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    जम्मू-कश्मीर के मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी होगी दूर, 105 असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती प्रक्रिया शुरू

    Updated: Sun, 21 Sep 2025 11:26 AM (IST)

    जम्मू-कश्मीर के नए मेडिकल कॉलेजों में फैकल्टी की कमी को दूर करने के लिए लोक सेवा आयोग ने असिस्टेंट प्रोफेसर के 105 पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू की है। यह भर्ती जीएमसी अनंतनाग बारामुला हंदवाड़ा कठुआ राजौरी डोडा और उधमपुर में होगी। इस कदम से मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की सीटें बढ़ने की संभावना है खासकर जीएमसी डोडा और जीएमसी कठुआ में जिन्हें हाल ही में मंजूरी मिली थी।

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    जम्मू-कश्मीर के नए मेडिकल कॉलेजों में भर्ती प्रक्रिया शुरू

    राज्य ब्यूरो, जम्मू। फैकल्टी की कमी का सामना कर रहे जम्मू-कश्मीर के नए मेडिकल कॉलेजों में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों और मरीजों दोनों के लिए राहत है। इन सभी नए मेडिकल कॉलेजों में सौ से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया शुरू हुई है। इससे आने वाले दिनों में उन मेडिकल कॉलेजों में भी एमबीबीएस की सीटें बढ़ सकती है जिन्हें इस बार मंजूरी नहीं मिली है।

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    लोक सेवा आयोग ने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा रेफर किए असिस्टेंट प्रोफेसर के 105 पदों के लिए भर्ती प्रक्रिया शुरू की है।इन नए मेडिकल कॉलेजों में जीएमसी अनतंनाग, जीएमसी बारामुला, जीएमसी हंदवाड़ा, जीएमसी कठुआ, जीएमसी राजौरी, जीएमसी डोडा और जीएमसी उधमपुर शामिल है। जिन विभागों में असिस्टेंट प्रोफेसर नियुक्त करने की प्रक्रिया शुरू हुई है, उनमें एनाटमी, बायोकैमिस्ट्री, फार्माकालोजी, माइक्रोबायालोजी, कम्यूनिटी मेडिसिन, जनरल मेडिसिन, पीडियाट्रिक्स, आर्थोपैडिक्स, ईएनटी, आप्थालोजी, गायनाकालोजी, एनेस्थीसिया और रेडियोडायाग्नोसिस शामिल है।

    105 पदों में से 98 पद सामान्य श्रेणी के उम्मीदवारों के लिए हें जबकि सात पद अनुसूवित जाति के उम्मीदवारों के लिए है। सभी मेडिकल कालेजों में असिस्टेंट प्रोफेसरों के 15-15 पदों पर नियुक्ति हो रही है। इस बार जीएमसी डोडा और जीएमसी कठुआ में एमबीबीएस की पचास-पचास सीटें बढ़ाने की राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग ने मंजूरी दी थी लेकिन उधमपुर और राजौरी को मंजूरी नहीं मिल पाई थी।

    इसके पीछे फैकल्टी की कमी को प्रमुख कारण बताया गया था। हालांकि इसके बाद विभागीय पदोन्नति की बैठक में कई असिस्टेंट प्रोफेसर और एसोसिएट प्रोफेसरों को पदोन्नत किया गया था। लेकिन इन मेडिकल कालेजों में अभी भी फैकल्टी की कमी बनी हुई है।