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    Jammu Kashmir Election: जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बदलाव की एक तस्वीर, पिछले पांच सालों में क्या-क्या बदला?

    Updated: Sat, 21 Sep 2024 01:11 PM (IST)

    Jammu Kashmir Election News जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बदलाव की एक तस्वीर पेश करती है प्रोफेसर हरिओम की नई किताब जम्मू कश्मीर लद्दाख डिफरेंट पॉलिटिकल टेरेन्स। इस किताब में अलगाववादियों के बूते सियासत करने वाले नेताओं पर कटाक्ष के अलावा भाजपा की उधमपुर में दो सीटों पर जीत और भविष्य की जम्मू कश्मीर में चुनौतियों पर फोकस किया गया है।

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    Jammu kashmir Election News: पिछले पांच सालों में क्या-क्या बदला?

    जागरण संवाददाता, जम्मू। जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव के दौरान अलगाववाद बनाम राष्ट्रवाद की सियासत पर चर्चा फिर तेज है। ऐसे में भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद के पूर्व सदस्य एवं जम्मू विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान संकाय के डीन रहे प्रोफेसर हरिओम की नई पुस्तक ‘जम्मू कश्मीर लद्दाख, डिफरेंट पॉलिटिकल टेरेन्स’ इस चर्चा को और बढ़ाती है।

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    इस किताब में अलगाववादियों के बूते सियासत करने वाले नेताओं पर कटाक्ष के अलावा भाजपा की उधमपुर में दो सीटों पर जीत और भविष्य की जम्मू कश्मीर में चुनौतियों पर फोकस किया गया है। इसके अलावा कारगिल बनाम लेह की लड़ाई में एकीकृत कारगिल की जीत के असर पर भी चर्चा की गई है।

    क्षेत्रीय पार्टियों की बात करती है किताब

    भाजपा लोकसभा में जीत को राष्ट्रवाद की जीत पर देख रही है पर उसके साथ कुछ चुनौतियां उसकी राह में सामने आती दिख रही हैं। प्रो. हरिओम ने अपनी पुस्तक से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला व महबूबा मुफ्ती की शर्मनाक हार पर भी कटाक्ष किया है। जम्मू, कश्मीर और लद्दाख में उनकी उत्पत्ति, नेतृत्व और विचारधारा पर बात करती है। इसके अलावा, उन चुनावी मुद्दों पर प्रकाश डालती है जिन पर भाजपा और नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस सहित कश्मीरी पार्टियां, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और जम्मू और कश्मीर अपनी पार्टी ने लोकसभा चुनाव लड़ा।

    अनुच्छेद 370 हटने के बाद बदला पार्टियों का रवैया

    पांच अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद जम्मू-कश्मीर की राजनीति बदली और यहां के दलों का रवैया भी बदला। इन बिंदुओं पर पुस्तक में विस्तार से चर्चा की गई है। इस दोरान लद्दाख का नए केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर उदय हुआ पर वहां की राजनीति भी लेह-बनाम पर काफी तेजी से बदली और लोकसभा चुनाव में धर्म के नाम पर कारगिल की एकजुटता को सबने देख। इन बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की गई है।