JK Land Scam: कांग्रेस नेता Raman Bhalla के मार्बेल मार्केट में कब्जे की सुनवाई अब डिवीजन बेंच करेगी
कांग्रेस नेता रमण भल्ला पर आरोप है कि शहर की मार्बल मार्केट में उनके बंगले का एक हिस्सा सरकारी जमीन पर कब्जा कर खड़ा किया गया है। मामले को लेकर हाईकोर्ट ने इससे पूर्व राजस्व विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
जम्मू, जेएनएफ: जम्मू-कश्मीर के पूर्व राजस्व मंत्री और कांग्रेस नेता रमण भल्ला द्वारा जम्मू के मार्बल मार्केट में सरकारी जमीन कब्जाने के आरोपों की सुनवाई अब हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच करेगी। इस मामले को रोशनी एक्ट के नाम पर और अन्य सरकारी जमीन से लूट मामले में चल रहे मामले से अटैच कर दिया गया है।
हाई कोर्ट की बेंच ने 9 अक्टूबर को 20 लाख कनाल सरकारी भूमि पर कब्जे की जांच सीबीआइ को सौंप दी थी और इससे जुड़े रसूखदारों के नाम सार्वजनिक करने के भी आदेश दिए थे।
वहीं रमण भल्ला के मामले की सुनवाई पहले से ही हाई कोर्ट की एकल पीठ कर रही थी। बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस जावेद इकबाल वानी ने कहा कि खंडपीठ पहले से ही बहुचर्चित रोशनी घोटाले के तहत सरकारी जमीन पर कब्जों के मामलों में सुनवाई कर रही है। यह मामला भी सरकारी जमीन पर कब्जे से जुड़ा है, लिहाजा इसे डिवीजन बेंच के समक्ष रखा जाए। जस्टिस वानी ने रजिस्ट्री विंग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए।
कांग्रेस नेता भल्ला पर आरोप है कि शहर की मार्बल मार्केट में उनके बंगले का एक हिस्सा सरकारी जमीन पर कब्जा कर खड़ा किया गया है। मामले को लेकर हाईकोर्ट ने इससे पूर्व राजस्व विभाग को आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए थे, लेकिन भल्ला को कोर्ट से अंतरिम राहत मिलने पर कार्रवाई रोक दी गई।
भल्ला के खिलाफ दायर याचिका में कहा गया है कि पूर्व राजस्व मंत्री ने विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर सरकारी जमीन पर कब्जा किया। याची की ओर से पेश हुए एडवोकेट शेख शकील ने कहा कि मार्बल मार्केट में करीब 154 कनाल सरकारी जमीन 2004 में जम्मू विकास प्राधिकरण (जेडीए) को स्थानांतरित की गई थी। जेडीए ने जमीन की उचित देखभाल नहीं की और करोड़ों रुपये की जमीन पर कब्जा कर लिया गया। इसके साथ बने रिसोर्ट और अन्य लोगों ने भी इस जमीन पर कब्जा जमा लिया।जमीन पर कब्जे के बाद जेडीए और राजस्व विभाग एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते रहे।
याची के वकील ने बेंच से अनुरोध किया कि चूंकि यह भी सरकारी जमीन पर कब्जे का मामला है। इसके अलावा हाई कोर्ट की खंडपीठ पहले से ही 20 लाख कनाल सरकारी जमीन पर कब्जे मामले की सुनवाई कर रही है। लिहाजा इसे उस जनहित याचिका में शामिल किया जाना चाहिए।