पुलवामा हमले में इस्तेमाल जैश का ठिकाना होगा जब्त, NIA की विशेष अदालत ने दिया निर्देश
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने पुलवामा में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों के ठिकाने को जब्त करने का आदेश दिया है। इस मकान में 2019 के सीआरपीएफ काफिले पर हुए हमले की साजिश रची गई थी, जिसमें 40 जवान शहीद हुए थे। अदालत ने संपत्ति को आतंकवाद की आय घोषित करते हुए इसके हस्तांतरण पर रोक लगा दी है। यह मकान आरोपी पीर तरीक अहमद शाह की पत्नी नसीमा बानो के नाम पर है।
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पुलवामा हमले में इस्तेमाल जैश के ठिकाने जब्त करने का आदेश। फाइल फोटो
जेएनएफ, जम्मू। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने पुलवामा में स्थित एक आवासीय मकान को जब्त करने का आदेश जारी किया है। अदालत ने पाया कि यह मकान जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों का ठिकाना था। पुलवामा में फरवरी 2019 में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले की साजिश यहीं से रची गई थी। इस हमले में 40 जवान बलिदान हुए थे।
कोर्ट ने संपत्ति को आतंकवाद की आय घोषित किया है और इसके किसी भी तरह के हस्तांतरण पर रोक लगा दी है। विशेष न्यायाधीश संदीप गंडोत्रा (अतिरिक्त सेशन जज) ने आवासीय मकान को जब्त करने का आदेश एनआईए के मुख्य जांच अधिकारी राजीव ओम प्रकाश पांडे की अर्जी पर दिया।
पुलवामा के हकरीपोरा में स्थित यह 9.5 मरला (2586 वर्ग फीट) का मकान नसीमा बानो के नाम है, जो आरोपित पीर तरीक अहमद शाह की पत्नी है। अदालत में एनआईए की ओर से विशेष लोक-अभियोजक केएस पठानिया पेश हुए। जबकि वकील सैयद आजाद अंद्राबी ने आपत्ति दायर की, लेकिन बाद में कहा कि वे आरोपित बानो के वकील नहीं हैं।
इसके बाद नसीमा बानो अदालत में पेश नहीं हुईं और मामला एकतरफा (एक्स-पार्टी) चलाया गया। जांच में पुष्टि हुई कि जैश के आतंकी मोहम्मद उमर फारूक, समीर अहमद डार और आदिल अहमद डार ने हमले से पहले और बाद में इस मकान का उपयोग किया था। परिवार के कुछ सदस्यों पर भी आतंकियों को पनाह देने का आरोप है।
अदालत ने अपने आदेश में साफ किया कि संपत्ति जब्त करने के लिए यह जरूरी नहीं कि वह मुख्य आरोपी के नाम हो, यदि किसी संपत्ति का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने या साजिश को अंजाम देने के लिए हुआ है, तो यूएपीए के तहत उसे जब्त किया जा सकता है।
मकान को 16 मार्च 2021 को अटैच किया गया था। नसीमा बानो की अपील 31 अगस्त 2022 को खारिज की गई थी। बार-बार नोटिस देने के बावजूद उनकी अनुपस्थिति के चलते अदालत ने संपत्ति का अंतिम जब्ती आदेश जारी किया।
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत ने पुलवामा में स्थित एक आवासीय मकान को जब्त करने का आदेश जारी किया है। अदालत ने पाया कि यह मकान जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों का ठिकाना था। पुलवामा में फरवरी 2019 में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आत्मघाती हमले की साजिश यहीं से रची गई थी। इस हमले में 40 जवान बलिदान हुए थे।
कोर्ट ने संपत्ति को आतंकवाद की आय घोषित किया है और इसके किसी भी तरह के हस्तांतरण पर रोक लगा दी है। विशेष न्यायाधीश संदीप गंडोत्रा (अतिरिक्त सेशन जज) ने आवासीय मकान को जब्त करने का आदेश एनआईए के मुख्य जांच अधिकारी राजीव ओम प्रकाश पांडे की अर्जी पर दिया।
पुलवामा के हकरीपोरा में स्थित यह 9.5 मरला (2586 वर्ग फीट) का मकान नसीमा बानो के नाम है, जो आरोपित पीर तरीक अहमद शाह की पत्नी है। अदालत में एनआईए की ओर से विशेष लोक-अभियोजक केएस पठानिया पेश हुए। जबकि वकील सैयद आजाद अंद्राबी ने आपत्ति दायर की, लेकिन बाद में कहा कि वे आरोपित बानो के वकील नहीं हैं।
इसके बाद नसीमा बानो अदालत में पेश नहीं हुईं और मामला एकतरफा (एक्स-पार्टी) चलाया गया। जांच में पुष्टि हुई कि जैश के आतंकी मोहम्मद उमर फारूक, समीर अहमद डार और आदिल अहमद डार ने हमले से पहले और बाद में इस मकान का उपयोग किया था। परिवार के कुछ सदस्यों पर भी आतंकियों को पनाह देने का आरोप है।
अदालत ने अपने आदेश में साफ किया कि संपत्ति जब्त करने के लिए यह जरूरी नहीं कि वह मुख्य आरोपी के नाम हो, यदि किसी संपत्ति का उपयोग आतंकवाद को बढ़ावा देने या साजिश को अंजाम देने के लिए हुआ है, तो यूएपीए के तहत उसे जब्त किया जा सकता है।
मकान को 16 मार्च 2021 को अटैच किया गया था। नसीमा बानो की अपील 31 अगस्त 2022 को खारिज की गई थी। बार-बार नोटिस देने के बावजूद उनकी अनुपस्थिति के चलते अदालत ने संपत्ति का अंतिम जब्ती आदेश जारी किया।

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