अब चीन की हर शरारत का मुंहतोड़ जवाब देगा भारत, लद्दाख में 13,700 फीट ऊंचाई पर बने न्योमा एयरबेस से उड़ेंगे फाइटर जेट
भारत चीन की हरकतों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार है। लद्दाख में 13,700 फीट की ऊंचाई पर बने न्योमा एयरबेस से फाइटर जेट उड़ान भरेंगे। यह एयरबेस रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और भारतीय वायुसेना को चीन पर नजर रखने में मदद करेगा। फाइटर जेट की तैनाती से भारत की सैन्य क्षमता और मजबूत होगी।

भारतीय सेना चीन की हर चाल पर नजर रखे हुए है।
राज्य ब्यूरो, जम्मू। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख की लाइफ लाइन, भारतीय वायुसेना ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भावी युद्धों को लिए अपने एयरबेस उन्नत कर लिए हैं। अब चीन ने शरारत की तो न्योमा व अन्य फावर्ड एसरबेस से दुश्मन पर कहर बरसाने को फाइटर विमान उड़ेंगे ।
खून जमाने वाली ठंड में युद्घ चुनौतियों का सामना करने में सशस्त्र सेनाओं की ताकत बढ़ाने के लिए पूर्वी लद्दाख में चीन की सीमा के करीब 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित अपने सबसे उंचे एयर बेस न्योमा से फाइटर विमान उड़ सकते हैं। वायुसेना लेह के न्योमा, कारगिल, थोईस व दौलत बेग ओल्डी की एडवांस लैंडिंग ग्राउंड को भावी युद्दों के लिए तैयार कर रही है।नए साल में ये एयरबेस लड़ाकू जेट विमानों के संचालन में पूरी तरह से सक्षम होंगे।
चीन, पाकिस्तान से सटे इलाकों में सर्तकता बरत रही सेना
लद्दाख में चीन, पाकिस्तान से सटे इलाकों में भारतीय सेना इस समय उच्चतम स्तर की सर्तकता बरत रही है। ऐसे में अब बर्फ से जमे लद्दाख में सीमा के पास सेना की आपरेशनल तैयारियों को तेजी देने वाले वायुसेना के बड़े विमानों का दबदबा होगा। यह कार्रवाई सामने बैठे चीन की रणनीतिक तैयारियों को ध्यान में रखते हुए की जा रही है। पिछले पांच वर्षों में चीन ने वास्तविक नियंत्रण रेखा के पारअपने सभी एयरबेसों को उन्नत किया है। इनमें उन्नत स्टील्थ लड़ाकू विमानों के साथ-साथ बमवर्षक, टोही विमान व ड्रोन तैनात हैं।
फाइटर विमान की उड़़ान में सक्षम न्योमा एयरबेस, वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर होने के कारण पैंगोंग त्सो, डेमचोक व डिपसांग रएानीति रूप से अहम सीमांत इलाकों की हवाई सुरक्षा में सक्षम हैं।
नागरिक उड़ानों के लिए भी काम करेंगे पूर्वी लद्दाख के ये एयर बेस
पूर्वी लद्दाख के ये एयर बेस नागरिक उड़ानों के लिए एक संभावित केंद्र के रूप में भी काम करेगा व अगले साल के शुरुआत तक ये लड़ाकू अभियानों के लिए उपलब्ध होंगे। न्योमा एयर बेस का 230 करोड़ रुपये की लागत से उन्नत बनाया गया है। पक्की हवाई पट्टी को 2.7 किलोमीटर लंबी है व इसमें फाइटर संचालन की सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। भारतीय वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने दिल्ली के हिंडन से न्योमा के मड में इस एयरबेस का शुभारंभ करने के लिए बडे विमान सी-130जे सुपर हरक्यूलिस को उड़ाकर पूर्वी लद्दाख पहुंचे।
अभियानों में त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता मिलेगी
न्योमा एयरबेस का संचालन शुरू होना भारत के लिए सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र चीन की सीमा के करीब है और यहां से वायुसेना को निगरानी, आपूर्ति और आपात अभियानों में त्वरित प्रतिक्रिया देने की क्षमता मिलेगी। इसके वायुसेना की आपरेशनल तैयारियों को बल मिलेगा। न्योमा में 13700 फुट की ऊंचाई पर स्थित यह दुनिया का सबसे ऊंचा फाइटर एयरबेस ने देश की सीमा सुरक्षा में एक नया मजबूत किला तैयार किया है। पहला वहां एक कच्चा रनवे वाला लैंडिंग ग्राउंड था। अब सीमा सड़क संगठन द्वारा बनाए गए उन्नत एयरबेस पर विमान की मरम्मत, ईंधन भराई, रडार संचालन, मौसम की निगरानी व चालक दल के रहने की व्यवस्था मौजूद है।
सर्दियों में वायुसेना बढ़ाती है सेना की ताकत
सर्दियों के महीनों में भारी बर्फबारी से सड़कें बंद पर वायुसेना अपने फावर्ड एयरबेस के जरिए जल्द वास्तविक नियंत्रण रेखा तक सैनिकों तक हथियार, साजो सामान पहुंचाती है। वायुसेना दूरदराज के लोगों की सहायता के लिए कारगिल कूरियर सेवा चलाकर उन्हें अपनी मंजिल तक पहुंचाती है। वर्ष 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवन में हिसंक झड़पों के बाद भारतीय सशस्त्र सेनाओं भावी युद्दों के लिए तैयार है। सेना ने भविष्य के युद्धों में दुश्मन पर जमीन के साथ दुश्मन पर हवा से कड़ा आघात करने की तैयारी की है।
लद्दाख में एकिकृत फायर पावर युद्धाभ्यास में बहुआयामी युद्ध क्षमता दिखा रही है। इनमें सेना की सभी शाखाओं उन आधुनिक तकनीकों का प्रदर्शन किया जा रहा है जो भावी युद्घों में काम आएंगे। आधुनिक युद्ध में ड्रोन खतरों को देखते हुए इन युद्घ अभ्यासों में काउंटर अनमैन्ड एरियल ग्रिड, निगरानी कर दुश्मन के ड्रोन की पहचान, उन्हें तुरंत नष्ट करने की क्षमता परखी जा रही है। उन्नत सेंसरों, नेटवर्क-सक्षम प्लेटफार्म, रियल-टाइम डेटा विश्लेषण से तकनीक आधारित युद्ध क्षमता का भी परिचय दिया गया।
पूर्वी लद्दाख को किया जा रहा है रोशन
- पूर्वी लद्दाख के अग्रिम इलाकों में डीजल जेनरेशन सेटों पर सेना, वायुसेना की निर्भरता को कम किया जा रहा है। चीन से लगती वास्तविक नियंत्रण रेखा पर दौलत बाग ओल्डी (डीबीओ) सेक्टर की अग्रिम चौकियों को ग्रिड कनेक्टिविटी के माध्यम से रोशन करने की योजना पर काम हो रहा है। वास्तविक नियंत्रण रेखा के अग्रिम इलाकों तक बिजली पहुंचने से सशस्त्र सेनाओं की रणनीति तैयारियों को बल मिलेगा। वायुसेना अपने बड़े विमानों को डीबीओ में उताकर कर सेना की जरूरत को तुरंत पूरा करती है। लद्दाख पावर डेवलपमेंट डिपार्टमेंट ने सेना, आईटीबीपी की सीमा चौकियों को ग्रिड कनेक्टिविटी से जोड़ने का प्रस्ताव बनाया है।

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