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    Lok Sabha Election 2024: जम्मू कश्मीर को आत्मनिर्भर बनाने की राह में कई चुनौतियां, सात दशक तक नहीं फल-फूल पाया उद्योग

    Updated: Wed, 13 Mar 2024 02:00 PM (IST)

    Lok Sabha Elections 2024 इसे अनुच्छेद 370 की बेड़ियां कहा जाए या फिर राजनीतिक उदासीनता सात दशक में भी जम्मू कश्मीर औद्योगिक विकास के पथ पर चलने लायक नहीं बन सका। औद्योगिक क्षेत्र (Jammu Kashmir Industrial Area) और इसका ढांचा विकसित करने के लिए कोई खास एवं ठोस कदम नहीं उठाए गए। हालांकि दूध व फल-सब्जियों के क्षेत्र में जम्मू कश्मीर आत्मनिर्भर जरूर बना है।

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    जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद नई औद्योगिक नीति से बना निवेश का माहौल

    ललित कुमार, जम्मू। पांच अगस्त, 2019 के बाद जम्मू कश्मीर की स्थिति बदली और फिर पांच वर्षों में आधारभूत ढांचे के विकास के लिए जमीन तैयार की गई। निवेश के लायक अनुकूल माहौल बनाया गया। उद्योग लाने एवं व्यापार बढ़ाने के लिए नियम सरल किए गए। केंद्र सरकार का भरपूर साथ मिलने से जम्मू कश्मीर ने आत्मनिर्भर बनने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं, किंतु राह में चुनौतियां भी कम नहीं हैं।

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    इन्हीं बाधाओं को पार करने के लिए नई औद्योगिक नीति लाई गई, जिसका असर हुआ और देश-विदेश से 90 हजार करोड़ रुपये तक के निवेश प्रस्ताव भी आ गए। अब बस इन्हें शत-प्रतिशत धरातल पर उतारने की जरूरत है।

    निजी औद्योगिक क्षेत्र के लिए नीति लाकर सहूलियतें दी गईं, जिसका परिणाम कठुआ जिले में दिखा। निजी उद्योग खड़े होने लगे। यह तो शुरुआत भर है, आगे के प्रयास और भी रंग लाएंगे। इतना ही नहीं, अभी आवश्यक वस्तुओं समेत कई चीजों के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भरता को खत्म किया जा रहा है।

    जम्मू कश्मीर को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारी

    दूध के मामले में कुछ समय से जम्मू कश्मीर आत्मनिर्भर है ही। सब्जियों और फलों की प्रोसेसिंग के लिए आधारभूत ढांचा तैयार किया जा रहा है। सरकार के प्रयासों और आम लोगों में जागरूकता का परिणाम है कि जीएसटी संग्रह लगातार बढ़ा है।

    जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक ढांचा विकसित करने के उद्देश्य से वर्ष 1975 में स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन (सिडको) और स्माल स्केल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट कारपोरेशन (सीकाप) की स्थापना हुई। 50 वर्ष बीत गए, किंतु सीकाप मात्र 45 और सिडको महज 12 औद्योगिक क्षेत्र ही विकसित कर पाया। जम्मू-कश्मीर के पुनर्गठन के बाद केंद्र व प्रदेश सरकार ने यहां उद्योगों को लाने के कदम उठाए हैं और देश-विदेश की कंपनियां निवेश के लिए तैयार हैं।

    इन औद्योगिक इकाइयों को खड़ा करने के लिए जमीन तैयार की जा रही है। इसमें आने वाली अड़चनों को दूर करने के लिए पिछले तीन वर्षों में कई सकारात्मक कदम उठाए गए हैं। इसमें नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने को प्राथमिकता दी गई है। इससे उम्मीद बंधी है कि अगले कुछ सालों में जम्मू-कश्मीर में उद्योग लगाने के लिए पर्याप्त जमीन उपलब्ध होगी और कई बड़ी कंपनियां यहां की अर्थव्यवस्था का सहारा बनेंगी।

    अर्थव्यवस्था को गति देंगे निजी औद्योगिक क्षेत्र

    औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए सरकार ने वर्ष 2021 में नीति लाई थी। इसमें कुछ तकनीकी कमियां होने से पिछले तीन सालों में यहां निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित नहीं हो पाया था। अब सरकार ने निजी औद्योगिक क्षेत्र स्थापित करने पर जमीन की पंजीयन शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति तथा जमीन के इस्तेमाल में बदलाव करवाने पर लगने वाले शुल्क की 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति का प्रविधान संशोधित नीति में रख दिया है।

