंजस की स्थिति बनती रही है। बीते बुधवार को यही हुआ। कश्मीर समेत पूरे देश में कहीं चांद नजर न आने पर उलेमाओं ने शुक्रवार को रमजान शुरू होने का ऐलान किया।

इसलिए हमारी अलग रुयत-ए-हिलाल समिति जरूरी

मौलवी एजाज अहमद के मुताबिक, इस्लाम में किसी क्षेत्र की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर चांद नजर आने और उसके आधार पर त्योहार तय करने पर एतराज नहीं है। अगर एतराज होता तो फिर सऊदी अरब में जिस दिन ईद मनाई जाती है तो पूरी दुनिया में उसी दिन होनी चाहिए। इसलिए हमारी अलग रुयत-ए-हिलाल समिति जरूरी है। इसमें किसी को एतराज नहीं होना चाहिए।

जम्मू-कश्मीर की अपनी अलग रुयत-ए-हिलाल समिति होगी

जम्मू कश्मीर वक्फ बोर्ड की अध्यक्ष डा. द्रख्शां अंद्राबी ने कहा कि हमारे उलेमा, मौलवी और मुफ्ती काबिल हैं। इसलिए जम्मू-कश्मीर की अपनी अलग रुयत-ए-हिलाल समिति का गठन किया जाएगा। जनता के सुझाव लिए जाएंगे। हजरत दरगाह में होने वाली तरावीह का सीधा प्रसारण किया जाएगा। यह प्रसारण केबल नेटवर्क और कुछ निजी न्यूज चैनलों के अलावा जम्मू-कश्मीर वक्फ बोर्ड के अधिकारिक फेसबुक पृष्ठ के जरिये होगा।

वक्फ बोर्ड के अधीन सभी मस्जिदों, खानकाहों और जियारतगाओं में इमाम, खतीब, उलेमा, मुफ्ती अपने खुतबा के जरिये श्रद्धालुओं को सामाजिक बुराइयों से लड़ने, कन्या भ्रूण नष्ट करने की बढ़ती निंदाजनक मानसिकता को दूर करने, युवाओं को नशे से बचाने व कश्मीर में शांति व खुशहाली में योगदान के लिए प्रेरित करेंगे।

क्या है तरावीह 

तरावीह एक तरह की नमाज है और यह सिर्फ रमजान के दिनों में ही ईशा जिसे रात की अंतिम नमाज कहते हैं के बाद ही पढ़ी जाती है। रमजान का चांद नजर आने के बाद रात से ही इसकी शुरुआत हो जाती है और ईद से पहले आखिरी रमजान तक पढ़ा जाता है। इस्लामिक मान्यता के मुताबिक, रमजान में पूरे महीने ईशा की नमाज के बाद 20 रकात तरावीह की नमाज पढ़ा जाने का विधान है।

30 दिन में कुरान मुकम्मल हो जाती

मान्यता है कि पूरे रमजान में तरावीह में कुरान सुनाई जाए। इसमें एक इमाम तेज अवाज में कुरान पढ़ता है बाकी उसके पीछे जितने भी लोग खड़े होते हैं वह सब उसे सुनते हैं। इस दौरान बीच-बीच में दुआ मांगी जाती है। हर दिन कुरान का एक अध्याय सुना जाता है और 30 दिन में कुरान मुकम्मल हो जाती है। कई बार कुछ लोग अपनी सहूलियत के मुताबिक, एक दिन में एक ज्यादा अध्याय भी पढ़ते हैं।


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