जम्मू-कश्मीर में चुनाव आयुक्त की अधिकतम सीमा अब 70 साल होगी, विधानसभा में पारित हुआ बिल
जम्मू-कश्मीर सरकार चुनाव आयुक्त की अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष करने जा रही है। इसके लिए विधानसभा में विधेयक पेश किया गया है। इसके साथ ही, सहकारी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए भी विधेयक पेश किया गया है। चुनाव आयुक्त का पद रिक्त होने के कारण पंचायत और नगर निकाय चुनाव लंबित हैं। सरकार का उद्देश्य चुनाव आयुक्त की आयु सीमा बढ़ाकर चुनाव प्रक्रिया को सुचारू रूप से चलाना है।

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राज्य ब्यूरो, श्रीनगर। प्रदेश सरकार प्रदेश चुनाव आयुक्त की अधिकतम आयु सीमा 70 वर्ष करने जा रही है। इसके लिए बुधवार को ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज व सहकारिता मंत्री जावेद अहमद डार ने जमू कश्मीर पंचायत राज अधिनियम, 1989 में संशोधन के लिए विधेयक सदन में पेश किया है। इसके अलावा उन्होंने प्रदेश में सहकारी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना के लिए जम्मू कश्मीर सहकारी समितियां अधिनियम 198 में संशोधन का भी विधेयक पेश किया है।
मौजूदा समय में जम्मू कश्मीर पंचायत राज अधिनियम 1989 की धारा 36 ए के मुताबिक प्रदेश चुनाव आयुक्त का अधिकतम कार्यकाल पांच वर्ष हे और वह उक्त पद 65 वर्ष की आयु होने पर नहीं रह सकता। दोनों में जो भी पहले हो, उसका कार्यकाल समाप्त माना जाता है। कश्मीर प्रदेश चुनाव आयुक्त का पद गत मई में तत्कालीन चुनाव आयुक्त बीआर शर्मा का कार्यकाल पूरा होने के बाद से रिक्त पड़ा है।
जम्मू कश्मीर में पंचायत और नगर निकायों के चुनाव लंबित होने का एक कारण प्रदेश चुनाव आयुक्त का पद रिक्त होना भी बताया जा रहा है। पंचायत और नगर निकाय चुनाव कराना, प्रदेश चुनाव आयुक्त की ही जिम्मेदारी है। प्रदेश सरकार ने प्रचुनाव आयुक्त की आयु सीमा को बढ़ाने के लिए ही जम्मू कश्मीर पंचायती राज (संशोधन) विधेयक, 2025 लाया है।
इसके मुताबिक, प्रदेश चुनाव आयुक्त अपने पद पर 70 वर्ष की आयु सीमा पूरी होने के बाद नही रह सकता। उसका कार्यकाल पांच वर्ष ही होगा। अगर वह 70 वर्ष की आयु सीमा प्रापत करने से पहले पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा कर चुका होगा तो उसकी नियुक्त स्वत: समाप्त मानी जाएगी,बशर्ते उसे पुन: नियुक्त न किया हो।
कृषि, ग्रामीण विकास एवं सहकारिता मंत्री जावेद अहमद डार ने जम्मू कश्मीर सहकारी समितियां अधिनियम , 1989 में संशोधन के लिए सहकारी समितियां संशोधन बिल बिल, 2025 भी पेश किया। यह विधेयक जम्मू-कश्मीर विशेष न्यायाधिकरण अधिनियम, 1988 के तहत गठित विशेष न्यायाधिकरण को सहकारी अपीलीय न्यायाधिकरण के कार्यों और शक्तियों का निर्वहन करने में सक्षम बनाता है। इस बिल के पारित होने पर प्रदेश सरकार एक सहकारी अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापित कर, संबधित वैधानिक शर्त को पूरा करेगी। इससे सरकार अपील और अन्य मामलों की सुनवाई के लिए एक या अधिक ऐसे अपीली न्यायाधिकरण गठित करने में समर्थ होगी।

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