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    हाईकोर्ट ने जम्मू में क्रिकेट स्टेडियम पर मांगी रिपोर्ट, 100 करोड़ मंजूर होने पर भी स्टेडियम नहीं बना

    By Rahul SharmaEdited By:
    Updated: Fri, 01 Apr 2022 08:14 AM (IST)

    सुनवाई में एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश सरकार स्टेडियम के लिए 500 से 600 कनाल (60 से 80 एकड़) जमीन देने पर राजी हो गई थी। जम्मू के बजालता में जमीन की निशानदेही करने के लिए कमेटी का गठन भी किया गया था।

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    बीसीसीआई ने 100 करोड़ रुपये मंजूर भी कर दिए थे। इसके बावजूद स्टेडियम को बनाने का काम शुरू नहीं हुआ।

    जम्मू, जेएनएफ : जम्मू में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर हाईकोर्ट ने रिपोर्ट मांगी है। इसके साथ ही युवा मामलों एवं खेल मंत्रालय को उप सचिव पद के एक अधिकारी को जम्मू भेजने और स्टेडियम के लिए जगह चिन्हित करने में सहयोग करने का आदेश दिया है। इसके अलावा जम्मू कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) के महासचिव को भी अगली सुनवाई के दौरान स्टेडियम निर्माण के प्रस्तावों पर विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

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    हाईकोर्ट ने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन की याचिका पर वीरवार को सुनवाई की है। इसके एसोसिएशन ने कहा था कि जम्मू के बजालता में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनना था। इसके लिए बीसीसीआई ने 100 करोड़ रुपये मंजूर भी कर दिए थे। इसके बावजूद स्टेडियम को बनाने का काम शुरू नहीं हुआ।

    सुनवाई में एडवोकेट जनरल ने हाईकोर्ट को बताया कि प्रदेश सरकार स्टेडियम के लिए 500 से 600 कनाल (60 से 80 एकड़) जमीन देने पर राजी हो गई थी। जम्मू के बजालता में जमीन की निशानदेही करने के लिए कमेटी का गठन भी किया गया था। इसके लिए सिंचाई विभाग के विशेषज्ञों ने मौके पर जाकर मुआयना भी किया था और पाया कि चिन्हित जमीन स्टेडियम निर्माण के लिए उचित नहीं क्योंकि यहां बाढ़ का खतरा है। इसके बाद कमेटी ने जम्मू के ही बाईं बजालता में 60 कनाल जमीन चिन्हित की। इसके लिए अब बीसीसीआइ टीम को जमीन का मुआयना करके रिपोर्ट देनी थी।

    हाईकोर्ट ने पूरे मामले पर गौर करने के बाद पाया कि जम्मू में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट निर्माण का मुद्दा 2005 से लंबित है। इसमें सरकार जमीन देने को तैयार है और बीसीसीआई ने पैसा भी मंजूर कर दिया है। ऐसे में इसमें विलंब नहीं होना चाहिए। लिहाजा केस की अगली सुनवाई के दौरान अब तक हुई कार्रवाई पर पूरी रिपोर्ट दी जाए ताकि बेंच इस पर कोई उचित निर्देश जारी कर सके।