Jammu-Kashmir News: बसोहली चित्रकला को मिली पहचान, मिला जीआई टैग: आर्थिक समृद्धि को मिलेगा बढ़ावा
अरसे के बाद बसोहली चिकला को उसकी खोई हुई पहचान मिली है। जैसे ही केंद्रीय मंत्री डा जितेंद्र सिंह द्वारा इसके बारे में ट्विटर पर ट्वीट किया गया और उसी ...और पढ़ें

बसोहली, संवाद सहयोगी : अरसे के बाद बसोहली चिकला को उसकी खोई हुई पहचान मिली है। जैसे ही केंद्रीय मंत्री डा जितेंद्र सिंह द्वारा इसके बारे में ट्विटर पर ट्वीट किया गया और उसी समय लोगों ने सोशल मीडिया पर इसे शेयर करना शुरू कर दिया। उसके बाद बसोहली चित्रकला एक पहचान बन गई। पहले देश में फिर विदेश में अब तो इसे जीआई टैग की सुविधा मिलने पर लोग हर्षित हैं।
भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त हुआ
विश्व प्रसिद्ध 'बसोहली पेंटिंग' को नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड) जम्मू द्वारा अनुमोदन के बाद भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग प्राप्त हुआ है। मुख्य रूप से, भौगोलिक संकेत (जीआई) बौद्धिक संपदा अधिकार का एक रूप है जो एक विशिष्ट भौगोलिक स्थान से उत्पन्न होने वाले और उस स्थान से जुड़ी विशिष्ट प्रकृति, गुणवत्ता और विशेषताओं वाले सामानों की पहचान करता है।
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद मिला टैग
नाबार्ड द्वारा दिसंबर 2020 में कोविड के कठिन समय के दौरान जम्मू क्षेत्र के उत्पादों के 9 उत्पादों की जीआई टैगिंग की प्रक्रिया हस्तशिल्प और हथकरघा विभाग के परामर्श से शुरू की गई थी। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद आखिरकार इन उत्पादों को जीआई टैग प्रदान कर दिया गया है। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर देश को 33 जीआई टैग मिलने पर बधाई दी, जो एक साल में सबसे ज्यादा है।
कठुआ जिले की बसोहली पेंटिंग को मिला पहला टैग
31 मार्च 2023 को जीआई टैग प्राप्त करने वाले 33 उत्पादों की सूची में यूटी जम्मू और कश्मीर के उत्पादों को शामिल किया गया है। जीआई पंजीकरण के इतिहास में पहली बार जम्मू क्षेत्र को हस्तशिल्प के लिए जीआई टैग मिला है। कठुआ जिले की बसोहली पेंटिंग जम्मू क्षेत्र का पहला स्वतंत्र जीआई टैग उत्पाद है। अब, केवल एक अधिकृत उपयोगकर्ता के पास इन उत्पादों के संबंध में भौगोलिक संकेत का उपयोग करने का विशेष अधिकार है। इसके कारण कोई भी व्यक्ति अपने भौगोलिक क्षेत्रों से बाहर इसकी नकल नहीं कर सकता है।
हितधारकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा
यह तीसरे पक्ष द्वारा इन पंजीकृत भौगोलिक संकेतक सामानों के अनधिकृत उपयोग को रोकेगा और निर्यात को बढ़ावा देगा और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने ब्रांडों को बढ़ावा देगा, जिससे देश के सकल घरेलू उत्पाद में योगदान सहित उत्पादकों और संबंधित हितधारकों की आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिलेगा।
नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक डॉ. अजय कुमार सूद ने यूटी सरकार के संबंधित विभागों, सभी जीआई आवेदक संगठनों और विशेष रूप से उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के कुशल नेतृत्व का आभार व्यक्त किया।बसोहली पेंटिंग का इतिहास कस्बे के वरिष्ठ नागरिक एवं स्तंभकार शिव कुमार पाधा के अनुसार बसोहली पेंटिंग आदि काल से प्रसिद्ध थी।
पांडुलिपियों में भी मौजूद बसोहली पेंटिंग
कई पांडुलिपियों में भी बसोहली पेंटिंग में देखी जा सकती है। बसोहली पेंटिंग को 16वीं शताब्दी में राजा कृष्ण पाल ने शुरू किया। उन की मृत्यु के बाद भूपत पाल उन के बेटे ने इसे जारी रखा। चित्रकारों को पेंटिंग बनाने के प्रति प्रोत्साहित किया जाता और उन का मार्ग दर्शन किया जाता। पीढ़ी दर पीढ़ी यह चलती रही। जहांगीर दरबार में भूपत पाल बसोहली की पेंटिंग को तोहफे के रूप में लेकर गये और इसे भारत का पटल मिला।
चित्रकार हुए खुश
बसोहली पेंटिंग को अपने तौर पर विश्व पटल पर लाने के प्रयास कर रहे बसोहली के चित्रकारों का कहना है कि अब समय आया कि इसे खोई पहचान मिल पाई है। जीआई टैग मिलने पर हम खुश हैं अब हमारी पेंटिंग ग्लोबल होंगी। अच्छे दाम मिलेंगे और हम सभी चित्रकारों का भविष्य संवार पाएगा। सोना पाधाजीआई टैग मिलना चित्रत्रकारों के लिये गर्व की बात है। इससे पूर्व किसी ने इस पर कार्रवाई नहीं की अगर की होती तो यह कला लुप्त होने के कगार पर ना पहुंचती। धीरज कपूर विश्व प्रसिद्ध बसोहली पेंटिंग को अब अलग ठिकाना मिला है।
चित्रकारों की पहचान के लिये जीआई टैग महत्वपूर्ण
पहले से ही विश्व में बसोहली की पेंटिंग को कई म्यूजियम जो वलर्ड क्लास हैं उन में देखा जा सकता है जैसे लंदन की म्यूजियम अब जीआई टैग मिलने से बहुत कुछ बदलेगा। सोहन सिंह बलौरिया बसोहली पेंटिंग को जीआई टैग मिलने पर हम खुश हैं। जल्द इस पर कार्रवाई शुरू होगी। बसोहली चित्रकला और चित्रकारों को पहचान दिलाने के लिये जीआई टैग महत्वपूर्ण है। बसोहली वासियों को इससे ज्यादा तोहफ और क्या मिल सकता है। एडीसी बसोहली अजीत सिंह

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