जम्मू-कश्मीर और लद्दाख HC का सख्त निर्देश, ड्यूटी किए बगैर PG करनेवाले डॉक्टर सैलरी के हकदार नहीं
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि सरकारी डॉक्टर जो अपनी ड्यूटी किए बिना स्नातकोत्तर (पीजी) करते हैं उस अवधि के लिए वेतन या भत्तों के हकदार नहीं हैं। जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की पीठ ने डॉ. अंजू कुमारी और डॉ. निशु भूषण के मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया।

जेएनएफ, जम्मू। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि सरकारी डॉक्टर जो अपनी ड्यूटी किए बगैर स्नातकोत्तर (पीजी) करते हैं, वे उस अवधि के लिए वेतन या भत्तों के हकदार नहीं हैं। यह फैसला जस्टिस संजीव कुमार और जस्टिस संजय परिहार की एक पीठ ने सुनाया।
इस मामले में डॉ. अंजू कुमारी और डॉ. निशु भूषण शामिल थे, जिन्हें 2011 में सहायक सर्जन के रूप में नियुक्त किया गया था। अपनी पोस्टिंग में शामिल होने के बजाय दोनों डॉक्टरों ने गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज जम्मू में पीजी की पढ़ाई जारी रखी। बाद में उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) का रुख किया।
कैट ने फरवरी 2025 में जम्मू-कश्मीर सिविल सेवा विनियम, 1956 के अनुच्छेद 44-ए का हवाला देते हुए सरकार को उन्हें उनकी पढ़ाई की अवधि के लिए वेतन और भत्ते देने का निर्देश दिया। कैट के इस निर्णय को प्रतिवादी पक्ष ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने कहा कि अनुच्छेद 44-ए केवल तभी लागू होता है जब कर्मचारियों को उनके मौजूदा नौकरी प्रोफाइल से संबंधित अल्पकालिक प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों के लिए प्रतिनियुक्त किया जाता है, न कि उच्च अध्ययन जैसे स्नातकोत्तर डिग्री के लिए जो आठ सप्ताह से अधिक समय तक चलते हैं। अदालत ने कहा कि डॉक्टरों को उनके नियोक्ता की ओर से प्रतिनियुक्त नहीं किया गया था।
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