जम्मू-कश्मीर में 106 फायरमैन की बर्खास्तगी पर कैट की रोक से इन्कार, सरकार को जवाब दाखिल करने के निर्देश
जम्मू-कश्मीर में 106 फायरमैन की बर्खास्तगी मामले में कैट (Central Administrative Tribunal) ने रोक लगाने से इनकार कर दिया है, लेकिन सरकार को इस मामले म ...और पढ़ें

कैट ने सरकार से जवाब मांगा है, जिससे इस मामले में आगे की कार्यवाही हो सके।
जागरण संवाददाता, जम्मू। केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) की जम्मू पीठ ने अग्निशमन एवं आपात सेवा विभाग के 106 फायरमैनों की बर्खास्तगी के आदेश पर रोक लगाने से इन्कार कर दिया है। हालांकि, कैट ने यह भी स्पष्ट किया है कि याचिकाकर्ताओं को बिना सुनवाई सेवा से हटाया गया, ऐसे में मामले में यथास्थिति बनाए रखने के निर्देश देते हुए सरकार को शीघ्र जवाब दाखिल करने को कहा गया है।
यह आदेश कैट के न्यायिक सदस्य राजिंदर डोगरा और प्रशासनिक सदस्य राम मोहन जोहरी की खंडपीठ ने भट फैयाज और एनडी काजी द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद पारित किया।
इन नियुक्तियों को लेकर शुरू से ही गंभीर सवाल थे
याचिकाकर्ताओं का कहना था कि वर्ष 2020 में उनकी नियुक्ति विधिवत की गई थी। उस समय कुछ निजी व्यक्तियों द्वारा उनकी नियुक्तियों को चुनौती दी गई थी, जिसे कैट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद मामला जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय पहुंचा, जहां याचिका न केवल खारिज हुई बल्कि 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था। इसके बावजूद अब सरकार ने उनकी सेवाएं समाप्त कर दी हैं, जो न्यायसंगत नहीं है।
वहीं, सरकार की ओर से पेश हुए एएजी राजेश थापा ने दलील दी कि इन नियुक्तियों को लेकर शुरू से ही गंभीर सवाल थे। सरकार ने एक हाई पावर कमेटी का गठन किया, जिसने भर्ती प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएं पाईं। इसके बाद मामला एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) को सौंपा गया।
भर्ती प्रक्रिया में करोड़ों रुपये का लेन-देन हुआ
एसीबी की जांच में सामने आया कि इस भर्ती प्रक्रिया में करोड़ों रुपये के लेन-देन हुए। जांच में यह भी खुलासा हुआ कि ओएमआर शीट से छेड़छाड़ की गई, कुछ अभ्यर्थियों को 15 अंक से सीधे 90 अंक दे दिए गए। इसके अलावा पेपर बेचने का मामला भी सामने आया। चौंकाने वाली बात यह रही कि अग्निशमन विभाग के एक कर्मचारी के पांच बेटे भी चयनित पाए गए, जिससे पूरी प्रक्रिया पर सवाल खड़े हो गए। सरकार का कहना था कि इन गंभीर अनियमितताओं के चलते ही याचिकाकर्ताओं को सेवा से बर्खास्त किया गया।
दोनों पक्षों को सुनने के बाद कैट ने माना कि याचिकाकर्ताओं को बर्खास्त करने से पहले उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया। इसी आधार पर कैट ने फिलहाल यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश देते हुए सरकार को अपना जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। मामले की अगली सुनवाई पर अब सभी की निगाहें टिकी हैं, क्योंकि यह फैसला प्रदेश की सबसे विवादित भर्तियों में से एक मानी जा रही है।

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