    इसके अलावा निजी औद्योगिक क्षेत्रों में इकाइयों को भी सरकारी औद्योगिक क्षेत्र में इकाइयों के समान सभी रियायतें मिलेगी। यानी सरकार निजी उद्योग के क्षेत्र के लिए रास्ता साफ करने के लिए हर अड़चन को दूर कर रही है। आने वाले दिनों में इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिल सकते हैं। नई औद्योगिक नीति लाने का मकसद प्रदेश की अर्थव्यवस्था देश के बाकी राज्यों के साथ कदमताल आगे बढ़ना है। साथ ही इस नीति से प्रदेश के युवाओं को रोजगार के नए विकल्प भी खुलेंगे।

    धीमी गति से ही सही, पर जमीन पर उतर रहे निवेश के प्रस्ताव

    • जम्मू- कश्मीर में उद्योगों के लिए केंद्र सरकार 2019 में नई औद्योगिक नीति लाई थी। इसके लिए 28,400 करोड़ रुपये की विशेष रियायती पैकेज भी घोषित किया गया ।
    • यह कदम अपने आप में ऐतिहासिक माना जा रहा है। इस नीति के आने के बाद से अब तक जम्मू-कश्मीर में करीब 90 हजार करोड़ रुपये के निवेश प्रस्ताव आ चुके हैं। हालांकि, इन प्रस्तावों के जमीन पर उतरने की गति काफी धीमी है।
    • जनवरी, 2024 तक केवल 7096 करोड़ रुपये का ही निवेश जमीनी स्तर पर हो पाया है। इसका एक मुख्य कारण यहां पर्याप्त विकसित औद्योगिक क्षेत्र न होना रहा ।
    • यह बड़ी अड़चन है, जिसे दूर करने के लिए केंद्र ने वित्तीय वर्ष 2022-23 के बजट में औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए 29 प्रोजेक्ट मंजूर किए थे। इसके बाद वित्तीय वर्ष 2023-24 के बजट में 46 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने का लक्ष्य रखा।
    • इससे निवेश के प्रस्तावों को अमलीजामा पहनाने में मदद मिलेगी। बजट में नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने व मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों में ढांचागत सुविधाओं का विस्तार के लिए 400 करोड़ रुपये का प्रविधान भी रखा गया।

    जीएसटी संग्रह से ताकत

    • वित्तीय वर्ष 2023-24 में दिसंबर 2023 के अंत तक 6018 करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह हुआ।
    • यह पिछले वित्तीय वर्ष से 10.60 प्रतिशत अधिक है।
    • वर्ष 2018 तक जीएसटी देने वालों की संख्या 72 हजार थी।
    • 2023 में जीएसटी देने वालों का आंकड़ा 1.97 लाख हो गया। 
    • इस वर्ष सिर्फ फरवरी में 532 करोड़ रुपये जीएसटी से मिले हैं।
    • फरवरी, 2023 में 434 करोड़ रुपये जीएसटी संग्रह हुआ था।
    • 2019 के बाद जम्मू-कश्मीर में उद्योग व व्यापार के क्षेत्र में लगातार सुधार हो रहे हैं।

    फूड प्रोसेसिंग के लिए ढांचा हो तो बने बात

    • जम्मू-कश्मीर में फूड प्रोसेसिंग के लिए फिलहाल उपयुक्त ढांचा नहीं है। कश्मीर में तो फलों का बड़ा बाजार होने के कारण कुछ फूड प्रोसेसिंग यूनिट हैं, लेकिन जम्मू में इन पर काम करने की जरूरत है।
    • जम्मू में पारले, पेप्सिको, मदर डेरी, परफेटी, अमूल, क्रीमबेल, वीकेसी नट्स और ईट एंड फिट एग्रो फूड्स जैसे प्रोसेसिंग यूनिट ही अभी हैं।
    • प्रदेश सरकार ने पिछले साल जनवरी में फूड प्रोसेसिंग क्षेत्र में क्रांति लाने और किसानों के जीवन में बदलाव लाने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना शुरू की।
    • जम्मू-कश्मीर के विशिष्ट उत्पादों के लिए क्लस्टर के विकास के लिए प्रदेश स्तरीय 879.75 करोड़ रुपये का फूड प्रोसेसिंग प्रोग्राम शुरू किया। इसका उद्देश्य किसानों की आय को अधिकतम करना और फसल के बाद के नुकसान को कम करना है।

    जम्मू-कश्मीर में औद्योगिक जमीन की कमी दूर करने के लिए विभिन्न हिस्सों में 46 नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित किए जा रहे हैं। अगले एक-डेढ़ साल में यह क्षेत्र विकसित हो जाएंगे। इससे जमीन की किल्लत दूर होगी। अब निजी औद्योगिक क्षेत्र विकसित करने के लिए भी नीति आ चुकी है। इससे निजी क्षेत्र में भी उद्योग लग पाएंगे। जिन लोगों ने वर्षों से जमीन अलाट करा रखी है और उद्योग नहीं लगाए, उनसे भी जमीन वापस ली जा रही है।

    अरुण मन्हास, निदेशक, उद्योग विभाग जम्मू