जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट का सामूहिक दुष्कर्म मामले में बड़ा फैसला, मिनीबस कंडक्टर को दी गई 10 साल की सजा रद्द
जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म मामले में मिनीबस कंडक्टर की 10 साल की सजा रद्द कर दी। अदालत ने निचली अदालत द्वारा प्रक्रियात्मक नियमों का पा ...और पढ़ें

पीड़िता की शिकायत पर दर्ज हुआ था मामला, आरोपियों पर लगे थे गंभीर आरोप।
जेएनएफ, जम्मू। सामूहिक दुष्कर्म के एक मामले में जम्मू-कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट ने ऊधमपुर के सेशन कोर्ट द्वारा आरोपित को सुनाई गई सजा को खारिज करते हुए आरोपित को बरी कर दिया है।
वर्ष 2005 में ऊधमपुर के मिनीबस कंडक्टर जितेंद्र सिंह उर्फ डिंपल उर्फ रिंकू पर केस दर्ज हुआ था लेकिन हाईकोर्ट ने पाया कि जांच एजेंसी निसंदेह आरोप साबित करने में विफल रही है, लिहाजा ट्रायल कोर्ट का फैसला उचित नहीं। ट्रायल कोर्ट ने 28 जनवरी 2013 को रिंकू को दस साल के कारावास की सजा सुनाई थी जिसे खारिज कर दिया गया है।
जांच एजेंसी आरोप साबित करने में विफल रही, ट्रायल कोर्ट का फैसला उचित नहीं
ऊधमपुर पुलिस स्टेशन में दर्ज एफआइआर के मुताबिक पीड़ित आठवीं कक्षा की छात्रा थी। उसने आरोप लगाया कि 25 मई 2005 को वह मिनी बस में ऊधमपुर से जा रही थी। जगानू मोड़ के पास पहुंचने पर चालक संजय कुमार व कंडक्टर जितेंद्र सिंह ने उसके साथ गाड़ी में दुष्कर्म किया।
ट्रायल कोर्ट ने दोनों को दस-दस साल की सजा सुनाई। ट्रायल कोर्ट के इस फैसले को दोनों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी और मामले की सुनवाई के दौरान संजय कुमार की मौत हो गई और शेष बचे आरोपित रिंकू को हाईकोर्ट ने बरी कर दिया। हाईकोर्ट ने पाया कि पीड़िता की ओर से घटना के 11-12 दिन बाद एफआइआर दर्ज कराई और इस विलंब का कोई स्पष्ट कारण नहीं दिया।
हाईकोर्ट ने पाया कि समय-समय पर पीड़ित के बयान में बदलाव आया है और मेडिकल तथ्य भी कुछ स्पष्ट नहीं करते। इसके अलावा जांच अधिकारी ने पीड़ित की आयु प्रमाण पत्र भी हासिल नहीं किया। ऐसे कई पहलू थे जिन्हें ट्रायल कोर्ट ने अनदेखा किया।

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