जम्मू-कश्मीर में 50 जगह होगा पुतला दहन, उत्तर प्रदेश के रेहान बने भाइचारे की मिसाल
जम्मू-कश्मीर में इस बार दशहरा धूमधाम से मनाया जाएगा। 50 कस्बों में पुतले जलाए जाएंगे जिनमें श्रीनगर भी शामिल है। उत्तर प्रदेश के मुस्लिम कारीगर रेहान जम्मू में पुतले बना रहे हैं। यह पर्व भाईचारे और एकता का संदेश देता है क्योंकि मुस्लिम कारीगर ही रावण के पुतले तैयार करते हैं। रेहान 45 साल से यह काम कर रहे हैं और उनके साथ 50 कारीगर भी शामिल हैं।

15 वर्ष से मेरठ से जम्मू आकर पुतले बनाता हूं। इन दिनों का बेसब्री से इंतजार रहता है। यह पुतले बनाते हुए तो राम लीला का हर दृश्य भी याद है। करीब महीना भर काम चलता है और पुतले बनाते हुए भी अक्सर राम लीला की कोई न कोई बात होती ही रहती है। पिता भी यही काम किया करते थे। दादा सराजुदीन भी जम्मू में आकर पुतले बनाते थे। पूरा वर्ष तो खेतीबाड़ी आदि करते हैं, लेकिन इन दिनों में जम्मू आना ही होता है। इसके चलते घर के दूसरे काम भी समय से निपटा लेते हैं। - फैजल खान
पुतले बनाते 10 वर्ष ही हुए, लेकिन इससे पहले मेरे पिता और दादा भी पुतले बनाने यहां आते थे। जब से जम्मू आ रहा हूं, भगवान श्रीराम के बारे में काफी कुछ समझने का मौका मिला है। बड़ी बात यह है कि यहां काम करते हुए लगता ही नहीं कि अपने घर से दूर आकर काम कर रहे हैं। हमने कभी यह नहीं सोचा कि हम मुस्लिम होकर यह काम क्यूं करें। - मुकीम खान
पिता पहली बार 1958 में पुतले बनाने जम्मू आए थे। उसके बाद परिवार के लगभग सभी सदस्य यहां आते ही रहे हैं। अच्छा लगता है। ऐसा लगता है भगवान ने उन्हें यह जिम्मेवारी सौंपी हुई है। यहां के लोग भी काफी अच्छे हैं। इस दौरान जम्मू में घूमना भी हो जाता है। मुझे अपने बुजुर्गों से यह कारीगिरी विरासत में मिली है जिसे मै निभाने का पूरा प्रयास कर रहा हूं। - अनुज कश्यप
यहां करीब दो महीने का काम होता है। जब हम सब लोग यहां काम कर रहे होते हैं तो ऐसा लगता है कि भगवान श्री राम जी का ही कोई काम कर रहे है। सभी पूरी निष्ठा से काम करते हैं। गांव में तो सभी दूर-दूर अपने-अपने काम में लगे रहते हैं लेकिन यहां सभी को एक साथ काम करने का मौका मिलता है, तो अच्छा लगता है। यहां हमें काफी आदर और सत्कार मिलता है, इसलिए हर साल यहां आने का इंतजार रहता है। - वंश ठाकुर
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