जम्मू-कश्मीर में कभी भी बज सकता है पंचायत चुनाव का बिगुल, इलेक्शन कमीशन की भी होगी नियुक्ति; पढ़ें अपडेट
जम्मू-कश्मीर में श्री अमरनाथ यात्रा के समापन के बाद पंचायत चुनावों का बिगुल कभी भी बज सकता है। सरकार सुरक्षा का आकलन कर पंचायत और नगर निकायों के चुनाव घोषित कर सकती है। इससे पहले चुनाव आयुक्त की नियुक्ति संभव है। वर्ष 2018 में हुए चुनावों के बाद कार्यकाल समाप्त हो चुका है। ओबीसी आरक्षण पर रिपोर्ट लंबित होने के कारण भी चुनाव नहीं हो सके।

राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। श्री अमरनाथ की तीर्थयात्रा के संपन्न होने के बाद जम्मू-कश्मीर में कभी भी पंचायत चुनावों का बिगुल बज सकता है। यात्रा नौ अगस्त को संपन्न होगी।
उसके बाद सरकार समग्र सुरक्षा परिदृश्य व अन्य बिंदुओं का आकलन कर पंचायत के साथ-साथ नगर निकायों के चुनाव भी घोषित कर सकती है। इससे पूर्व प्रदेश में लगभग दो माह से रिक्त पड़े प्रदेश चुनाव आयुक्त के पद पर भी नियुक्ति संभव है।
जम्मू-कश्मीर में पंचायत और नगर निकायों के चुनाव वर्ष 2018 में हुए थे। स्थानीय नगर निकायों का कार्यकाल नंवबर 2023 में समाप्त हो गया था जबकि पंचायतों का कार्यकाल जनवरी 2024 में समाप्त हुआ है।
पहले यह चुनाव तत्कालीन सुरक्षा परिदृश्य और जम्मू-कश्मीर में संसदीय व विधानसभा चुनावों के कारण स्थगित रहे। इसके अलावा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को दिए जाने वाले आरक्षण के प्रतिशत पर लंबित रिपोर्ट के कारण भी चुनाव नहीं कराए जा सके।
जल्द करवाए जाएं चुनाव
एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी ने बताया कि सरकार लंबित पंचायत और स्थानीय नगर निकायों के चुनाव श्री अमरनाथ की यात्रा के बाद सितंबर-अक्टूबर में कराने पर गंभीरता से विचार कर रही है।
मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है और विभिन्न राजनीतिक संगठनों के अलावा पंचायतों से जुड़े विभिन्न संगठन भी चुनाव जल्द कराए जाने पर जोर दे रहे हैं।
उन्होंने बताया कि पंचायत व नगर निकायों के चुनावों की संभावना को ध्यान में रखते हुए प्रदेश प्रशासन ने कथित तौर पर केंद्रीय गृह मंत्रालय केा प्रदेश में श्री अमरनाथ जी की तीर्थयात्रा के सुरक्षा ग्रिड को मजबूत बनान के लिए देश के विभिन्न राज्यों से भेजे गए सुरक्षाकर्मियों को बनाए रखने का आग्रह किया है।
उन्होंने बताया कि उपराज्यपाल प्रशासन भी प्रदेश में रिक्त पड़े राज्य चुनाव आयुक्त के पद पर नियुक्ति की प्रक्रिया अगले सप्ताह तक शुरू करने जा रहा है। अलबत्ता, चुनाव कराने का अंतिम निर्णय जम्मू कश्मीर के सुरक्षा-परिदृश्य के आकलन के आधार पर ही लिया जाएगा।
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