जम्मू-कश्मीर: मौत को हरा जिंदगी की जंग तो जीती पर घटिया सिरप ने बना दिया दिव्यांग, अब इंसाफ की प्रतीक्षा
जम्मू-कश्मीर में एक बच्चे ने मौत को मात दी, पर खराब सिरप ने उसे दिव्यांग बना दिया। एक स्थानीय मेडिकल स्टोर से खरीदी गई सिरप के सेवन के बाद बच्चे की हालत बिगड़ी। जांच में सिरप घटिया पाई गई। पीड़ित परिवार ने दवा कंपनी और मेडिकल स्टोर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है।

स्वास्थ्य विभाग ने जांच शुरू कर दी है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का आश्वासन दिया है।
रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। छह वर्ष पहले जम्मू संभाग के उधमपुर जिले की रामनगर तहसील में घटिसा सिरप पीने से कई बच्चों की मौत हो गई थी। कुछ ऐसे भी थे जो कि जिंउगी की जंग तो जीत गए लेकिन स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए।
इन बच्चों को न तो किसी प्रकार का किसी ने मुआवजा दिया और न ही उनके साथ आज तक न्याय हुआ। अभी भी यह बच्चे इंसाफ के लिए दरबदर हो रहे हैं। इन बच्चों को न्याय दिलाने के लिए सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजूरिया लगातार संघर्ष कर रहे हैं।
वर्ष 2019-20 के दौरान रामनगर में घटिया सिरप पीने के कारण 14 बच्चों की मौत हो गई थी। छह बच्चे बच तो गए लेकिन स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए।चंडीगढ़ स्थित ड्र्रग टेस्टिंग लैब ने बच्चों के लिए बेचे और निर्धारित किए गए सिरप में 34.24 प्रतिशत डायथिलीन ग्लाइकाल की मौजूदगी की पुष्टि की थी। इसी से बच्चों की जान गई थी और जो बच गए थे, वे दिव्यांग हो गए।
इन बच्चों के लिए जीवनयापन एक बड़ी चुनौती होगा
इन बच्चों में सुला गांव के प्रणव कोे 85 प्रतिशत दिव्यांगता, बैला गांव के पवन को 55 प्रतिशत दिव्यांगता, धीरन गांव की सपना को चालीस प्रतिशत दिव्यांगता और कटवालत के आशीष को 77 प्रतिशत दिव्यांगगता हुई है। इन बच्चों के लिए बड़े होकर अपना जीवनयापन करना भी एक बड़ी चुनौती होगा।
बच्चों के अधिकारों के दावे करने वाली किसी भी सरकार ने इनमें से किसी भी बच्चे को आज तक एक रुपया आर्थिक सहायता भी नहीं दी। इनकेे स्वजन व इन बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्ष कर रहे सामाजिक कार्यकर्ता सुकेश खजूरिया इस दौरान स्थानीय प्रशासन सेे लेकर उच्चाधिकारियों तक से मिले, पर कोई भी लाभ नहीं हुआ।सुकेश खजूरिया ने बाल दिवस से एक दिन पूर्व अब मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला दरवाजा खटखटाया है और बच्चों के साथ इंसाफ करने की गुहार लगाई है।
कई बच्चों को जीवन भर के लिए दिव्यांग बना दिया
मुख्यमंत्री को दिए अपने ज्ञापन में खजूरिया ने इस त्रासदी को प्रशासनिक लापरवाही और नियामक विफलता का शर्मनाक प्रतिबिंब बताया जिसने कई बच्चों को जीवन भर के लिए दिव्यांग बना दिया। उन्होंने कहा कि इस तरह के जहरीले उत्पाद को बाजार में आने देना आपराधिक लापरवाही है।
यह एक बड़े राष्ट्रीय स्वास्थ्य संकट का हिस्सा है। मध्य प्रदेश और राजस्थान से भी मिलावटी सिरप पीने से 20 से अधिक शिशुओं और बच्चों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि त्रासदी की गंभीरता के बावजूद अधिकारियों ने कोई सार्थक सहायता या राहत नहीं दी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क किया
खजूरिया ने बताया कि जब उन्होंने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से संपर्क किया, तभी इस मामले को गंभीरता से लिया गया। एनएचआरसी ने सरकार को मृत बच्चों के परिवारों को तीन-तीन लाख का मुआवज़ा देने का निर्देश दिया।
लेकिन चार जीवित बचे बच्चे जो स्थायी रूप से दिव्यांग हो गए थे, बिना किसी आर्थिक मदद, चिकित्सा देखभाल या पुनर्वास के जी रहे हैं। उनकी हालत दिल दहला देने वाली है। उन्होंने सरकार के तत्काल हस्तक्षेप की मांग है।
प्रत्येक जीवित बचे बच्चे को उनके जीवन भर के शारीरिक, चिकित्सीय और भावनात्मक कष्टों को ध्यान में रखते हुए, उचित और पर्याप्त मुआवज़ा प्रदान करें।

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