राष्ट्रीय अंगदान दिवस: अंगदान के लिए शपथ पत्र भरने में केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर है जम्मू-कश्मीर
जम्मू-कश्मीर में अंगदान के प्रति जागरूकता बढ़ रही है जहाँ ऑनलाइन शपथ पत्र भरने में यह दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर है। यहाँ 18-30 वर्ष के युवाओं में अंगदान के लिए उत्साह अधिक है। पिछले पाँच वर्षों में 196 किडनी प्रत्यारोपण हुए हैं पर ब्रेन डेड मरीजों से अंगदान अभी तक नहीं हो पाया है। कार्निया दान में बेहतर स्थिति है जिससे 211 लोगों को नई रोशनी मिली है।

रोहित जंडियाल, जागरण, जम्मू। कुछ वर्ष से जममू-कश्मीर में अंगदान को लेकर चलाए जा रहे जागरूकता अभियान का असर दिख रहा है।
आनलाइन अंगदान के लिए शपथ पत्र भरने वालों में जम्मू-कश्मीर दिल्ली के बाद दूसरे स्थान पर है। पर अभी भी जम्मू-कश्मीर के किसी भी अस्पताल में ब्रेन् डेड मरीज का एक भी अंगदान नहीं हो पाया है। इस कारण कई जरूरतमंद मरीजों के अंगदान नहीं हो पाए हैं।
आर्गन डोनेशनल रजिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार केंद्र शासित प्रदेशों में दिल्ली में सबसे अधिक 4603 लोगों ने आज तक अंगदान के लिए आनलाइन शपथ पत्र भरा है। इसके बाद जम्मू-कश्मीर में 2548 लोगों ने अंगदान के लिए शपथ भरे हैं। इनमें अस्सी प्रतिशत की आयु 18 से तीस वर्ष के बीच है। बीस प्रतिशत लोग ही तीस वर्ष से अधिक के हैं।
आंकड़ों के अनुसार जम्मू-कश्मीर में बीते पांच में 196 किडनी प्रत्यरोपण हुए हैं। इनमें अधिकांश कश्मीर के शेर-ए-कश्मीर इंस्टीटयूट आफ मेडिकल सांइसेस श्रीनगर में हुए हैं। जम्मू के सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में 29 किडनी प्रत्यारोपण हुए हैं।
इनमें सभी मामले वे हैं जहां पर माता-पिता ने ही अपने बेटे या बेटी या फिर किसी बहन ने भाई की जान बचाने के लिए किडनी दान की है। किसी भी ब्रेन डेड मरीज के स्वजनों ने आज तक अंगदान के लिए हामी नहीं भरी है।
वहीं कार्निया प्रत्यारोपण को लेकर एक अच्छी खबर यह है कि जम्मू-कश्मीर में कुल 39 लोगों ने ही अभी तक कार्निया दान किया है लेकिन यहां पर 211 मरीजों की आंखों को नई रोशनी मिली है। बहुत से अस्पताल अन्य प्रदेशों से कार्निया मंगवा कर प्रत्यारोपण कर लेते हैं। जम्मू के स्वामी विवेकानंद मेडिकल मिशन अस्पताल में भी कार्निया प्रत्यारोपण के सभी मामले बाहर से मंगवाए गए कार्निया के साथ ही किए गए हैं।
जानकारों का कहना है कि स्टेट आर्गन और टिश्यू ट्रांस्प्लांट आर्गनाइजेशन ने अभी तक लोगों को जागरूक करने के लिए जम्मू-कश्मीर के विभिन्न शैक्षिक संस्थानों, स्वास्थ्य संस्थानों में 430 कार्यक्रम आयोजित किए हैं। यह इसी का असर है कि 18 से तीस आयु वर्ग के ही अधिक लोगों ने अंगदान के लिए शपथ ली है।
उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी नेत्रदान के लिए शपथ ले चुके हैं। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी इसे सराह चुके हैं लेकिन बावजूद इसके अभी तक किसी भी ब्रेन डेड मरीज का अंगदान न होने के कारण कइयों की प्रतीक्षा समाप्त नहीं हो रही है।
जानकारों का कहना है कि जिन अस्पतालों में ब्रेन् डेड मरीज भर्ती होते हैं, उनके स्वजनों को मनाने के लिए भी अधिक प्रयास नहीं किए जाते हैं। अभी इस दिशा में बहुत कुछ करने की जरूरत है।
अंगदान की बात तो हो रही
दो दिन पहले स्टेट आर्गन और टिश्यू ट्रांसप्लांट आर्गनाइजेशन में संयुक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए डा. संजीव पूरी का कहना है कि बीते पांच वर्ष में सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि अब अंगदान को लेकर लोगों के बीच चर्चा होती है। पहले इस पर कोई भी बात नहीं करता था। ढाई हजार से अधिक लोगों ने शपथ ली है।
यह लोगों के बीच बढ़ रही जागरूकता का ही परिणाम है। उनका कहना है कि अगर प्रयास जारी रहते हैं तो आने वाले दिनों में ब्रेन डेड लोगों के अंगदान भी हो सकते हैं। इसके लिए और गंभीरता से प्रयास करने की जरूरत है। यह अच्छा है कि उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री भी हमारे प्रयासों की सराहना कर चुके हैं।
इन अस्पतालों में हैं सुविधा
जम्मू संभाग में किडनी प्रत्यरोपण की सुविधा सुपर स्पेशयलिटी अस्पताल में ही हैं जबकि कार्निया प्रत्यरोपण की सुविधा जीएमसी जम्मू, स्वामी विवेकानंद मेडिकल मिशन अस्पताल, मिलिट्री अस्पताल उधमपुर में है जबकि कश्मीर संभाग में किडनी प्रत्यरोपण की सुविधा स्किम्स सौरा, श्रीनगर मेडििकल कालेज में है। कार्निया प्रत्यरोपण की सुविधा कश्मीर के पांच अस्पतालों में है।
किस जिले में कितने लोगों ने अंगदान के लिए भरा शपथ पत्र
- जम्मू: 1236
- कठुआ: 296
- राजौरी: 166
- डोडा: 131
- पुंछ: 88
- बारामुला: 79
- सांबा: 79
- रियासी: 66
- कुपवाड़ा: 56
- अनंतनाग: 42
- पुलवामा: 36
- रामबन: 34
- कुलगाम: 27
- बांडीपोरा : 26
- बडगाम: 21
- गांदरबल: 06
- शोपियां: 04
- किश्तवाड: 03
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