Jammu Kashmir में राष्ट्रपति शासन के पांच साल पूरे,नौ वर्ष पहले हुए थे विधानसभा चुनाव;अब ऐसी है घाटी की स्थिति
जम्मू-कश्मीर में अंतिम बार विधानसभा चुनाव 2014 में हुए थे। इन चुनाव परिणाम के आधार पर भाजपा और पीडीपी के गठबंधन वाली सरकार बनी। भाजपा की ओर से समर्थन ...और पढ़ें

जम्मू, नवीन नवाज। जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लागू हुए सोमवार को पांच वर्ष पूरे हो गए। वर्ष 1996 के बाद जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का यह दूसरा सबसे लंबा दौर है। इससे पहले 19 जनवरी 1990 से नौ अक्टूबर 1996 तक लगभग 81 माह (पौने सात साल) तक जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन रहा था। सिर्फ यही नहीं, जम्मू कश्मीर में विधानसभा चुनाव हुए भी लगभग नौ वर्ष बीत रहे हैं। सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं आम जनता भी चुनाव का बेसब्री से इंतजार कर रही है, लेकिन विधानसभा चुनाव को लेकर असंमजस बना हुआ है। जो संकेत मिल रहे हैं, उसके मुताबिक पहले पंचायत और नगर निकाय चुनाव ही कराए जाने की संभावना ज्यादा है।
जम्मू कश्मीर में अंतिम बार विधानसभा चुनाव वर्ष 2014 में हुए थे। इन चुनाव परिणाम के आधार पर भाजपा और पीडीपी की गठबंधन सरकार वर्ष 2015 में सत्तासीन हुई थी। भाजपा की ओर से समर्थन वापस लेने के बाद 19 जून 2018 को महबूबा मुफ्ती ने मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था और उसके बाद जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू हुआ। बाद में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
तत्कालीन राज्यपाल एनएन वोहरा ने विधानसभा को भंग करने के बजाय निलंबित रखा था, लेकिन उनके बाद जम्मू कश्मीर के राज्यपाल का कार्यभार संभालने वाले सतपाल मलिक ने नवंबर 2018 में विधानसभा को भंग कर दिया। इससे पहले कि विधानसभा चुनाव कराए जाते, 14 फरवरी 2019 को पुलवामा हमला हो गया। इसके बाद पांच अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35ए को हटा दिया। इसके साथ ही जम्मू कश्मीर राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में पुनर्गठित किया गया। जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के मुताबिक 31 अक्टूबर 2019 को अस्तित्व में आए केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में विधानसभा का प्रविधान है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से ही जम्मू कश्मीर में उपराज्यपाल शासन की बागडोर संभाले हुए हैं।
बहुत हो गया, हम सभी चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। केंद्र सरकार को जल्द से जल्द चुनाव कराने चाहिए।
-रविंद्र रैना, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष
कल तक हम यह मानते थे कि प्रदेश भाजपा के कारण ही चुनाव नहीं हो रहे हैं, लेकिन अब उसके नेता भी चुनाव की मांग कर रहे हैं, इसलिए हम यहां जल्द चुनाव की उम्मीद कर सकते हैं।
-सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी, जम्मू कश्मीर अपनी पार्टी के चेयरमैन
मार्च में हम नेकां अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला के नेतृत्व में चुनाव आयोग से मिले थे। तब कहा गया कि आयोग जल्द जम्मू कश्मीर का दौरा कर हालात का जायजा लेकर चुनाव का एलान होगा, लेकिन मुझे नहीं लगता कि केंद्र की यहां चुनाव में रूचि है।
-तरनजीत सिंह टोनी, आम आदमी पार्टी के नेता
जी-20 सम्मेलन, पंचायत और निकाय चुनाव के लिए बहाना नहीं है। हम सभी जानते हैं कि यहां सिर्फ भाजपा को सत्ता में लाने के लिए चुनाव टाला जा रहा है। भारत में लोकतंत्र वहीं खत्म होता है, जहां जम्मू कश्मीर शुरू होता है।
-उमर अब्दुल्ला, नेकां उपाध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री
पूरे देश में पांच वर्ष बाद लोगों को अपना मुख्यमंत्री चुनने का मौका मिलता है और हमें नौ वर्ष बाद भी नहीं दिया जा रहा है। जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र दिखावे तक सीमित है।
-सरदार हरबख्श सिंह, पीडीपी प्रवक्ता
नहीं लगता कि इस वर्ष विधानसभा चुनाव होंगे। हमें वर्ष 2024 के संसदीय चुनाव का इंतजार करना पड़ेगा। पंचायत और नगर निकाय चुनाव के जरिए भाजपा प्रदेश में अपनी स्थिति का आकलन करेगी और उसके आधार पर वह विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाएगी।
-आसिफ कुरैशी, जम्मू कश्मीर मामलों के जानकार

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