दीपक की अंतिम यात्रा में उमड़ा जन सैलाब
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जागरण संवाददाता, जम्मू : वीरवार दोपहर बारह बजे तिरंगे में लिपटा जब शहीद पुलिस कांस्टेबल दीपक ठुस्सू का शव उसके घर जगटी टाउनशिप कॉलोनी में पहुंचा तो माने वहां आसमान फट गया हो। पूरी कॉलोनी दर्द से कहर उठी। घर में सभी को रोता हुआ देखा दीपक के बच्चों को समझ में ही नहीं आ रहा था कि उनके साथ क्या हुआ है। उनके सिर पर से पिता का साया उठ गया है।
जगटी कॉलोनी में वीरवार दोपहर को शायद ही किसी घर में चूल्हा जला होगा। कॉलोनी में रहने वाले हजारों लोग दीपक को अंतिम विदाई देने के लिए उसके घर के बाहर जुटे हुए थे। दीपक की पत्नी स्वीटी पंडित अपने पति के शव से लिपटकर उसे बस एक बार उठकर अपने बच्चों को देख लेने की गुहार लगा रही थी। दीपक की बुजुर्ग माता पुष्पा ठुस्सू पत्थर बन कर रह गई थी, सभी रिश्तेदार उन्हें सांत्वना दे रहे और धैर्य रखने को कह रहे थे। दोपहर ढाई बजे जगटी के शांति घाट में दीपक को अंतिम संस्कार हुआ। दीपक को मुखाग्नि उसके रिश्तेदार के भाई विनोद जी तथा तेरह वर्षीय बेटे अमन ठुस्सू ने दी। पूरे राजकीय सम्मान के साथ दीपक का अंतिम संस्कार किया गया। दीपक के परिवार को सांत्वना देने के लिए राहत एवं पुनर्वास मंत्री जावेद अहमद मीर, विधायक देवेंद्र राणा, एमएलसी सुरेंद्र अंबरदार, एमएलसी अजय भट्टी, राहत आयुक्त एलएल राणा के अलावा पुलिस तथा प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।
विदित हो कि बुधवार को कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों के लोहा लेते राज्य पुलिस में तैनात सिलेक्शन ग्रेड कांस्टेबल दीपक ठुस्सू निवासी जगटी, नगरोटा शहीद हो गए थे।
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अब रोज मुझे फोन कर
कौन मेरा हाल पूछेगा
तेरह वर्षीय अमन अपनी दादी पुष्पा ठुस्सू से पूछ रहा था कि अब कौन रोज उसे फोन कर उसका हालचाल पूछेगा? कौन यह पूछेगा कि उसकी पढ़ाई कैसी चल रही है? अब कौन उसे फोन कर कहेगा कि अपनी दादी तथा मां का ख्याल रखना। अमन के इन प्रश्नों के उत्तर किसी के पास भी नहीं थे। अमन की बात सुन कर सब निशब्द हो गए थे। अमन की शांत करने के लिए उसकी दादी ने उसे अपने गोद में लेकर पुचकारना शुरू कर दिया। पिता के शव को देखकर अमन उन्हें कह रहा कि पापा अब कभी वह जिद नहीं करेगा और खूब पढ़ लिखकर उनका नाम रोशन करेगा। बस इसके लिए वह एक बार उठ कर उससे बात कर ले। दीपक की दस वर्षीय बेटी पलक भी इस दौरान सहमी हुई थी। घर के सभी सदस्यों को रोता हुए देख उसे समझ में नहीं आ रहा था कि उसके साथ क्या हुआ है और उसने क्या खोया है।
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राजकीय सम्मान के साथ
हुआ अंतिम संस्कार
दीपक के अंतिम संस्कार पर पुलिस के बैंड ने शोक धुन बजा कर उसे अंतिम विदाई दी। जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर देकर दीपक को सम्मान दिया। वहां मौजूद पुलिस के जवानों ने हथियारों को झुका कर दीपक को अंतिम विदाई दी। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी भी इस दौरान वहां मौजूद रहे।
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घायल साथी को बचाने के
लिए आगे गया था दीपक
साथी में अपनी बहादुरी के लिए जाने जाने वाला दीपक ठुस्सू अपनी दरियादिली के लिए जाना जाता था। गत बुधवार को जब आतंकियों के साथ कुपवाड़ा में मुठभेड़ चल रही थी तो इस दौरान दीपक के एक साथी को गोली लग गई थी। घायल पुलिस कर्मी आतंकियों के सीधे निशाने पर था, दीपक ने जब यह देखा तो उससे रहा नहीं गया और अपनी जान की परवाह किए बिना वह घायल साथी को बचाने के लिए दौड़ा। इसी बीच, वह आतंकियों की गोली का निशाना बन गया। गोली लगने के बावजूद दीपक अपने घायल साथी को सुरक्षित स्थान में पहुंचने में कामयाब हो गया था। अस्पताल पहुंचने तक दीपक के शरीर से अधिक खून बह गया था, जो उसकी मौत का कारण बना। दीपक इसे पूर्व भी कई आतंकी मुठभेड़ों में भाग ले चुका है। उसकी बहादुरी के चलते हीं उसे राज्य पुलिस के आंतकवाद विरोधी दस्ते स्पेशल ऑपरेशन गु्रप एसओजी में रखा गया था। कई वर्षो से वह एसओजी में हीं काम कर रहा था। यही कारण था कि दीपक आतंकियों के निशाने पर था।
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पुलिस मुख्यालय में दी श्रद्धांजलि
उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा में आतंकियों से लोहा लेते शहीद हुए दीपक ठुस्सू को जम्मू और कश्मीर में पुलिस अधिकारियों ने श्रद्धा सुमन अर्पित किए। पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों ने सलामी देकर दीपक की शहादत को सलाम किया।

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