Roshni Lan Scam: 21 याचिकाओं पर 22 दिसंबर को सुनवाई करेगा जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट
रोशनी एक्ट खारिज करने व सरकारी जमीन खाली करवाने के जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए 21 याचिकाएं दायर हुई हैं। इसमें सरकार की पुनर्विच ...और पढ़ें

जम्मू, जेएनएफ: रोशनी एक्ट के तहत सरकारी जमीन का मालिकाना अधिकार पाने वाले जम्मू कश्मीर के आम लोगों को राहत प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से हाईकोर्ट में दायर याचिका समेत अन्य सभी याचिकाओं पर अब 22 दिसंबर को सुनवाई होगी।
रोशनी एक्ट खारिज करने व सरकारी जमीन खाली करवाने के जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए 21 याचिकाएं दायर हुई है। इसमें सरकार की ओर से दायर पुनर्विचार याचिका भी शामिल है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने अब इन सब पर 22 दिसंबर को सुनवाई करने का फैसला लिया है।
इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी कई लोगों ने याचिका दायर की है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को 21 दिसंबर तक मामले में फैसला लेने के निर्देश दिए थे, लेकिन अब हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने 22 दिसंबर की तारीख निर्धारित की है।
बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान जम्मू-कश्मीर के एडवोकेट जनरल डीसी रैना ने बेंच को बताया कि हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ 21 पुनर्विचार याचिकाएं दायर हुई हैं लेकिन रजिस्ट्रार ने केवल 11 याचिकाओं को ही बेंच के सामने रखा है। ऐसे में सभी याचिकाओं को सुना जाना जरूरी है। इस पर बेंच ने केस की सुनवाई 22 दिसंबर को निर्धारित करते हुए कहा कि 21 दिसंबर तक इस मामले को लेकर जो भी याचिकाएं दायर होती हैं, सबको एक साथ पेश किया जाए।
यहां बता दे कि जम्मू कश्मीर सरकार की ओर से दायर आवेदन में हाईकोर्ट से रोशनी एक्ट को खारिज करने व इसके तहत दिए गए जमीन के मालिकाना अधिकार खारिज कर जमीन वापस लेने के फैसले पर दोबारा गौर करने की अपील की गई है। सरकार ने अपने आवेदन में कहा है कि रोशनी एक्ट के तहत जम्मू-कश्मीर के कई लोगों ने तत्कालीन कानून के तहत आवेदन कर सरकारी जमीन के मालिकाना अधिकार हासिल किए हैं। काफी संख्या में लोगों ने जमीनों के मालिकाना अधिकार हासिल करने के बाद घर व दुकानें भी बनाई है।
काफी संख्या में किसान भी हैं जो रोशनी एक्ट के तहत जमीन पाकर खेती कर रहे हैं। इन लोगों ने तत्कालीन सरकार की ओर से निर्धारित प्रीमियम की अदायगी कर जमीन का मालिकाना अधिकार हासिल किया, ऐसे में हाईकोर्ट के फैसले से आम आदमी प्रभावित न हो, इसके लिए पूर्व में जारी आदेश में आवश्यक संशोधन किया जाना चाहिए।
यहां बता दें कि हाई कोर्ट ने रोशनी एक्ट को गैरकानूनी बताते हुए इसके तहत तमाम आवंटन रद कर दिए थे और मामले की जांच सीबीआइ को करने के निर्देश भी दिए थे। कोर्ट ने इसे जमीन की खुली लूट बताया था। अब राज्य सरकार ने इस फैसले पर पुनर्विचार के लिए याचिका लगाई है। कई अन्य लाभार्थियों ने भी इस मामले में अपनी याचिकाएं डाली हैं।

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