Jammu Crime: कोट भलवाल जेल में कैदियों को मिल रही हैं सर्व संपन्न सुविधाएं
कोटभलवाल जेल में सजा काट रहे या फिर अंडर ट्रायल कैदी इन दिनों जेल के मेहमान से कम नही हैं।वे अपनी मर्जी का भोजन बैरकों में बना रहे है। घरवालों या फिर बाहर की दुनियां में काम करने वाले उनक गुर्गे लगातार उनके सम्पर्क में है।

जम्मू, अवधेश चौहान: शहर के जानेमाने व्यापारियों रंगदारी वसूल कर उन्हें आइपीएल क्रिकेट मैच में सट्टा लगाने वालों को निवेश किए जाने के तार कोटभलवाल से जुड़ रहे है।रंगदारी वसूलने से लेकर सट्टेबाजों को पैसे का लेनदेन की योजना जेल से ही संचालित हो रही थी।
कोटभलवाल जेल इन दिनों फिर से सुर्खियों में है।रंगदारी गिरोह में शामिल जेल सुप्रिटेंडेंट का ड्राइवर कुलदीप उर्फ कमला और एसपीओ की संलिप्तता सामने आ चुकी है।शहर में रंगदारी वसूलने वाला सुप्रीत सिंह उर्फ राजा अक्सर रॉयल सिंह से मिलने कोट भलवाल जेल में आया करता था।कोटभलवाल जेल में सजा काट रहे या फिर अंडर ट्रायल कैदी इन दिनों जेल के मेहमान से कम नही हैं।वे अपनी मर्जी का भोजन बैरकों में बना रहे है।घरवालों या फिर बाहर की दुनियां में काम करने वाले उनक गुर्गे लगातार उनके सम्पर्क में है।मोबाइल से लेकर उनके पास सर्व सम्पन्न सहूलते मौजूद है।
कोई भी हत्या जैसा अपराध या आतंकी घटना हो उसके पैरोकार जम्मू की जेल हो या श्रीनगर सेंट्रल जेल उन्हें कौन से वकील करने की सलाह तक देत हैं।कश्मीर के आतंकियों को यहां चरस और हेरोइन भी आसानी से उपलब्ध हो रही है।यह सबकुछ जेल प्रबंधन की रजामंदी के मुमकिन नही है।वर्ष 2011-़12 में कोट भलवाल जेल में जैमर तो लगे, लेकिन जेल प्रबंधन की अनदेखी के कारण यह जैमर पंगू बन कर रह गए।इसका फायदा अंदर बैठे आतंकवादी और अपराधी भी उठा रहे हैं।
जेल में उनकी खातिर करने वालों में कुछ जेलकर्मी भी शामिल है। सूत्रों के मुताबिक इन दिनों कोटभलवाल जेल में 4000 से भी अधिक अंडर ट्रायल और सजा भुगत रहे कैदी है। कारण कोरोना काल के के कारणों से कोर्ट में मामलों की सुनवाई न होने से कैदियों को जमानत नही मिल रही है। सूत्रों के मुताबिक जेल में इससे पहले 2500 से कैदी ही होते थे।
कोर्ट भलवाल जेल हमेशा से ही सुर्खियों में रही है।वर्ष 1998 में अफगानिस्तान के कंधार में हाइजैक किए इंडियल लांइस के यात्रियों की एवज में जैश ए मोहम्मद का सरगना अजहर मसूद कोट भलवाल जेल और श्रीनगर सेंट्रल जेल से मुश्ताक लटरन को रिहा कर आतंकियों को सौंपना पड़ा था।
वर्ष 2008 में आतंकी मेजर इरफान कोट भलवाल जेल से भागने में सफल रहा था।इस घटना के एक साल बाद ही पाकिस्तानी आतंकी सज्जाद अफगानी की सरपरस्ती में कोटभलवाल जेल में 100 फीट सुरंग खोद दी गई।जिसमें जेल की दो दीवारों के नीचें से खोदाई पूरी हो चुकी थी।जबकि जेल के बाहर से मुहाना खोदना था, लेकिन जेल प्रबंधन को इसका पता चल गया था, सज्जाद अफगानी की सुरंग में सांस घुटने से मौत हो गइ।
इस सुरंग के बनाने में 60 से 70 के करीब कैदियों की बटालियन लगी हुई थी।जिसमें जेल प्रबंधन के कुछ लोगों के मिले होने की बात सामने आई थी।वर्ष 2019 में कोटभलवाल जेल के कैदियों से खाना पकाने वाले हीटर,बर्तन,मोबाइल फोन उसके चार्जर आदि मिले थे। इसके बाद भी जेल प्रबंधन ने जेल में बीते 8 सालों से बंद पड़े जैमरों को संचालित करने में कोई कदम नही उठाया।
कोटभलवाल जेल वर्ष 1999 में सीआइडी के अधीन चल रही थी और इसके बाद इसे जेल प्रबंधन को दे दिया गया। इस बारे में डीजी प्रिजन वीके सिंह से बात करनी चाही तो सम्पर्क नही हो सका।
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