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    Jammu Kashmir: जलजीवन मिशन घोटाले की जांच अब Whistleblower के सहारे, जानिए अब तक की कार्रवाई

    Updated: Mon, 07 Jul 2025 04:39 PM (IST)

    जम्मू-कश्मीर विधानसभा की सदन समिति ने घोटाले की तह तक जाने के लिए जनता से सहयोग मांगा है। समिति ने कहा है कि जिसके पास भी धांधलियों की जानकारी या सबूत हैं वो प्रदान करें ताकि दोषियों को दंडित किया जा सके। समिति ने जल शक्ति विभाग से पूरा रिकॉर्ड मांगा है और पुरानी योजनाओं को नई बताने के आरोपों की जांच कर रही है।

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    जल जीवन मिशन घोटाला की जाचं कर रही सदन समिति ने जनता से मांगी मदद।

    राज्य ब्यूरो, जागरण, श्रीनगर। प्रदेश में जल जीवन मिशन में हुए करोड़ों रूपये के कथित घोटाले की जांच कर रही जम्मू कश्मीर विधानसभा की सदन समिति ने घाेटाले की तह तक जाने के लिए व्हिसलब्लोअर और जनसाधारण से सहयाेग की उम्मीद जताई है।

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    सदन समिति ने सभी से आग्रह किया है कि जिस किसी के पास जलजीवन मिशन में हुई धांधलियों की काेई जानकारी, सुबूत है तो वह उसकी जानकारी प्रदान करे ताकि सभी दोषियों को चिह्नित कर उनके लिए दंड सुनिश्चित कराया जा सके।

    समिति अभी तक प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत कार्यान्वित 3253 में से सिर्फ 330 योजनाओं की समीक्षा कर चुकी है। जांच में कथित तौर पर पाया गया है कि कुछ योजनाएं जिन्हें मिशन के तहत पूरा किया गया दिखाया गया है, वे जलजीवन मिशन के शुरु होने से पहले पूरी हो चुकी हैं।

    आपको बता दें कि पूर्व आइएएस अधिकारी अशोक परमार ने अगस्त 2023 में जल जीवन मिशन में घोटाले का दावा करते हुए उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के तत्कालीन सलाहकार आरआर भटनागर और तत्कालीन मुख्य सचिव अरुण कुमार मेहता व अन्य अधिकारियों पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।

    उन्होंने आरोप लगाया था कि लाखों रूपये मूल्य की पाइपें बिना टेंडर आबंटित किए, बिना निर्धारित प्रक्रिया का पालन किए खरीदी गई हैं। कई पाइपों पहाड़ी इलाकों मे जलापूर्ति के प्रयोग के लिए सही नहीं है। हालांकि प्रदेश प्रशासन ने उनके आरोपों को नकारते हुए कहा था कि जल जीवन मिशन में सही तरीके से काम हो रहा है।

    अलबत्ता, गत मार्च में जम्मू कश्मीर विधानसभा के बजट सत्र में सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों ने अपने अपने क्षेत्र में जल जीवन मिशन में अनियमितताओं का आरोप लगाया। उन्होंने इसमें घोटाले की शिकायत की और तदुनसार स्पीकर अब्दुल रहीम राथर ने पूरे मामले की जांच के लिए नेशनल कान्फ्रेंस के विधायक हसनैन मसूदी की अध्यक्षता में एक सदन समिति का गठन किया। समिति की अब तक दो बैठकें हो चुकी हैं।

    संबधित सूत्रों की मानें तो समिति के लिए जांच का काम आसान नहीं हैं। उन्होंने बताया कि समिति ने जब संबधित योजनाओं के दस्तावेजों की प्रतियां मांगी थी तो संबधित अधिकारियों ने कहा था कि उनके लिए संबधित दस्तावेजों की फोटोकापियां तैयार कर, समिति के सदस्यों को सौंपने के लिए लगभग 1.25 करोड़ पेज चाहिए।

    इसके अलावा संबधित दस्तावेजों की स्कैनिंग व फोटोकापी के लिए अतिरिक्त कंप्यूटर,मशीनें और मानव संसाधन चाहिए जोअभी संभव नहीं है। समिति ने जल जीवन मिशन के कार्यान्वयन के संबंध में जल शक्ति विभाग से पूरा रिकार्ड मांगा है।

    बताया जा रहा है कि समिति ने अब इस घोटाले की जांच के लिए सर्वसाधारण की मदद लेने का फैसला किया है समिति ने व्हिसलब्लोअर्स,सभी संबधित पक्षों और आम जनता से नल कनेक्शन न दिए जाने, घटिया सामग्री के उपयोग, अधूरी छोड़ी गई योजनाओं, भ्रष्ट आचरण या कुप्रबंधन या जल जीवन मिशन के उद्देश्यों को विफल करने वाले किसी अन्य मुद्दे से संबंधित अपनी संबंधित शिकायतें, यदि कोई हों, समिति के संज्ञान में लाने के लिए कहा है।

    समिति ने इस विषय मे एक नोटिस भी जारी किया है जिसमें कहा गया है कि विधिवत हस्ताक्षरित शिकायतें (जिनमें मुखबिर, शिकायतकर्ता का नाम, माता-पिता, पता और संपर्क नंबर दर्शाया गया हो) सीधे माननीय अध्यक्ष, सदन समिति-जेजेएम को जम्मू-कश्मीर विधान सभा सचिवालय श्रीनगर 190001 के माध्यम से भेजी जा सकती हैं या ईमेल के जरिए जमा कराई जा सकती हैं। यह नोटिस तीन जुलाई को जारी किया गया है और सर्वसाधारण को 15 दिन के भीतर शिकायतें दर्जकराने को कहा गया है।

    समिति के सदस्य और पहलगाम निर्वाचन क्षेत्र के विधायक अल्ताफ अहमद वानी उर्फ अल्ताफ कालू ने आरोप लगाया कि जलशक्ति विभाग कुछ पुरानी योजनाओं को जलजीवन मिशन के तहत पूरी की गई नयी योजनाएं बता रहा है।

    जिला अनंतनाग में दच्छनीपोरा, सिलिगाम, तांत्रेपोरा और ग्रिंंदवन में जो याेजनाएं वर्ष 2012 में एक्सलियरेटिड इरिगेशन बेनिफि प्रोग्राकम एआइबीपी के तहत पूरी की गई थी, उन्हें अब 2023 में जल जीवन मिशन के तहत पूरा किया गया दिखाया जा रहा है।

    उन्होंने कहा कि कई इलाकों में जलापूर्ति का कोई स्रौत नहीं हैं, वहां जलापूर्ति योजना मंजूर की गई है। कई उच्च पर्वतीय इलाकों में सिंचाई एसडी पाईपलाइन बिछाई गई हैं जो वहां के लायक नहीं हैं।