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    जम्मू में रेप पीड़िता को 10 साल बाद मिला इंसाफ, दोषी को 10 वर्ष की कैद के साथ 20,000 का जुर्माना

    Updated: Sun, 31 Aug 2025 08:42 AM (IST)

    जम्मू में फास्ट ट्रैक कोर्ट ने छह वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के दोषी सोहन लाल को 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई। अदालत ने उस पर 20000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। जुर्माना न भरने पर छह महीने की अतिरिक्त सजा होगी। अदालत ने पीड़िता को छह लाख रुपये का मुआवजा देने की भी सिफारिश की है।

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    दुष्कर्म के दोषी को 10 साल की कैद की सजा

    जेएनएफ, जम्मू। छह वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के मामले के आरोपित सोहन लाल उर्फ सोनू निवासी शहजादपुर, मढ़ को फास्ट ट्रैक कोर्ट जम्मू ने 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी अमरजीत सिंह लंगेह ने सोहन लाल पर 20,000 का जुर्माना भी लगाया है, जिसे नहीं चुकाने पर अतिरिक्त छह महीने की सजा होगी।

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    सोहन के खिलाफ दोमाना थाने में मई 2015 में बच्ची के साथ दुष्कर्म के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। उस समय सोहन की आयु 27 वर्ष थी। आठ वर्ष तक चले मामले में अदालत ने गवाहों के बयान, मेडिकल और फोरेंसिक साक्ष्यों पर सोहन को दोषी पाया।

    अदालत ने पीड़िता को छह लाख का मुआवजा देने की सिफारिश की है। दोषी सजा सुनाए से पहले आठ वर्ष, 10 महीने और 10 दिन से हिरासत में हैं और उसे दी सजा से इस अवधि को घटा दिया जाएगा। दोषी द्वारा चुकाया गया जुर्माना पीड़ित को मुआवजे के तौर पर दिया जाएगा।

    उच्च न्यायालय ने पब्लिक सेफ्टी एक्ट (पीएसए) और एनडीपीएस एक्ट के तहत जारी पांच अलग-अलग हिरासत आदेशों को निरस्त कर दिया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि व्यक्ति की आजादी को पुराने मामलों, अस्पष्ट आरोपों या पुलिस डोजियर की नकल से छीना नहीं जा सकता।

    जस्टिस मोक्षा खजूरिया ने पुलवामा के करीमाबाद निवासी शब्बीर पंडित के खिलाफ पीएसए आदेश रद करते हुए कहा कि उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज नहीं थी। अनंतनाग के जुबेर रमजान गनी, को पहले एनडीपीएस एक्ट में गिरफ्तार कर जमानत मिल चुकी थी।

    19 दिसंबर 2024 को जारी हिरासत आदेश को अदालत ने यह कहते हुए खारिज कर दिया कि प्रिवेंटिव डिटेंशन जमानत को निष्प्रभावी करने का साधन नहीं हो सकता, जब तक कि नए सुबूत या आपराधिक गतिविधि सामने न हो।

    जस्टिस एमए चौधरी ने राजौरी के थाना मंडी निवासी नजीर की हिरासत भी रद कर दी। उन पर मवेशी तस्करी का आरोप था। अदालत ने कहा कि आदेश लागू करने में 13 माह की देरी हुई और सरकार से आवश्यक स्वीकृति भी नहीं ली गई। एक अन्य मामले में कठुआ जिले के बिलावर निवासी गामी दीन के मामले में अदालत ने पाया कि हिरासत के आधार पुलिस डोजियर की हूबहू नकल थे।

    न वैध एफआईआर दर्ज थी और न समय सीमा के भीतर प्रतिनिधित्व का अधिकार बताया गया। इसे अदालत ने असंवैधानिक करार दिया। किश्तवाड़ के अब्दुल्ला के खिलाफ 2024 का आदेश अदालत ने रद कर दिया। अदालत ने कहा कि एक बार हिरासत आदेश रद होने के बाद पुराने मामलों का सहारा लेकर नया आदेश जारी करना मनमाना और गैरकानूनी है।

    अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश रितेश दुबे ने 11 वर्ष पहले ब्लाइंड मर्डर के मामले में रहीम-उल-दीन को उम्रकैद की सजा सुनाई है। अदालत ने पाया कि रहीम-उल-दीन ने 2014 में अब्दुल्ला की हत्या की थी।

    अब्दुल्ला का शव 14 अप्रैल 2014 को गड़खाल खड्ड में मिला था, जिसे पत्थरों और रेत के बोरों से बांधकर कंबल में लपेटा था। अब्दुल्ला का गला काटा था, जिससे पता चलता था कि उसकी हत्या के बाद शव को खड्ड में फेंका था। अदालत ने सुनवाई में यह भी पाया कि रहीम ने 30 मार्च 2014 की रात को अब्दुल्ला की हत्या की थी। अदालत ने रहीम को धारा 302 आरपीसी के तहत दोषी ठहराया।